ऐसा खेली कि दुनिया में लहराया परचम, कभी कैंप में जाने पर लगी थी रोक…जानिए हॉकी खिलाड़ी हिना की ये कहानी

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ऐसा खेली कि दुनिया में लहराया परचम, कभी कैंप में जाने पर लगी थी रोक…जानिए हॉकी खिलाड़ी हिना की ये कहानी

लखनऊ: आयरलैंड में आयोजित यूनीफर U 23, 5 नेशन हॉकी प्रतियोगिता में जूनियर भारतीय महिला टीम (Junior Indian Hockey Team in U23 five nation hockey Tournamnent) शानदार प्रदर्शन करते उपविजेता का खिताब हासिल करने में सफल रही। फाइनल में नीदरलैंड्स के हाथों शिकस्त से पहले पूरी प्रतियोगिता में भारतीय टीम (Indian Team) ने शानदार खेल दिखाया। भारतीय टीम में लखनऊ के कैंट निवासी हिना बानो (Hina Bano Lucknow) भी शामिल थीं। मिड फील्ड और फॉरवर्ड पोजीशन पर खेलने वाली हिना ने प्रतियोगिता के दौरान देश के लिए पांच मैच खेले और जीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। आयरलैंड से मंगलवार को लखनऊ पहुंची हिना का साई सेंटर में जोरदार स्वागत हुआ। वहीं कैंट के तोपखाना स्थित घर पहुंचने पर भी सम्मान करने वालों की भीड़ लगी रही। देश का गौरव बढ़ाने वाली हिना ने एनबीटी से खास बातचीत के दौरान भारतीय टीम में जगह बनाने तक के संघर्ष और अनुभव को साझा किया। उन्होंन याद किया कि कैसे एक समय उन्हें लगा था कि खेल अब छूट जाएगी। सगे-संबंधी और रिश्तेदार चाहते थे कि वे कैंप में न जाएं। एक समय उन्हें ऐसा लगा था कि आगे खेल नहीं पाएंगे। इन तमाम बाधाओं को पीछे छोड़कर उन्होंने सफलता हासिल की।

हॉकी को कैसे चुना?
कैंट स्थित माध्यमिक स्कूल में पढ़ती थी। स्कूल की हॉकी टीम के जीतने पर खिलाड़ियों का खूब सम्मान होता। उस दौरान मैं हॉकी तो नहीं खेलती थी, लेकिन देखकर अच्छा लगता। तभी तय कर लिया था कि हॉकी में ही करियर बनाना है।

कभी ऐसा लगा कि खेल छोड़ना पड़ेगा?
हां, बिलकुल लगा। पिता को बचपन में खो दिया था। ऐसे में जूनियर हॉकी कैंप के लिए चयन होने के दौरान कई रिश्तेदार भेजने के विरोध में थे। उस दौरान मेरे नाना उजागर अली और चारों मामाओं ने हौसला बंधाया। आज जो भी उनके सहयोग से हूं।

करियर का टर्निंग पॉइंट किसे मानती हैं?
वर्ष-2017 से साई हॉस्टल में प्रफेशनल हॉकी खेल रही हूं। बीते साल उड़ीसा के भुवनेश्वर में आयोजित एकेडमी नैशनल-2021 में गोल्ड मेडल मिलने के साथ ही काफी बदलाव आया। प्रतियोगिता में प्रदर्शन के आधार नैशनल हॉकी कैंप के लिए चयन हुआ, जिसके बदौलत आज यहां तक पहुंच सकी हूं।

खेल में करियर बनाने की इच्छा रखने वाली लड़कियों से क्या कहना चाएंगी?
खेल में करियर बनाने के साथ ही पढ़ाई पर भी पूरा ध्यान देना चाहिए। करियर के लिए खेल जितना जरूरी है, उतनी ही पढ़ाई भी। मेरा अब तक अनुभव यही कहता है। खुद भी इंटर की छात्रा हूं। मेरा मानना है कि लड़कियों के लिए पढ़ाई बेहद जरूरी है।

उपविजेता टीम का हिस्सा बनने के बाद कैसा लग रहा?
काफी समय से घर और परिवार से दूर थी। पहले छह महीने का कैंप फिर आयरलैंड का दौरा। प्रतियोगिता में जूनियर भारतीय टीम के प्रदर्शन ने सबको चौंका दिया। भारतीय टीम के लिए खेलने के बाद काफी लोग पहचानने लगे हैं। जगह-जगह से बधाई मिल रही है। खुशी के इस पल में परिवारीजनों के साथ होना अलग ही सुकून देता है।

पसंददीदा खिलाड़ी कौन हैं?
महिला खिलाड़ियों में वंदना कटारिया और पुरुषों में मंजीत सिंह पसंदीदा खिलाड़ी हैं। मैं खुद मिड हॉफ और फॉरवर्ड से बेहतर शॉट खेल पाती हूं।

हॉकी के लिए और क्या-क्या होना चाहिए?
हॉकी ही नहीं किसी अन्य खेल में भी स्कूलस्तर पर ज्यादा सुविधाएं नहीं मिलने पर करियर बनाना काफी मुश्किल होता है। ऐसे में शुरू से ही हॉकी सहित अन्य खेलों के लिए प्रोत्साहित करने की जरूरत है। (रिपोर्ट : वीर सिंह यादव)



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