एम्स में शुरू होगा बच्चों का इंटेस्टाइन ट्रांसप्लांट भी, दिल्ली में अभी तक नहीं हुई है कोई ऐसे सर्जरी
शुरू में केवल बच्चों का होगा ट्रांसप्लांट
एम्स में इंटेस्टाइन ट्रांसप्लांट के लिए बनाई गई कमिटी के डॉक्टर वी. सीनू ने कहा कि प्रपोजल पर काम शुरू है। अभी एम्स को आंत ट्रांसप्लांट का लाइसेंस नहीं मिला है। तैयारी शुरू कर दी गई है। पहले फेज में केवल बच्चों की ही आंत का ट्रांसप्लांट शुरू किया जाएगा। क्योंकि कई बच्चों में जन्म के साथ ही आंत में दिक्कत होती है, तो कई बार पूरी आंत बनी नहीं होती है। ऐसी स्थिति में बच्चों को ज्यादा समय तक जिंदा रख पाना आसान नहीं होता है। दूसरे फेज में बड़ों में चोट लगने या बुलेट इंजरी आदि की वजह से खराब होने पर भी आंत ट्रांसप्लांट किया जाएगा।
न्यूट्रिशनल सिस्टम मजबूत बनाना होगा
ऐसे बच्चों को जिंदा रखने के लिए पैरेंटल फूड के जरिए न्यूट्रिशयन की जरूरत होती है। पैरेंटल फूड में गर्दन के पास एक नस में ट्यूब डाल दी जाती है। उसे सेमी सॉलिड लिक्विड वाले फूड के बैग से जोड़ दिया जाता है। जो बच्चे अस्पताल में होते हैं, उन्हें तो सुविधा मिल जाती है। लेकिन जो घर पर हैं, उन्हें सही से न्यूट्रिशन मिल रहा है या नहीं, इसके लिए एक टीम की जरूरत होगी। जिसमें नर्सिंग स्टाफ के साथ साथ डायटिशियन की भी जरूरत होगी। हम सबसे पहले इस पर ही काम कर रहे हैं। हालांकि पैरेंटल फूड काफी महंगा होता है, सबके लिए इसका खर्च उठा पाना आसान नहीं है।
ब्रेन डेथ डोनर से आंत लेकर कर सकते हैं ट्रांसप्लांट
डॉक्टर सीनू ने बताया कि ब्रेन डेथ के मरीजों से आंत ली जाती है और उसे मरीज में ट्रांसप्लांट किया जाता है। आमतौर पर एक मरीज में 100 सेमी आंत की जरूरत होती है। अमूमन एक इंसान में 300 से 400 सेमी आंत होती है। इसलिए आने वाले समय में लाइव डोनर की मदद से भी आंत ट्रांसप्लांट संभव होगा। दुनियाभर में इस पर रिसर्च भी चल रही है। हमारे पास एक्सपर्ट की ज्यादा दिक्कत नहीं है। बावजूद हम यूएस की ऐसी संस्थाओं से भी मदद लेंगे, जो इस समय आंत ट्रांसप्लांट कर रहे हैं।