एफसीआई, राज्य एजेंसियों के पास केंद्रीय पूल का 285.10 लाख टन गेहूं मौजूद : सरकार

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एफसीआई, राज्य एजेंसियों के पास केंद्रीय पूल का 285.10 लाख टन गेहूं मौजूद : सरकार

एफसीआई, राज्य एजेंसियों के पास केंद्रीय पूल का 285.10 लाख टन गेहूं मौजूद : सरकार

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| Updated: Jul 22, 2022, 2:19 PM

नयी दिल्ली, 22 जुलाई (भाषा) सरकार ने शुक्रवार को संसद को बताया कि भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) तथा राज्य एजेंसियों के पास केंद्रीय पूल के तहत 285.10 लाख टन गेहूं का भंडार मौजूद है। इसके साथ ही सरकार ने कहा कि उपलब्ध भंडार और अप्रैल, 2023 तक अगले अनुमानों के अनुसार, देश में सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) और अन्य कल्याणकारी योजनाओं की आवश्यकताओं तथा किसी अन्य संभाव्यता को पूरा करने हेतु खाद्यान्नों का पर्याप्त स्टॉक है। उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्री पीयूष गोयल ने एक सवाल के लिखित जवाब में राज्यसभा को यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि एक

 

नयी दिल्ली, 22 जुलाई (भाषा) सरकार ने शुक्रवार को संसद को बताया कि भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) तथा राज्य एजेंसियों के पास केंद्रीय पूल के तहत 285.10 लाख टन गेहूं का भंडार मौजूद है।

इसके साथ ही सरकार ने कहा कि उपलब्ध भंडार और अप्रैल, 2023 तक अगले अनुमानों के अनुसार, देश में सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) और अन्य कल्याणकारी योजनाओं की आवश्यकताओं तथा किसी अन्य संभाव्यता को पूरा करने हेतु खाद्यान्नों का पर्याप्त स्टॉक है।

उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्री पीयूष गोयल ने एक सवाल के लिखित जवाब में राज्यसभा को यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि एक जुलाई 2022 की स्थिति के अनुसार केंद्रीय पूल के तहत गेहूं का भंडार मानकों से काफी अधिक है।

उन्होंने कहा कि एक जुलाई 2022 की स्थिति के अनुसार भारतीय खाद्य निगम तथा राज्य एजेंसियों के पास 275.80 लाख टन के भंडारण मानकों की तुलना में केंद्रीय पूल के तहत 285.10 लाख टन गेहूं का भंडार है।

गोयल ने कहा कि वर्तमान मौसम के दौरान लगभग 188 लाख टन गेहूं की खरीद की गई है और उम्मीद है कि प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएमजीकेएवाई) (सितंबर, 2022 तक) तथा सार्वजनिक वितरण प्रणाली की जरूरतों को पूरा करने के बाद भी एक अप्रैल 2023 की स्थिति के अनुसार गेहूं का अनुमानित स्टॉक 74.6 लाख टन के भंडारण मानकों की तुलना में 134 लाख टन होगा।

उन्होंने कहा कि इस साल समय से पहले ग्रीष्मकाल शुरु होने के कारण गेहूं के उत्पादन अनुमानों को संशोधित करके कम किया गया था। इसके अलावा विभिन्न भू-राजनीतिक कारणों की वजह से गेहूं के वैश्विक मूल्य में बढ़ोतरी हुई थी।

उन्होंने कहा कि सरकार भारत की खाद्य सुरक्षा को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है और उन पड़ोसी तथा अन्य जोखिम वाले विकासशील राष्ट्रों को सहायता प्रदान करती है जो गेहूं के वैश्विक बाजार में आए अचानक परिवर्तनों से प्रतिकूल रूप से प्रभावित हैं।

गोयल ने कहा कि इसलिए केंद्र सरकार ने गेहूं की निर्यात नीति में संशोधित किया है।

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