एडमिशन फीस के लिए दर-दर भटका UP की टॉपर बिटिया का पिता, DU में पढ़ने का सपना हुआ चूर

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एडमिशन फीस के लिए दर-दर भटका UP की टॉपर बिटिया का पिता, DU में पढ़ने का सपना हुआ चूर

एडमिशन फीस के लिए दर-दर भटका UP की टॉपर बिटिया का पिता, DU में पढ़ने का सपना हुआ चूर

बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ के तमाम दावों के बीच कानपुर देहात की सेजल की कहानी सिस्टम के दावों पर तमाचा है। सेजल ने इसी वर्ष इंटरमीडिएट में 91.4 प्रतिशत अंक हासिल कर जिले में टॉप किया है। इसके बाद उसे सीएम योगी से लेकर जिले की डीएम तक ने सम्मानित किया था। लेकिन आज पैसों की तंगी के कारण डीयू में पढ़ने का सपना सेजल का चूर-चूर हो गया।

 

मां और पिता के साथ सेजल (फाइल फोटो)

कानपुर देहात:
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ के तमाम दावों के बीच कई ऐसे मामले सामने आते हैं जो दिल को झकझोर देते हैं। ऐसा ही मामला अकबरपुर के कांशीराम कालोनी से सामने आया है। यहां इंटरमीडिएट में जिला टॉपर रही छात्रा सेजल चौरसिया को डीएम से लेकर सीएम तक सबने सम्मानति किया, लेकिन आगे की पढ़ाई कैसे होगी इस पर किसी का ध्यान नहीं गया। कांशीराम कॉलोनी के एक तंग कमरे में जिंदगी गुजार रहे मजदूर दंपति की इकलौती संतान हैं सेजल चौरसिया।

सेजल ने अकबरपुर स्थित सरकारी कॉलेज से अपनी पढ़ाई की है। सेजल ने इसी वर्ष इंटरमीडिएट में 91.4 प्रतिशत अंक हासिल कर जिले में टॉप किया है। सेजल ने बताया कि उसका सपना डीयू में पढने का था। इस पर आनलाइन फार्म भरकर 19 सितंबर 2022 को उसने प्रवेश परीक्षा दी। पहली मैरिट सूची में उसका नाम आ गया। इससे सेजल बहुत खुश थी। उसे लगा कि डीयू में पढने का उसका सपना पूरा हो जाएगा। लेकिन ऐसा हो न सका। चूंकि फीस जमा करने के लिए सिर्फ दो दिन का ही वक्त था। 30 हजार रुपये फीस जमा होनी थी। पिता के पास इस रकम का इंतजाम नहीं हो सका। सेजल के पिता रनियां स्थित एक फैक्टरी में मजदूरी करते हैं। माता संगीता देवी बीमार रहती हैं। उनकी देखभाल की जिम्मेदारी सेजल पर ही है।

बेटी का सपना पूरा करने के लिए दर-दर गिड़गिड़ाया पिता

सेजल के पिता उमेश चौरसिया ने बताया कि बेटी शुरु से ही पढने में होनहार रही। इलौती बेटी ही परिवार का सहारा है। डीयू की प्रवेश परीक्षा पास करने के बाद उसकी फीस का इंतजाम करने के लिए पिता ने सबसे पहले फैक्टरी के मैनेजर से बताया। मैनेजर ने इसमें कोई मदद करने से हाथ खड़े कर दिए। इससे उमेश को मायूसी हाथ लगी। फिर उसने बैंक में एजूकेशन लोन के लिए पता किया। हालांकि ये प्रक्रिया इतनी आसान नहीं थी। बैंक वालों ने इतनी औपचारिकता बता दी कि वह थक कर बैठ गया। मजदूर की बेटी की शिक्षा के लिए एजूकेशन लोन की व्यवस्था नहीं हो सकी। जबकि छात्रा को डीएम ने सम्मानित किया फिर लखनऊ बुलाकर सीएम योगी आदित्यनाथ ने मेडल और प्रमाण पत्र दिया था।

हालात पर रोयी बेटी, दो दिन नहीं खाया खाना

डीयू की प्रवेश परीक्षा पास करने के बाद भी जब सेजल का डीयू में एडमिशन न हो सका तो दुखी सेजल ने दो दिनों तक खाना नहीं खाया। ये बताते हुए उसकी आंखे भर आईं। उसकी मां संगीता देवी ने बताया कि वहां एडमिशन न होने पर वह कई दिनों तक गुमसुम रही। कहीं से कोई मदद की आस नहीं दिखी तक उसने अकबरपुर डिग्री कालेज में बीएससी में दाखिला ले लिया। सेजल ने कहा कि परिवारिक हालात की वजह से डीयू में पढने का सपना पूरा नहीं हो सका लेकिन अभी हार नहीं मानी है।

जिले में अफसर से लेकर मंत्री तक सब महिला

इंटरमीडिएट टॉपर रही बेटी के सपने टूट गए। ये हालात तब हैं जब जिले में अफसर से लेकर मंत्री तक सब महिला ही हैं। कानपुर देहात की डीएम नेहा जैन हैं। सीडीओ आईएस अफसर सौम्या पांडेय, एसपी सुनीति हैं। जिस क्षेत्र में सेजल रहती हैं वहां की एसडीएम अकबरपुर भावना सिंह हैं। वहीं सेजल के निवास क्षेत्र अकबरपुर रनियां से महिला विधायक प्रतिभा शुक्ला हैं। वो उत्तर प्रदेश सरकार में राज्यमंत्री भी हैं। इसके अलावा अन्य महत्वपूर्ण पदों में इस समय महिला अफसर ही हैं। फिर भी किसी का ध्यान इस टॉपर बेटी की शिक्षा व्यवस्था पर नहीं गया।
रिपोर्ट-दिनेश प्रताप सिंह

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