एक साल बाद भी ‘पड़ाव’ पर डटा हुआ राजस्थान का किसान, जानें आगे की क्या रहेगी रणनीति? | Rajasthan Farmers meeting amidst Farmers Protest One Year completion | Patrika News

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एक साल बाद भी ‘पड़ाव’ पर डटा हुआ राजस्थान का किसान, जानें आगे की क्या रहेगी रणनीति? | Rajasthan Farmers meeting amidst Farmers Protest One Year completion | Patrika News


जयपुर।

केंद्रीय कृषि कानूनों की वापसी को लेकर शुरू हुए किसान आंदोलन को आज एक साल पूरे हो गए हैं। आंदोलन के दौरान उठाई जा रही प्रमुख मांग को सरकार ने भले ही मान लिया है, लेकिन आंदोलन अब भी जारी है। किसान संगठन अब न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी संबंधी कानून लाने सहित कुछ अन्य लंबित मांगों पर आंदोलन जारी रखे हुए हैं।

 

गौरतलब है कि संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले किसान संगठन विभिन्न मांगों को लेकर केंद्र सरकार का विरोध जता रहे हैं। केंद्रीय कृषि कानूनों की वापसी के केंद्र सरकार के ऐलान के बाद भी किसान आंदोलन जारी है। आंदोलनरत किसान राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के बाहरी बॉर्डरों पर अब भी पड़ाव डाले बैठे हैं।

 

शाहजहांपुर-खेड़ा बॉर्डर पर सभा
किसान आंदोलन को एक साल पूरे होने के मौके पर आज राजस्थान में भी कई जगहों पर किसान सभाएं रखी गई हैं। मुख्य आयोजन दिल्ली से सटे राजस्थान-हरियाणा के शाहजहांपुर-खेड़ा बॉर्डर पर है जहां आयोजित सभा के लिए प्रदेश के विभिन्न ज़िलों से किसान पहुंचे हुए हैं।

 

भारतीय किसान यूनियन के राजस्थान प्रदेशाध्यक्ष राजाराम मील ने बताया कि आज होने वाली सभा में अब तक के आंदोलन की समीक्षा, प्रस्तावित संसद कूच की तैयारी सहित आगामी रणनीति पर चर्चा की जाएगी। मील ने कहा कि इस साल के किसान आंदोलन ने केंद्र सरकार को झुकने पर मजबूर किया है, अब एमएसपी पर गारंटी कानून बनने तक आंदोलन जारी रखने का फैसला लिया गया है।

 

‘आदेश’ के इंतज़ार में राजस्थान के किसान
एमएसपी पर गारंटी कानून सहित कुछ अन्य लंबित मांगों को लेकर संयुक्त किसान मोर्चा ने संसद कूच का ऐलान किया हुआ है। घोषित कार्यक्रम के अनुसार 29 नवंबर को किसान अपने ट्रेक्टरों के साथ अलग-अलग समूहों में संसद कूच करना शुरू कर देंगे। पहले दिन टीकरी और गाज़ीपुर बॉर्डर से किसानों को कूच करने के निर्देश दिए गए हैं। राजस्थान के किसान संयुक्त किसान मोर्चा के निर्देशों के बाद ही अपने ट्रेक्टरों के साथ कूच करने निकलेंगे।

 

ये कहा राजस्थान के किसान नेताओं ने–

”संघर्ष, दृढ़ संकल्प और लड़ाई का एक लंबा साल। पीएम मोदी बोले- अगले संसद सत्र में निरस्त होंगे कृषि कानून, लेकिन एमएसपी के बारे में क्या?? क्या यह हमारे किसानों का अधिकार नहीं है?” — राजाराम मील, प्रदेशाध्यक्ष, भारतीय किसान यूनियन (राजस्थान)

 

”देश के किसान ने पिछले एक साल में संघर्ष में ये दिखा दिया कि सब्र और एकता सबसे बड़ी ताकत है।किसान आंदोलन के शहीद किसानों को नमन। देश का किसान मांगे माने जाने तक संघर्ष जारी रखेगा।” — हिम्मत सिंह गुर्जर, किसान नेता

 

”भारत में न्यूनतम वेतन, न्यूनतम पेंशन और न्यूनतम मजदूरी के लिए कानून हैं,फिर किसानों की फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य क्यों नहीं? किसान साल भर खेतों में मेहनत करता है, फसल की बिजाई, सिंचाई से उपज तक अनेक कठिनाइयों का सामना करता है। फिर भी अंत में किसानों से कम मूल्य पर फसल खरीद कर बाजार में महंगी बेची जाती है। न्यूनतम समर्थन मूल्य किसान का हक़ है।” — कॉमरेड अमराराम, किसान नेता

 

‘तीनों काले कानून वापस लेने से आंदोलन की शरुआती जीत हुई है, अब एमएसपी का कानून बनाने तक जारी रहेगा किसान आंदोलन। ” — पवन दुग्गल, किसान नेता

 

”ये आंदोलन अभी खत्म नहीं होगा। 27 नवंबर को हमारी बैठक है जिसके बाद हम आगे के निर्णय लेंगे। किसानों को फसलों का नुकसान हुआ है। एमएसपी की ज़िम्मेदारी कौन लेगा? MSP पर पक्का गारंटी कार्ड लेकर जाएंगे, किसानों की जीत तब होगी जब उन्हें अपनी फसलों के दाम मिल जाएंगे।” — विक्रम सिंह मीणा, प्रदेशाध्यक्ष, भारतीय किसान यूनियन (युवा मोर्चा, राजस्थान)

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