एक विवाह ऐसा भी! बैलगाड़ियों से आई बारात, पहनी पारंपरिक पोशाक; डोली में गई दुल्हन

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एक विवाह ऐसा भी! बैलगाड़ियों से आई बारात, पहनी पारंपरिक पोशाक; डोली में गई दुल्हन

वक्त बदल गया है और शादियों तौर-तरीकों में भी बड़ा बदलाव आया है। लेकिन उत्तर प्रदेश के बांदा जिले के महुटा गांव में सोमवार को एक शादी ने गुजरे वक्त की याद दिला दी, जब कई बैलगाड़ियों पर सवार होकर बारात पहुंची। यही नहीं पारंपरिक पोशाक पहनकर दूल्हा भी बैलगाड़ी पर ही सवार होकर दुल्हन लेने पहुंचा। शादी में खाने की व्यवस्था भी पारंपरिक अंदाज में ही की गई थी। बाराती, घराती और ग्रामीण सभी ने जमीन पर बैठकर ही भोजन किया और परिवार के लोगों ने परोसकर खिलाया। दूल्हे अंकित मिश्रा की चाची और गांव की प्रधान संध्या मिश्रा ने कहा कि हमने प्रदूषण से बचने का संदेश देने के लिए इस तरह से शादी का फैसला लिया। 

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उन्होंने कहा कि प्रदूषण से बचने के लिए गाड़ियों का इस्तेमाल नहीं किया गया। इसके अलावा प्लास्टिक की प्लेटों आदि से भी दूरी बनाई गई और पत्तलों पर ही लोगों ने भोजन किया। इस शादी को लेकर ग्रामीणों में इस कदर उत्साह था कि लोग देखने पहुंचे थे कि आखिर कैसे बैलगाड़ी से बारात आई है। ग्रामीणों ने कहा कि इस शादी के लिए कई दिनों से तैयारियां चल रही थीं और कई लोगों से संपर्क किया गया, जिनके पास बैलगाड़ी थी ताकि उन्हें बारात में ले जाया जा सके। दरअसल लंबे समय से बैलगाड़ियां ही प्रचलन में नहीं हैं। ऐसे में बड़ी संख्या में इन्हें जुटाना भी एक बड़ा काम था।

ग्रामीणों ने कहा कि यूं तो आज के दौर में बहुत सी व्यवस्थाएं हो गई हैं, लेकिन इस शादी ने उस सुनहरे दौर की याद दिला दी, जब बारातें बैलगाड़ियों से ही जाती थीं। शादी में ग्रामीणों की ओर से ही तमाम व्यवस्थाएं की गईं और पूरा गांव मिलकर काम करता दिखा। दूल्हे ने खजूर का बना हुआ सेहरा पहना था, जो बुंदेलखंड की परंपरा का हिस्सा रहा है। हालांकि अब कम ही लोग इसे पहने हुए दिखाई देते हैं। इस तरह दूल्हे की पोशाक, बारात के साधन, भोजन की व्यवस्था से लेकर डोली से दुल्हन की विदाई तक में पुरानी परंपरा को एक बार फिर से जीवित करने का प्रयास दिखाई दिया।





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