एक लाख रुपए का रिचार्ज! ट्रांसफर के नाम पर डॉक्टर्स से वसूली कर रहे अ​फसर | Officers taking bribe from doctors in the name of transfer | Patrika News

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एक लाख रुपए का रिचार्ज! ट्रांसफर के नाम पर डॉक्टर्स से वसूली कर रहे अ​फसर | Officers taking bribe from doctors in the name of transfer | Patrika News

एक लाख रुपए का रिचार्ज! ट्रांसफर के नाम पर डॉक्टर्स से वसूली कर रहे अ​फसर | Officers taking bribe from doctors in the name of transfer | Patrika News

30 सितंबर से 13 अक्टूबर तक डॉक्टरों की 17 से अधिक सूची जारी हो चुकी हैं। 130 से ज्यादा चिकित्सा अधिकारी इधर से उधर किए गए। इसी बीच तीन सूची ऐसी निकलीं, जिनमें 17 से अधिक अधिकारियों के स्थानांतरण निरस्त हुए। कर्मचारियों की बात करें तो 29 सितंबर से 11 अक्टूबर तक 11 सूचियों के जरिए 163 कर्मचारियों के तबादले किए गए हैं। इस तरह कुल 293 से अधिक तबादले किए जा चुके हैं। यही नहीं कुछ सूचियां बैकडेट में भी निकाली जा रही हैं।

विसंगति- 1
जिला आयुष अधिकारी डॉ. हंसा बारिया का तबादला पिछले वर्ष धार से नर्मदापुरम किया था। इसके दो दिन बाद उन्हें संभागीय आयुष अधिकारी उज्जैन बनाया। एक वर्ष भी नहीं हुआ है कि अब फिर उज्जैन से जिला आयुष अधिकारी के रूप में इंदौर भेज दिया।
जीएडी के नियमानुसार सामान्य रूप से तीन वर्ष में ट्रांसफर होना चाहिए।
विसंगति- 2
डॉ. प्रताप शंकर भार्गव 31 अक्टूबर को सेवानिवृत्त होंगे। इनका तबादला ग्वालियर से गुना कर दिया है, जबकि ऐसा करना स्थानांतरण नीति के खिलाफ है। आरोप है कि इनकी जगह किसी अन्य चिकित्सा अधिकारी को नवाजा गया है।
नियमानुसार अगर सेवानिवृत्ति को छह महीने से कम समय बचा है तो संबंधित अधिकारी-कर्मचारी का ट्रांसफर नहीं किया जाए।
विसंगति- 3
जिला आयुष अधिकारी डॉ. नरेंद्र पटेल का ट्रांसफर पहले सीधी से मंडला किया। एक साल बाद सतना भेजा। डॉ. प्रदीप चतुर्वेदी का तबादला गत वर्ष संचालनालय भोपाल से संभागीय आयुष अधिकारी ग्वालियर किया। अब ग्वालियर में फार्मेसी अधीक्षक बना दिया है।
130 डॉक्टर जिनका तबादला हुआ, उनमें कई के तबादले नियमों के खिलाफ हुए हैं।

मंत्री के गृह जिले में 14 डॉक्टर भेजे
नीति को दरकिनार कर आयुष विभाग में आयुर्वेद चिकित्सा अधिकारी-कर्मचारियों का तबादला एक जिले से सुदूर दूसरे जिले में किया जा रहा है। आरोप है कि उन अफसरों के भी ट्रांसफर हो रहे , जिनके तबादले को अभी 3 वर्ष पूरे नहीं हुए हैं।
मंडला-जबलपुर के 14 डॉक्टरों का स्थानांतरण विभागीय मंत्री के गृह जिले बालाघाट में कर दिया है, जबकि वहां से एक भी चिकित्सा अधिकारी को अन्य जिलों में नहीं भेजा। बाद में छह का तबादला निरस्त कर दिया।

इस ओर ध्यान नहीं
ट्रांसफर सूची से एक विसंगति ये भी है कि पद खाली ना होते हुए भी शासकीय आयुर्वेद औषधालय डीडवाना ओली ग्वालियर में दवासाज के पद पर श्योपुर से तबादला किया गया है, जिससे वेतन आहरण में दिक्कत होगी। जिला आयुष कार्यालय में यहां पद खाली है। एक कर्मचारी पूरे जिले का काम देख रहा है। इस समस्या के निराकरण की तरफ आला अधिकारियों और मंत्री का ध्यान ही नहीं है।

राज्य के आयुष मंत्री रामकिशोर कांवरे से सीधी बात
आपके विभाग में करीब 1100 चिकित्सा अधिकारी हैं। तबादले 10 प्रतिशत तक किए जा सकते हैं, जबकि अभी ये ज्यादा हो चुके हैं?
जिनका स्थानांतरण किया गया है, उनमें से बहुत से प्रकरण स्वेच्छा से मांगने वालों के हैं। इसलिए संख्या ज्यादा लग रही है।
तबादला सूची में कई तरह की विसंगतियां हैं?
ऐसे कुछ प्रकरण होंगे… एक दिव्यांग का केस आया तो स्थानांतरण आदेश निरस्त किया था। सेवानिवृत्ति वाले या एक साल पहले ही जिनका ट्रांसफर हुआ होगा, ऐसे प्रकरण मेरे संज्ञान में लाते हैं तो उनका आदेश भी निरस्त किया जाएगा।
डॉक्टरों को फोन कर डराया जा रहा है?
डॉक्टरों को डरने की जरूरत नहीं है। मैं साथ हूं, किसी के कहने पर ‘रिचार्ज मत करिए।



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