एक के बाद एक मुकदमे… खत्म होने का नाम नहीं ले रही सुब्रत रॉय की टेंशन, Sahara India का पूरा मामला क्या है?
पिछले दिनों सहारा इंडिया कंपनी और उसके प्रमुख सुब्रत रॉय सहारा की मुश्किलें बढ़ गईं। SEBI ने सहारा हाउसिंग इन्वेस्टमेंट कॉर्पोरेशन और उसके मुखिया सुब्रत को नोटिस भेज 15 दिनों के अंदर 6 करोड़ 48 लाख रुपये जमा करवाने का आदेश दिया था। उनके खिलाफ नई मुसीबत अब राजस्थान से आई है। अजमेर में कंपनी और मालिक सहित 22 लोगों के खिलाफ केस दर्ज हुआ है।
पूर्व कर्मचारी ने कराया अजमेर में केस
सहारा कंपनी से जुड़ी रहीं आरती अग्रवाल राय ने अजमेर के विजय नगर थाने में FIR करवाई है। आरती ने सहारा कंपनी, कंपनी के मालिक सुब्रत रॉय सहारा, उनकी वाइफ स्वप्ना रॉय सहित 22 लोगों के खिलाफ धोखाधड़ी का केस दर्ज कराया है। शिकायत में आरती ने कहा है कि वह कंपनी के साथ मोटिवेटर के तौर पर कार्यरत थीं। उनके जरिए कई लोगों ने सहारा की योजनाओं में निवेश किया। खुद उनके ही परिवार वालों ने भी इस योजना में निवेश किया।
बिहार में जारी हुआ गैर-जमानती वॉरंट
इसके पहले बिहर के नालंदा जिले की कन्ज्यूमर कोर्ट ने सुब्रत रॉय के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया था। सहारा बैंकिंग में निवेशक ने नालंदा उपभोक्ता कोर्ट में सुब्रत रॉय के खिलाफ केस दाखिल किया था। यह मामला सहारा बैंकिंग में निवेश को लेकर गड़बड़ी से जुड़ारहा। एक निवेशक ने सुब्रत रॉय के खिलाफ कंज्यूमर कोर्ट में केस दाखिल किया था। इस मामले में रॉय को कई बार समन जारी किया हुआ लेकिन वह नहीं पहुंचे। इसके बाद कोर्ट ने उनके खिलाफ NBW जारी कर दिया। बिहार पुलिस इसके बाद लखनऊ में सहाराश्री की तलाश में पहुंची थी।
लखनऊ सहारा सिटी में पहुंची पुलिस फोर्स
लखनऊ में सहारा सिटी में सुब्रत की तलाश में दबिश दी गई। गोमती नगर इलाके में बने सहाराश्री के आवास पर 12 थानों की पुलिस फोर्स भी मौजूद थी। दरअसल, सहारा की योजनाओं में निवेश करने वाले आज तक परेशान चल रहे हैं। अभी तक निवेशकों को उनके रुपये वापस नहीं मिल सके हैं। सहाराश्री पर भरोसा करने वाले निवेशक रोज आंसू बहाने पर मजबूर हैं।
उन्नाव में सुप्रीम कोर्ट के वकील ने कराया केस
इसके एक सप्ताह के बाद ही उन्नाव में सुब्रत रॉय सहित 44 लोगों के खिलाफ उन्नाव की सदर कोतवाली में सुप्रीम कोर्ट के वकील अजय टंडन ने मुकदमा दर्ज कराया। उनके खिलाफ करोड़ों रुपये के गबन और धोखाधड़ी करने का आरोप लगाते हुए केस दर्ज कराया गया था। तहरीर के आधार पर केस दर्ज करते हुए अब इस केस की जांच पड़ताल में पुलिस जुट गई है। मुकदमा दर्ज होने के बाद सहारा कंपनी में काम करने वाले एंजेटों में भी हड़कंप मचा है। वकील ने केस में अवैध लोन, अवैध निवेश, अवैध शेयर कैपिटल, फर्जीवाड़े का जिक्र किया।
ऋषिकेश में दर्ज हुआ धोखाधड़ी का मामला
अभी जनवरी महीने में ही एक सप्ताह पहले उत्तराखंड के ऋषिकेश में भी सुब्रत रॉय के खिलाफ धोखाधड़ी का केस दर्ज किया गया। सहारा इंडिया की 4 सोसाइटी में लाखों रुपये के इन्वेस्टनेंट का भुगतान नहीं होने से परेशान एक एजेंट ने पुलिस को तहरीर दी। पौड़ी गढ़वाल के कलोड़ी गांव निवासी नरेंद्र नेगी ने कोतवाली में तहरीर देकर बताया कि उन्होंने सहारा इंडिया की सहारा क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसायटी, हमारा इंडिया क्रेडिट सोसायटी, सहारियन यूनिवर्सल मल्टी परपज सोसायटी और स्टार मल्टी परपज सोसायटी में लोगों से लाखों रुपये का निवेश करवाया था। पुलिस ने संबंधित धाराओं में केस दर्ज कर लिया है।
वहीं राजस्थान वाले मामले में आरती ने ढाई करोड़ रुपये के गबन का आरोप लगाते हुए कहा कि लोगों ने अपने बच्चों की पढ़ाई, बेटी की शादी, घर बनवाने के लिए इन योजनाओं में निवेश किया था। अब उनका पैसा फंस गया है। जिनका पैसा फंसा है, वे लोग मुझे घर आकर धमकी दे रहे हैं। मुझे और मेरे परिवार को धमकाया जा रहा है। कंपनी के कारण उनकी दिक्कत बढ़ गई है।
अजमेर में धोखाधड़ी सहित 13 धाराओं में मुकदमा दर्ज करवाया है। महिला की शिकायत पर थानाधिकारी दिनेश चौधरी केस की जांच कर रहे हैं। गौरतलब है कि यह कोई पहला मामला नहीं है, जब धोखाधड़ी के मामले में सहारा और कंपनी के मालिक सुब्रत रॉय पर केस दर्ज हुआ है। देशभर में उन पर दर्जनों केस दर्ज हैं। सहारा में निवेश का पैसा फंस जाने के कारण निवेशक कंपनी पर केस दर्ज करवा रहे हैं।
गायब होता चला गया वो स्टारडम….
एक वक्त ऐसा भी था, जब सहारा देश की बड़ी प्राइवेट कंपनियों में से एक होती थी। इनमें 11 लाख से ज्यादा कर्मचारी जुड़े हुए थे। पॉलिटिकल जगत से लेकर बॉलिवुड के सितारे नाचते थे। सहारा इंडिया का बिजनस रियल एस्टेट, फाइनेंस, , हॉस्पिटैलिटी, रिटेल, इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी, इंफ्रास्ट्रक्चर, मीडिया एंड एंटरटेनमेंट, हेल्थ केयर से लेकर स्पोर्ट्स तक फैला था। 11 सालों तक यह ग्रुप टीम इंडिया का स्पॉन्सर रहा। IPL में पुणे वॉरियर्स टीम के मालिक भी सुब्रत रॉय सहारा थे।
2009 में सहारा के दिन फिरने शुरू हुए
सहाराश्री की दिक्कत 30 सितंबर 2009 में शुरू हुई। सहारा ग्रुप की एक कंपनी सहारा प्राइम सिटी ने अपने आईपीओ के लिए सेबी में आवेदन (DRHP) दाखिल किया था। डीआरएचपी में कंपनी से जुड़ी सारी अहम जानकारी होती है। जब सेबी ने इस डीआरएचपी का अध्ययन किया, तो सेबी को सहारा ग्रुप की दो कंपनियों की पैसा जुटाने की प्रक्रिया में कुछ गलतियां दिखीं। ये दो कंपनियां SHICL और SIRECL ही थीं। इसी दौरान 2009 और 2010 को सेबी को दो शिकायतें मिलीं।
इनमें कहा गया कि सहारा की कंपनियां वैकल्पिक पूर्ण परिवर्तनीय डिबेंचर (OFCDs) जारी कर रही है और गलत तरीके से धन जुटा रही है। इन शिकायतों से सेबी की शंका सही साबित हुई। इसके बाद सेबी ने इन दोनों कंपनियों की जांच शुरू कर दी। सेबी ने पाया कि SIRECL और SHICL ने ओएफसीडी के जरिए दो से ढ़ाई करोड़ निवेशकों से करीब 24,000 करोड़ रुपये जुटाए हैं। सेबी ने सहारा की इन दोनों कंपनियों को पैसा जुटाना बंद करने का आदेश दिया और कहा कि वह निवेशकों को 15 फीसदी ब्याज के साथ उनका पैसा लौटाए। मामला हाई कोर्ट से होता हुआ सु्प्रीम कोर्ट तक पहुंचा।