एंकर रोहित रंजन को पकड़ने गाजियाबाद आई छत्तीसगढ़ पुलिस कैसे हाथ मलती रह गई, हाई वोल्टेड ड्रामे की पूरी कहानी

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एंकर रोहित रंजन को पकड़ने गाजियाबाद आई छत्तीसगढ़ पुलिस कैसे हाथ मलती रह गई, हाई वोल्टेड ड्रामे की पूरी कहानी

एंकर रोहित रंजन को पकड़ने गाजियाबाद आई छत्तीसगढ़ पुलिस कैसे हाथ मलती रह गई, हाई वोल्टेड ड्रामे की पूरी कहानी

गाजियाबाद/नोएडा: गाजियाबाद के अहिंसा खंड स्थित निहो स्कॉटिश सोसायटी में न्यूज एंकर रोहित रंजन के फ्लैट पर मंगलवार सुबह 5 बजे हाई वोल्टेज ड्रामा हो गया। हाल ही में कांग्रेस नेता राहुल गांधी को लेकर दिखाई गई एक न्यूज को लेकर एफआईआर दर्ज करने के बाद छत्तीसगढ़ पुलिस न्यूज एंकर को अरेस्ट करने पहुंची थी। 3 कारों में करीब 14 पुलिसकर्मी सादी वर्दी में यहां आए। आरोप है कि इस दौरान पुलिस ने सोसायटी के गार्ड, सुपरवाइजर और गनमैन के साथ मारपीट की और उन्हें बंधक बना लिया। इसके बाद पुलिसकर्मी गार्ड को लेकर रोहित रंजन के फ्लैट पर पहुंचे। सूचना पर आरडब्ल्यूए अध्यक्ष और गाजियाबाद पुलिस भी मौके पर पहुंच गई। लेकिन इससे पहले की छत्तीसगढ़ पुलिस एंकर को अपने साथ ले जाती, उससे पहले नोएडा पुलिस पहले से दर्ज एक मामले में उन्हें अपने साथ ले गई। इसके बाद मामले में गार्ड ने गाजियाबाद पुलिस को छत्तीसगढ़ पुलिस के खिलाफ केस दर्ज करने के लिए शिकायत दी है।

जी न्यूज चैनल के पत्रकार रोहित रंजन अंहिसा खंड की निहो स्कॉटिश सोसायटी में परिवार के साथ रहते हैं। मंगलवार सुबह 3 गाड़िय़ों में भरकर एक डिप्टी एसपी के नेतृत्व में दो निरीक्षकों के साथ लगभग 14 छत्तीसगढ़ पुलिसकर्मियों ने रोहित रंजन के यहां दबिश दी। इस दौरान सोसायटी के गेट पर मौजूद सिक्यॉरिटी इंचार्ज समेत किसी को भी कुछ नहीं बताया। आरोप है कि पूछने पर उन्हें बंधक बना लिया गया। इस दौरान खूब धक्कमुक्की हुई।

इसी बीच गाजियाबाद पुलिस की तरफ से चौकी इंचार्ज कनावनी पुलिस बल के साथ पहुंचे। फिर चौकी प्रभारी अमित कुमार ने बगैर वर्दी, बगैर नेम प्लेट और बगैर स्थानीय पुलिस को सूचना दिए आने पर छत्तीसगढ़ पुलिस को जमकर कानून का पाठ पढ़ाया। हालांकि मामला हाईलाइट होते ही पहले दर्ज एक केस को लेकर नोएडा पुलिस भी मौके पर पहुंच गई। इस दौरान नोएडा और छत्तीसगढ़ पुलिस के बीच भी नोंकझोंक हुई। बाद में नोएडा पुलिस रोहित रंजन को अपने साथ ले जाने में कामयाब रही और छत्तीसगढ़ पुलिस हाथ मलते हुए वापस लौट गई।

सिक्यॉरिटी इंचार्ज ने दी तहरीर
सिक्यॉरिटी इंचार्ज कपिल त्यागी ने 15-20 अज्ञात लोगों कि खिलाफ इंदिरापुरम थाने में तहरीर दी है। शिकायती पत्र में आरोप है कि सादी वर्दी में आए पुलिसकर्मियों को जब गेट के अंदर जाने से रोका तो उन्हें व वहां मौजूद सुपरवाइजर विपिन, गनमैन जुगल किशोर, गार्ड माजिद के साथ मारपीट की। सभी के मोबाइल फोन छीनकर उन्हें बंधक बना लिया। कपिल त्यागी ने बताया कि छत्तीसगढ़ पुलिस जबरन घुस गई। पुलिसकर्मी उन्हें अपने साथ रोहित रंजन के फ्लैट पर ले गए। इसी दौरान मौका पाकर उन्होंने सोसायटी आरडब्ल्यूए अध्यक्ष के अलावा डायल 112 पर सूचना दे दी।

त्यागी ने बताया कि पुलिस 3 कारों से आई थी। 2 कार गेट के बाहर खड़ी भी जबकि दिल्ली नंबर की सफेद रंग की एक इनोवा कार जबरन अंदर घुस गई। इनोवा पर टैक्सी नंबर पड़ा हुआ था जबकि दो अन्य कारें प्राइवेट नंबर की थीं। सोसायटी के आरडब्ल्यूए अध्यक्ष नरेश चौकर ने बताया कि सोसायटी में हुई यह घटना पूरी तरह से दुर्भाग्यपूर्ण है। वहां की पुलिस ने यहां आने के दौरान कायदे-कानूनों की जमकर धज्जियां उड़ाईं। दबिश देने आई छत्तीसगढ़ पुलिस के किसी भी व्यक्ति के पास न तो वर्दी थी और न ही उनकी कोई नेम प्लेट नजर आ रही थी।

FIR दर्ज कर 16 मिनट में पहुंची पुलिस
नोएडा के सेक्टर-20 थाने में सुबह 8:30 बजे एफआईआर दर्ज हुई। एफआईआर में दी गई शिकायत में दो नाम थे। पुलिस ने जांच शुरू की और शिकायत में जिनके नाम थे उन तक पुलिस पहुंची भी नहीं कि जान गई कि तीसरा व्यक्ति कौन है, जिससे जानकारी सामने आ सकती है। फिर उस तीसरे शख्स का पता निकाल लिया। दो टीमें बन गई इसके बाद 10 किलोमीटर से ज्यादा की दूरी तय कर 8:46 बजे इंदिरापुरम पहुंच गई। यह सब महज 16 मिनट के अंदर हो गया।

पुलिस ने यह एफआईआर मीडिया समूह प्रबंधन से जुड़े एक व्यक्ति की तरफ से दर्ज करवाए जाने की जानकारी दी है। एफआईआर का नंबर-273 बताया गया है, जिसकी जांच में ही न्यूज एंकर रोहित रंजन को अपने साथ लिया है। यही नहीं आगे की तेजी और देखने लायक है कि रोहित रंजन से केस में जानकारी लेने के लिए नोएडा पुलिस छत्तीसगढ़ की पुलिस से भी भिड़ गई। सुबह थाने से निकली पुलिस की दोनों टीमें इंदिरापुरम से न्यूज एंकर को साथ लेकर तो वहां से निकली, लेकिन देर शाम तक थाने नहीं पहुंची। अलग-अलग ठिकानों पर ले जाकर दर्ज एफआईआर की जांच से जुड़ी जानकारी ली।

एडीसीपी नोएडा रणविजय सिंह ने बताया कि शिकायत में जो दो नाम प्रोड्यूसर के बताए गए हैं अभी उनसे कोई पूछताछ या जानकारी नहीं ली गई है। पुलिस अधिकारियों ने बताया कि जांच में न्यूज एंकर से जानकारी ली जा रही है। यह भी स्पष्ट किया कि जब तक जानकारी जरूरी होगी पुलिस लेगी। पुलिस सूत्रों के मुताबिक यह बात सामने आई है कि दोनों प्रोड्यूशर के पास खबर से जुड़े कुछ तथ्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से आए थे। ऐसे में केस की जांच सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म की तरफ भी बढ़ सकती है। इसके साथ ही आईटी एक्ट व अन्य धाराएं भी जोड़ी जाएंगी।

चक्कर काटती रही छत्तीसगढ़ पुलिस
नोएडा पुलिस इंदिरापुरम से न्यूज एंकर रोहित रंजन को तेजी से अपने साथ लेकर आई। इसके बाद पुलिस की दोनों टीमें अलग-अलग हो गई। एक टीम खोड़ा मोड़ से होकर सेक्टर-62 में पहुंची। दूसरी टीम सीधे सेक्टर-71 अंडरपास से होते हुए पर्थला की तरफ निकल गई। इसके बाद पीछे से छत्तीसगढ़ पुलिस वहां से निकली। छत्तीसगढ़ पुलिस को जानकारी मिली कि नोएडा पुलिस न्यूज एंकर को लेकर सूरजपुर कोर्ट गई है। छत्तीसगढ़ पुलिस सूरजपुर गई वहां कोई जानकारी नहीं मिली। इसके बाद पुलिस की दोनों टीमों की लोकेशन सेक्टर-18, 14 ए, सेक्टर-58 समेत अन्य जगहों पर बदलती रही।

छत्तीसगढ़ पुलिस सेक्टर-20 थाने, पुलिस कमिश्नरेट ऑफिस समेत डीसीपी, एडीसीपी समेत अन्य जगहों पर पहुंची, लेकिन कोई जानकारी नहीं मिली। नोएडा पुलिस के अधिकारियों ने देर शाम तक न्यूज एंकर से केस में जानकारी लिए जाने की बात कही। छत्तीसगढ़ पुलिस की टीम भी शहर में बनी हुई है। सूत्रों की माने तो छत्तीसगढ़ पुलिस की और टीमें भी इस प्रकरण में नोएडा आ सकती हैं।

ट्विटर पर भी चलते रहे शब्दों के वार
रोहित ने इस दौरान मदद के लिए सुबह 6 बजकर 16 मिनट पर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के अलावा एसएसपी गाजियाबाद व एडीजी जोन लखनऊ को भी ट्वीट कर जानकारी दी। ट्वीट में रोहित रंजन ने लिखा है कि बिना लोकल पुलिस को जानकारी दिए वहां से पुलिस मेरे घर के बाहर मुझे अरेस्ट करने के लिए खड़ी है, क्या ये कानूनन सही है? पत्रकार के टवीट के बाद गाजियाबाद पुलिस ने भी तत्काल रिप्लाई करते हुए जवाब दिया कि उक्त मामला संज्ञान में है। गाजियाबाद पुलिस मौके पर मौजूद है। नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।

उधर, छत्तीसगढ़ पुलिस ने भी ट्वीट का जबाव दिया। छत्तीसगढ़ पुलिस ने लिखा कि सूचित करने के लिए इस प्रकार को कोई नियम नहीं है। फिर भी अब उन्हें सूचित किया जाता है। पुलिस टीम ने आपको कोर्ट से जारी गिरफ्तारी वॉरंट भी दिखाया है। आपको वास्तव में सहयोग करना चाहिए, जांच में शामिल होना चाहिए और अपना बचाव अदालत में रखना चाहिए।

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