इस बैंक में पैसा लगाने वाले बर्बाद, क्यों याद आ रहा है Yes Bank

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इस बैंक में पैसा लगाने वाले बर्बाद, क्यों याद आ रहा है Yes Bank

इस बैंक में पैसा लगाने वाले बर्बाद, क्यों याद आ रहा है Yes Bank


नई दिल्ली: दुनिया ग्लोबल बैंकिंग सकंट के जूझ रहा है। अमेरिका और यूरोप के बैंक बैंकिंग संकट से गुजर रहे हैं। बीते दो हफ्तों में अमेरिका के बड़े बैंक सिलिकॉन वैली बैंक (Silicon Valley Bank), सिग्नेचर बैंक बर्बाद हो गए। स्विट्जरलैंड का क्रेडिट स्विस बैंक (Credit Suisse) दिवालिया हो चुका है। भले ही UBS बैंक ने क्रेडिट स्विस को खरीदने की घोषणा की है। भले ही इस घोषणा ने क्रेडिट सुइस को जीवनदान दे दिया, लेकिन लाखों निवेशकों की हालत खराब हो गई। उनके अरबों रुपये इस खबर के आने के बाद चंद मिनटों में स्वाहा हो गए। दरअसल रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, यूएसबी बैंक के हाथों विलय के साथ क्रेडिट स्विस अपने एडिशनल टियर-1 बॉन्ड्स यानी AT-1 Bonds को बट्टे-खाते में डालने का ऐलान किया है।

अरबों रुपये स्वाहा

क्रेडिट स्विस के इस ऐलान के बाद लाखों निवेशकों के अरबों रुपये बर्बाद हो गए। एटी-1 बॉन्ड्स को राइट डाउन कर जीरो करने के क्रेडिट स्विस के ऐलान ने लाखों निवेशकों की चिंता बढ़ा दी है। स्विस रेगुलेटर फिनमा के आदेश के बाद क्रेडिट स्विस ने ये फैसला लिया। इस खबर ने क्रेडिट स्विस के इन बॉन्ड्स की वैल्यू को जीरो कर दिया। आपको बता दें कि एटी-1 बॉन्ड्स की कुल कीमत 17.24 अरब डॉलर यानी करीब 1 लाख 42 हजार 492 करोड़ रुपये है। अब इसकी वैल्यू जीरों हो गई है।

क्यों याद आया Yes Bank ?

क्रेडिट स्विस के इस फैसले ने लोगों को Yes Bank की याद दिला दी है। मार्च 2020 में बर्बादी के कगार पर पहुंच चुके यस बैंक ने भी अपने एडिशनल टियर-1 (AT-1) को बट्टे खाते में डाल दिया था। इसका मतलब है कि इन बॉन्ड्स को खरीदने वाले निवेशकों को ना तो मूलधन मिलता है और ना ही बैंक उन्हें ब्याज देगी। यानी निवेशकों का पूरा पैसा डूब जाएगा। क्रेडिट स्विस के इस ऐलान के बाद लोगों को यसबैंक की याद आ रही है। सोशल मीडिया पर लोग इसे लेकर अपनी बातें रख रहे हैं।

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क्या था Yes Bank का मामला ?

भारत में यस बैंक घोटाले में इसी तरह के बॉन्डधारकों को झटका लगा था। मार्च 2020 में आरबीआई ने मुश्किल वक्त से गुजर रहे यस बैंक को रीस्ट्रक्चरिंग स्कीम के तहत अपने AT1 बॉन्ड्स को राइट ऑफ करने का आदेश दिया। आरबीआई ने ये फैसला बैंक को बचाने के लिया, क्योंकि बैंक के पास पैसा बचा नहीं था कि वो बॉन्ड धारकों का भुगतान कर सके। आरबीआई की सहमति से यस बैंक ने 8,415 करोड़ रुपये के AT-1 बॉन्ड्स को बट्टे खाते में डालते हुए उसकी वैल्यू जीरो कर दी। इन बॉन्ड में निवेश करने वाले लोगों के करोड़ों रुपये स्वाहा हो गए। हालांकि ये मामला कोर्ट में पहुंच गया।

क्या होते हैं AT-1 बॉन्ड्स

एडिशनल टियर-1 बॉन्ड्स ऐसे बॉन्ड होते हैं, जिनकी मैच्योरिटी पीरियड नहीं होती। इस बॉन्ड में निवेश जोखिम से भरा होता है। ये असुरक्षित बॉन्ड होते हैं और इसलिए इस पर ब्याज भी अधिक मिलता है। बैंक अपने कैपिटल को बढ़ाने के लिए इन बॉन्ड्स को जारी करते हैं। बैंक इसे जारी करने के बाद वापस नहीं ले सकती है। इतना ही नहीं बैंक इसके ब्याज भुगतान को रोकने का भी अधिकार रखती है। अगर किसी बैंक की कुल पूंजी एक तय सीमा से नीचे चली जाती है तो बैंक इन बॉन्ड को या तो शेयरों में कनवर्ट कर सकती है या फिर इनकी वैल्यू जीरो कर देती है। अधिक ब्याज के चक्कर में निवेशक इस बॉन्ड में खतरा उठाते हुए निवेश करते हैं।

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