इन 6 फिल्मों पर टिकी हैं साउथ से बॉलिवुड तक की उम्मीदें, कौन मारेगा बाजी और किसे मिलेगी मात?

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इन 6 फिल्मों पर टिकी हैं साउथ से बॉलिवुड तक की उम्मीदें, कौन मारेगा बाजी और किसे मिलेगी मात?

पिछले कुछ अरसे में ‘स्पाइडरमैन’ व ‘डॉक्टर स्ट्रेंज’ जैसी हॉलिवुड फिल्मों और ‘पुष्पा’, ‘आरआरआर’ व ‘केजीएफ 2’ जैसी साउथ फिल्मों की बंपर सफलता के बाद हर किसी को लग रहा था कि आजकल दर्शकों को सिर्फ बॉलिवुड की ही फिल्में पसंद नहीं आ रहीं। लेकिन इसी दौरान ‘द कश्मीर फाइल्स’ से लेकर ‘भूल भुलैया 2’ और ‘गंगूबाई’ जैसी बॉलिवुड फिल्मों के दर्शकों को पसंद आने से यह भी साफ हो गया कि बॉलिवुड से दर्शकों की कोई दुश्मनी नहीं है। जानकारों की अगर मानें, तो असली मसला दर्शकों को फिल्म का कंटेंट पसंद आने का है। अगर कंटेंट अच्छा लगेगा तो साउथ से लेकर हॉलिवुड या बॉलिवुड तक कोई भी फिल्म चल सकती है। वहीं अगर कंटेंट पसंद नहीं आए, तो कोई भी फिल्म फ्लॉप हो सकती है। यही वजह है कि कंटेंट पसंद नहीं आने के चलते ही पिछले दिनों साउथ की ‘वलिमै’ से लेकर ‘खिलाड़ी’, ‘बीस्ट’, ‘जेम्स’, ‘ईटी’, ‘विक्रम’, ‘मेजर’ और ‘777 चार्ली’ जैसी फिल्में हिंदी पट्टी में कोई खास कमाल नहीं दिखा पाईं। वहीं बात अगर हॉलिवुड की करें, तो पहले टॉम क्रूज की ‘टॉप गन मेवरिक’ और फिर ‘जुरासिक वर्ल्ड डोमिनियन’ जैसी दोनों ही बड़ी फिल्मों को दर्शकों ने पसंद नहीं किया।

‘इतनी खराब भी नहीं है हालत’

इस बारे में बात करने पर प्रोड्यूसर और फिल्म बिजनेस एनालिस्ट गिरीश जौहर कहते हैं, ‘मैं ऐसा नहीं सोचता। अगर आप फिल्म ‘विक्रम’ को देखेंगे तो दुनियाभर में उसने 300 करोड़ कर गई है। वहीं ‘टॉप गन’ को अगर आप ‘स्पाइडर मैन’ जैसी फिल्मों से तुलना करेंगे तो ये नाइंसाफी होगी। यह एक अर्बन इंग्लिश फिल्म है। मुझे लगता है कि उसे हिंदी के अलावा बाकी दूसरी भाषाओं में भी डब करना चाहिए था। वैसे तो उसे हिंदी में भी डब करने की भी जरूरत नहीं थी। अगर मैं सिर्फ अंग्रेजी फिल्म के नजरिए से देखूं, तो 30 करोड़ की कमाई काफी अच्छी थी। सम्राट पृथ्वीराज का तो हम सबको पहले से ही अंदाजा था कि क्या कुछ होगा।’

टिकटों के रेट महंगे हैं तो..
‘मुझे लगता है कि सब कुछ खराब नहीं हो रहा, लेकिन जो फिल्में ठीक हैं, वो अच्छा कर रही हैं। हिंदी में उतनी अच्छी कमाई नहीं हो रही, उस बात को मैं मानता हूं। हाल में आई जनहित में जारी अच्छी फिल्म थी, लेकिन उसको अच्छी मार्केटिंग नहीं मिली। तो मुझे लगता है कि दर्शक तो आ रहे हैं, लेकिन उन्हें पसंद की चीजें नहीं मिल रहीं। भूल भुलैया 2 को ही देख लीजिए, यह अब तक 175 करोड़ की कमाई कर चुकी है। सीधा फंडा यह है कि दर्शकों को जो अच्छा मिलेगा वे उसे देखेंगे। कमल हासन की हिंदी में 5 करोड़ कमा रही है तो ये भी कोई बुरे नंबर नहीं हैं। टिकट के रेट भी काफी महंगे हो गए हैं, तो उस हिसाब से लोगों को अच्छा मनोरंजन भी चाहिए, चाहे फिर वह किसी भी भाषा की फिल्म से मिले। अब दर्शकों को सिर्फ और सिर्फ अच्छा सिनेमा चाहिए।’

बढ़ी हैं सिनेमावालों की चिंता
कोविड के बाद सिनेमावालों को उम्मीद थी कि उनका बिजनेस कोविड के पहले वाले दौर से ज्यादा होगा। इस बारे में गिरीश कहते हैं, ‘अगर आप बिजनेस का ट्रेंड ही देखें तो कोविड के दौरान भी मैंने कहा था कि जब सब सामान्य हो जाएगा, तो हमारा मार्केट 20 प्रतिशत ज्यादा रहेगा। तो अभी वो ही चल रहा है। अनेक अगर 50 करोड़ ना कमा कर 20-30 करोड़ कमाती है और भूल भुलैया 2 से सवा सौ करोड़ की उम्मीद थी और वो पौने दो सौ करोड़ कमाती है, तो ऐसा हुआ है। बॉक्स ऑफिस पर दर्शक हैं और सिनेमा का क्रेज तो है, लेकिन अभी वो बैलेंस नहीं आया है।’

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आने वाली फिल्मों से उम्मीद
‘कोविड के भूचाल से अभी हम निकले नहीं हैं। आने वाली फिल्मों की अगर बात करें, तो अब लाल सिंह चड्ढा से उम्मीद है और रक्षा बंधन का ट्रेलर आएगा, तो पता चलेगा। जुग जुग जियो को लेकर अभी दर्शक इंतजार कर रहे हैं। इस फिल्म का कान्सेप्ट लोगों को पसंद आया है। एग्जीबिटर्स के नजरिए से देखा जाए, तो अगर हॉलिवुड की थॉर वीकेंड भी रुक गई तो उनके लिए अच्छा होगा। जुग जुग जियो को अच्छी शुरुआत मिल जाएगी, तो भी बेहतर है। वहीं मिशन इम्पॉसिबल फ्रेंचाइजी की अगली फिल्म को भी अच्छी शुरुआत मिलने की उम्मीद है। उधर विजय देवरकोंडा की लाइगर भी बॉक्स ऑफिस पर अच्छा कर सकती है।’



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