इनकम टैक्स चोरों से 11 लाख करोड़ की वसूली नहीं हो सकी, भ्रष्टाचार पर ऐसे लगेगी लगाम?

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इनकम टैक्स चोरों से 11 लाख करोड़ की वसूली नहीं हो सकी, भ्रष्टाचार पर ऐसे लगेगी लगाम?

इनकम टैक्स चोरों से 11 लाख करोड़ की वसूली नहीं हो सकी, भ्रष्टाचार पर ऐसे लगेगी लगाम?


नई दिल्ली : सरकार को पता है कि इनकम टैक्स की चोरी हुई है। लेकिन चोरों से टैक्स की वसूली मुश्किल है। यानी जो पैसा सरकार के खजाने में जाना चाहिए वो डूब रहा है। ये रकम कोई 100-200 करोड़ या 10-20 हजार करोड़ नहीं, बल्कि 10 लाख करोड़ रुपये के करीब है। और ये हम नहीं कह रहे कि इस बकाये इनकम टैक्स की रिकवरी मुश्किल है। ये कहना है नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक यानी CAG का। संसद में मंगलवार को रखी गई सीएजी की रिपोर्ट के मुताबिक, 2017-18 तक ही इनकम टैक्स एरियर यानी पहले से चला आ रहा बकाया टैक्स 11.1 लाख करोड़ रुपये का था। खुद इनकम टैक्स विभाग का मानना है कि इनमें से 98 प्रतिशत की वसूली मुश्किल है। विभाग ने इसे ‘डिफिक्ट टु रिकवर’ बताया है।

डायरेक्ट टैक्सेज के सीएजी ऑडिट में खुलासा हुआ है कि इनकम टैक्स सर्च और कर चोरी की रिकवरी के लिए प्रॉपरी अटैच करने के शुरुआती आदेश के बीच 208 दिनों से लेकर 1,220 दिनों का गैप रहता है। वजह ये है कि प्रोविजन अटैचमेंट ऑर्डर जारी करने के लिए कोई समयसीमा तय नहीं है। सीएजी ने कहा है, ‘असेसमेंट पूरा होने से पहले प्रॉपर्टी का अटैचमेंट इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के हाथ में ऐसा मजबूत हथियार है जो टैक्स चोरी की कोशिश करने वालों से वसूली में इस्तेमाल होता है।’

अगर बकाए इनकम टैक्स की बात करें तो 2013-14 तक ये रकम 5 लाख 75 हजार करोड़ थी जो 2017-18 तक बढ़कर 11,14,182 करोड़ रुपये हो गई। 2013-14 में जहां 96 प्रतिशत टैक्स एरियर को ‘वसूल करने में मुश्किल’ माना गया था वहीं, 2017-18 तक कुल टैक्स एरियर की 98 प्रतिशत रकम को ‘वसूल करने में मुश्किल’ माना गया।

सीएजी ने सेन्ट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेज (CBDT) को सिफारिश की है कि संपत्तियों के अटैचमेंट के लिए स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (SOP) तैयार किया जाए जिसका कड़ाई से पालन हो। इससे असेसिंग अफसर इनकम टैक्स कनून के प्रावधानों का मनमाना इस्तेमाल नहीं कर पाएंगे।

सीएजी ने अपनी रिपोर्ट में ये भी कहा है कि संपत्तियों के अटैचमेंट में गलतियां भी होती हैं। जब्ती के लिए संपत्तियों की पहचान की प्रक्रिया में भी खामियां हैं जिससे प्रॉपर्टी अटैचमेंट की कार्रवाई उतनी कारगर नहीं रहती।

रिपोर्ट में बताया गया है सेक्शन 281 बी (अटैचमेंट ऑफ प्रॉपर्टीज) के तहत जारी तमाम आदेश की वैधता तिथि को कई बार टैक्स की पूरी वसूली से पहले ही खत्म हो जाती है या कई बार असेसमेंट की प्रक्रिया पूरी होने से पहले ही खत्म हो जाती है। जबकि ये तय प्रावधानों का उल्लंघन है। रिपोर्ट में यह भी कहा है कि असेसमेंट ऑफिसर संबंधित असेसी के कब्जे वाली सभी संपत्तियों का डीटेल जुटाने में सीबीडीटी के निर्देशों का पूरी तरह पालन नहीं करते। संपत्ति के प्रोविजनल अटैचलमेंट में इन डीटेल पर विचार किया जाता है।

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