इंसान तो इंसान, बेजुबानों पर भी महंगाई की मार, आसमान छू रहे भूसे के दाम, पशुओं के सामने चारे का संकट | Straw Prices on Increase Creating Problems for Gaushala Operators | Patrika News
पशु पालक और गौशालाओं के प्रबंधक महंगा भूसा खरीदने से परेशान हैं। सामान्य तौर पर 550-600 रुपये प्रति क्विंटल बिकने वाला भूसा गेहूं की कटाई के समय 800 से 1000 रुपये प्रति क्विंटल बिक रहा है।
लखनऊ
Published: April 23, 2022 04:55:37 pm
गेहूं के सीजन में निकलने वाला भूसा महंगाई के मामले में रिकॉर्ड तोड़ रहा है। बढ़े हुए दामों का असर पशुपालकों पर भी पड़ रहा है। जानवरों के लिए चारा खरीदने का संकट खड़ा हो गया है। पशु पालक और गौशालाओं के प्रबंधक महंगा भूसा खरीदने से परेशान हैं। सामान्य तौर पर 550-600 रुपये प्रति क्विंटल बिकने वाला भूसा गेहूं की कटाई के समय 800 से 1000 रुपये प्रति क्विंटल बिक रहा है। कीमतों में उछाल पिछले एक वर्ष से आना शुरू हुआ है जो कि पशुपालकों के लिए मुसीबत बन गया है। भूमिहीन पशु पालक जो दूध बेचकर गुजारा करते हैं, वह अधिक परेशान हैं। भूसे के साथ ही पशु आहार की कीमतें भी आसमान छू रही हैं। ऐसे में पशुपालन महंगा सौदा साबित हो रहा है।
Straw Prices on Increase Creating Problems for Gaushala Operators
खर्च बढ़ने पर बढ़े दूध के दाम भूसा महंगा होने पर पशुपालकों का खर्च बढ़ रहा है। इस पर पशुपालकों ने दूध के दाम बढ़ा दिए हैं। दूध के दाम बढ़ने से पहले से ही महंगाई की मार झेल रहे आम आदमी के लिए मुसीबत बढ़ गई है। लखनऊ से किसान रवि सिंह कहते हैं कि उनके गांव में ही दो महीने पहले तक भूसा 2000 रुपये प्रति क्विंटल बिकता था। इस समय गेहूं की ज्यादातर कटाई हो चुकी है। इसके बावजूद 1000 रुपये प्रति क्विंटल भूसा बिक रहा है। कुछ महीने पहले 3000 रुपये प्रति क्विंटल तक थी।
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मुसीबत में गोवंश संचालक कान्हा उपवन के प्रबंधक यतींद्र कहते हैं कि उनके यहां 10 हजार गोवंश है। प्रति गोवंश चार किलो ग्राम भूसा और 1.5 किलोग्राम चोकर खिलाना होता है। रोजाना 400 क्विंटल भूसे की खपत है। लखनऊ के आसपास गेहूं बहुत कम है। ऐसे में इस बार भूसे की खरीद में परेशानी हुई थी। गाय पालने में भी परेशानी हो रही है। इधर-उधर से चंदा लेकर गाय पल रही है। भूसे के रेट बढ़ने पर गौशाला चलाना ही मुश्किल हो गया है।
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दाम बढ़ने की वजह भूसे के रेट बढ़ने के कई मुख्य कारण हो सकते हैं। इस साल गेहूं का रकबा ही कम हुआ। ज्यादातर लोगों ने सरसों की बोआई कर ली। इससे भूसे की कमी हुई, रेट बढ़ने शुरू हो गए। दूसरी वजह ये भी है कि लोग अब हाथ की बजाय मशीन से गेहूं काटने में लगे हैं। मशीन से ऊपर-ऊपर की कटाई की जाती है और पुआल खेत में जला दिया जाता है।
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पशु पालक और गौशालाओं के प्रबंधक महंगा भूसा खरीदने से परेशान हैं। सामान्य तौर पर 550-600 रुपये प्रति क्विंटल बिकने वाला भूसा गेहूं की कटाई के समय 800 से 1000 रुपये प्रति क्विंटल बिक रहा है।
लखनऊ
Published: April 23, 2022 04:55:37 pm
गेहूं के सीजन में निकलने वाला भूसा महंगाई के मामले में रिकॉर्ड तोड़ रहा है। बढ़े हुए दामों का असर पशुपालकों पर भी पड़ रहा है। जानवरों के लिए चारा खरीदने का संकट खड़ा हो गया है। पशु पालक और गौशालाओं के प्रबंधक महंगा भूसा खरीदने से परेशान हैं। सामान्य तौर पर 550-600 रुपये प्रति क्विंटल बिकने वाला भूसा गेहूं की कटाई के समय 800 से 1000 रुपये प्रति क्विंटल बिक रहा है। कीमतों में उछाल पिछले एक वर्ष से आना शुरू हुआ है जो कि पशुपालकों के लिए मुसीबत बन गया है। भूमिहीन पशु पालक जो दूध बेचकर गुजारा करते हैं, वह अधिक परेशान हैं। भूसे के साथ ही पशु आहार की कीमतें भी आसमान छू रही हैं। ऐसे में पशुपालन महंगा सौदा साबित हो रहा है।
Straw Prices on Increase Creating Problems for Gaushala Operators
खर्च बढ़ने पर बढ़े दूध के दाम भूसा महंगा होने पर पशुपालकों का खर्च बढ़ रहा है। इस पर पशुपालकों ने दूध के दाम बढ़ा दिए हैं। दूध के दाम बढ़ने से पहले से ही महंगाई की मार झेल रहे आम आदमी के लिए मुसीबत बढ़ गई है। लखनऊ से किसान रवि सिंह कहते हैं कि उनके गांव में ही दो महीने पहले तक भूसा 2000 रुपये प्रति क्विंटल बिकता था। इस समय गेहूं की ज्यादातर कटाई हो चुकी है। इसके बावजूद 1000 रुपये प्रति क्विंटल भूसा बिक रहा है। कुछ महीने पहले 3000 रुपये प्रति क्विंटल तक थी।
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मुसीबत में गोवंश संचालक कान्हा उपवन के प्रबंधक यतींद्र कहते हैं कि उनके यहां 10 हजार गोवंश है। प्रति गोवंश चार किलो ग्राम भूसा और 1.5 किलोग्राम चोकर खिलाना होता है। रोजाना 400 क्विंटल भूसे की खपत है। लखनऊ के आसपास गेहूं बहुत कम है। ऐसे में इस बार भूसे की खरीद में परेशानी हुई थी। गाय पालने में भी परेशानी हो रही है। इधर-उधर से चंदा लेकर गाय पल रही है। भूसे के रेट बढ़ने पर गौशाला चलाना ही मुश्किल हो गया है।
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