इंदौर में दलितों की पिटाई का मामला, अनुसूचित आयोग का दल पहुंचा जांच करने, पुलिसकर्मियों पर गिरी गाज

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इंदौर में दलितों की पिटाई का मामला, अनुसूचित आयोग का दल पहुंचा जांच करने, पुलिसकर्मियों पर गिरी गाज

इंदौर में दलितों की पिटाई का मामला, अनुसूचित आयोग का दल पहुंचा जांच करने, पुलिसकर्मियों पर गिरी गाज


इंदौर: गौतमपुरा (Indore Crime News) में बीते दिनों जमीनी विवाद में खूनी संघर्ष हुआ था। इसमें एक बुजुर्ग की मौत हो गई थी। घटना में छह लोग घायल हुए थे, जिनका इलाज चल रहा है। मामले में आरोपियों के घर को ध्वस्त कर दिया है। इंदौर ग्रामीण एसपी की शुरुआती जांच में गौतमपुरा टीआई की लापरवाही सामने आई है। इसके बाद उन्हें लाइन अटैच कर दिया गया है। साथ ही दो अन्य पुलिसकर्मियों को सस्पेंड कर दिया गया है।

दरअसल, इंदौर के ग्रामीण इलाके में शामिल गौतमपुरा में कांकवा गांव में अपनी पट्टे की जमीन पर पट्टाधारी मायाराम परिवार के साथ पहुंचा था। इस दौरान कांकवा के ही बाबू सिंह राजपूत के परिवार के 12-15 लोगों ने उन पर जानलेवा हमला कर दिया। इस हमले में नौ लोग घायल हुए थे। गंभीर रूप से घायल सात लोगों को इंदौर रेफर कर किया गया था। इस खूनी संघर्ष में घायल दलित मायाराम की शुक्रवार को इलाज के दौरान मौत हो गई थी।

मायाराम की मौत की सूचना पर से उसके गांव में उसके परिजनों और गांववालों में आक्रोश फैल गया। इसके बाद गांव में पुलिस बल तैनात किया गया। वहीं, मामले को ठंडा करने के लिए पुलिस की मौजूदगी में प्रशासन ने दबंगों के अवैध भवन को चिह्नित कर ध्वस्त करवा दिया। शनिवार को गांव में दलित नेता पहुंचे। पुलिस पर लापरवाही का आरोप लगाया है। दलित नेता पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।

लापरवाही के सबूत मिले

दो दिनों की शुरुआती जांच में पुलिसकर्मियों की लापरवाही सामने आई है। इसके बाद ग्रामीण एसपी ने टीआई गौतमपुरा अरुण सोलंकी को लाइन अटैच कर दिया। वहीं, गंभीर लापरवाही पाए जाने पर एएसआई गोपाल गिरवाल और एक अन्य हवलदार अजय कुमारिया को सस्पेंड कर दिया है। दलित नेताओ ने खूनी संघर्ष की शिकायत अनुसूचित जाति आयोग को भी की थी। शिकायत की गंभीरता को देखते हुए अनुसूचित जाति आयोग का दल मंगलवार को इंदौर पहुंचा। मामले में प्रशासन और पुलिस अफसरों के साथ बैठकर जानकारी भी ली।

जानकारी के मुताबिक गौतमपुरा के कांकवा गांव में लगभग 40 बीघा जमीन को लेकर 1961 से विवाद चल रहा था। दलित परिवार को शासन नो 2002 में इन जमीनों के पट्टे बांटे थे। इसके बाद पट्टाधारी और कब्जाधारी दबंगों के बीच विवाद हुआ था। मामला कोर्ट तक जा पहुंचा था। लंबी लड़ाई के बाद अदालत ने पट्टे धारकों के पक्ष में फैसला सुनाया था। न्यायालय के आदेश पर 22 फरवरी 2023 को पट्‌टेधारियों को कब्जा दिलवाया गया था। कब्जा लेते वक्त फसल खड़ी थी। इसी फसल को काटने पट्‌टेधारी फरियादी वहां पहुंचे थे। इसी दौरान जमीन को लेकर खूनी संघर्ष हो गया।

दलित नेताओं का आरोप था कि विवाद से पहले इसकी आशंका पीड़ित परिवार ने जाहिर की थी। पुलिस ने उसे गंभीरता से नहीं लिया। घटना के बाद भी पुलिस समय से नहीं पहुंची। दबंगों और पुलिस के बीच सांठगांठ के आरोप भी लगाए गए। बहरहाल आयोग भी इस मामले में विस्तृत जांच कर रहा है। अनुसूचित जाति आयोग के सदस्यों के पहुंचने के बाद कुछ पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई की गई है।
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