इंदौर में ठीक हो रहे दिल्ली और मुंबई के हार्ट पेशेंट, बड़ी संख्या में आ रहे यंगस्टर्स | world heart day: Heart patients of Delhi and Mumbai recovering | Patrika News
इस तकनीक का सेंट्रल इंडिया में पहली बार उपयोग हुआ और मरीज को चौथे ही दिन डिस्चार्ज कर दिया गया। इस तरह के कई उदाहरण शहर में सामने आना आम बात हो गई है। इंदौर ने पिछले एक दशक में हृदय रोग के उपचार में राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बना ली है। दिल्ली-मुंबई से कई लोग हृदय रोग संबंधित उपचार के लिए अब इंदौर का रुख कर रहे हैं।
लापरवाही है घातक
सीनियर कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. अल्केश जैन का कहना है कि खाने-पीने में लापरवाही बरतने व समय पर हार्ट संबंधी तकलीफों के लक्षणों को नजरअंदाज करने से स्थितियां घातक हो रही हैं। कई मरीजों की तो मौत तक हो रही है।
हृदय रोग से जुड़ी विशेष बातें -डॉ. एडी भटनागर, सीनियर कॉर्डियोलॉजिस्ट
– स्मोकिंग, जंक फूड व गलत खानपान से जितना जल्दी हो दूर हो जाएं
– 100 में से 3 युवा हृदय रोग के शिकार हो रहे हैं।
– अधिकांश युवा हार्ट अटैक के लक्षणों को पहचान नहीं पाते।
– माता-पिता को अगर कम उम्र में हृदय रोग हो तो बच्चों को भी होने की आशंका रहती है।
– सीने में दर्द जैसे लक्षणों को एसिडिटी या मांसपेशी का दर्द समझकर टाल देते हैं।
– महिलाओं में भी गंभीर लक्षणों को सामान्य समझकर टालने की आदत ज्यादा होती है।
– डायबिटीज होने पर उसे सामान्य लेना, यह हार्ट संबंधी डिसीज का एक फैक्टर है।
– जिम में यदि युवा 10-15 मिनट में थक जाएं और जोड़ों में दर्द होने लगे तो यह गंभीर बात है।
– बुजुर्ग लोग भी लक्षणों को नजरअंदाज करते हैं।
15 से 20 % रोगी बढ़े
सुपर स्पेशिलिटी अस्पताल में युवा मरीजों की संख्या 30% बढ़ गई है। इनमें 14% मरीज तो ऐसे हैं जिन्हें 40 की उम्र तक ही एंजियोप्लास्टी कर स्टेंट डालने की नौबत आ रही है। हर दिन 50 से 60 हृदय रोगी शहर के अस्पतालों में पहुंच रहे हैं। वहीं 20 साल तक के युवाओं की हार्ट सर्जरी हो रही है। स्थिति यह है कि 15 फीसदी हार्ट संबंधी मरीजों में 3 फीसदी युवा हैं।
कोविड भी है एक कारण
डॉक्टरों की मानें तो कोविड से संक्रमित हो चुके मरीजों में यह समस्या ज्यादा हो रही है।
यह लापरवाही हो रही घातक
शहर के हार्ट सर्जन और हार्ट स्पेशलिस्ट का कहना है कि हार्ट डिसीज का उम्र से कोई संबंध नहीं है। युवाओं की बदलती लाइफस्टाइल व लापरवाही इसका कारण हैं। हार्ट डिसीज के लक्षणों को पहचानना बहुत जरूरी है। देर होने या लापरवाही बरतने पर जान भी जा सकती है।
ऐसे बचें हृदय रोग से
-30 की उम्र के बाद समय-समय पर ईसीजी, टीएमटी कराएं।
-छाती के दर्द को गंभीरता से लें।
-जंक फूड व ज्यादा नमक खाने से बचें। शाकाहारी भोजन करें।
-कार्डियेक अरेस्ट इमरजेंसी कंडिशन है, जिसमें हार्ट अचानक काम करना बंद कर देता है।
-ऐसी इमरजेंसी में समय रहते सीपीआर देकर बचा सकते हैं।
-हृदय रोग से बचाने वाले खाद्य तेलों पर भरोसा नहीं करें।
इस तकनीक का सेंट्रल इंडिया में पहली बार उपयोग हुआ और मरीज को चौथे ही दिन डिस्चार्ज कर दिया गया। इस तरह के कई उदाहरण शहर में सामने आना आम बात हो गई है। इंदौर ने पिछले एक दशक में हृदय रोग के उपचार में राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बना ली है। दिल्ली-मुंबई से कई लोग हृदय रोग संबंधित उपचार के लिए अब इंदौर का रुख कर रहे हैं।
लापरवाही है घातक
सीनियर कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. अल्केश जैन का कहना है कि खाने-पीने में लापरवाही बरतने व समय पर हार्ट संबंधी तकलीफों के लक्षणों को नजरअंदाज करने से स्थितियां घातक हो रही हैं। कई मरीजों की तो मौत तक हो रही है।
हृदय रोग से जुड़ी विशेष बातें -डॉ. एडी भटनागर, सीनियर कॉर्डियोलॉजिस्ट
– स्मोकिंग, जंक फूड व गलत खानपान से जितना जल्दी हो दूर हो जाएं
– 100 में से 3 युवा हृदय रोग के शिकार हो रहे हैं।
– अधिकांश युवा हार्ट अटैक के लक्षणों को पहचान नहीं पाते।
– माता-पिता को अगर कम उम्र में हृदय रोग हो तो बच्चों को भी होने की आशंका रहती है।
– सीने में दर्द जैसे लक्षणों को एसिडिटी या मांसपेशी का दर्द समझकर टाल देते हैं।
– महिलाओं में भी गंभीर लक्षणों को सामान्य समझकर टालने की आदत ज्यादा होती है।
– डायबिटीज होने पर उसे सामान्य लेना, यह हार्ट संबंधी डिसीज का एक फैक्टर है।
– जिम में यदि युवा 10-15 मिनट में थक जाएं और जोड़ों में दर्द होने लगे तो यह गंभीर बात है।
– बुजुर्ग लोग भी लक्षणों को नजरअंदाज करते हैं।
15 से 20 % रोगी बढ़े
सुपर स्पेशिलिटी अस्पताल में युवा मरीजों की संख्या 30% बढ़ गई है। इनमें 14% मरीज तो ऐसे हैं जिन्हें 40 की उम्र तक ही एंजियोप्लास्टी कर स्टेंट डालने की नौबत आ रही है। हर दिन 50 से 60 हृदय रोगी शहर के अस्पतालों में पहुंच रहे हैं। वहीं 20 साल तक के युवाओं की हार्ट सर्जरी हो रही है। स्थिति यह है कि 15 फीसदी हार्ट संबंधी मरीजों में 3 फीसदी युवा हैं।
कोविड भी है एक कारण
डॉक्टरों की मानें तो कोविड से संक्रमित हो चुके मरीजों में यह समस्या ज्यादा हो रही है।
यह लापरवाही हो रही घातक
शहर के हार्ट सर्जन और हार्ट स्पेशलिस्ट का कहना है कि हार्ट डिसीज का उम्र से कोई संबंध नहीं है। युवाओं की बदलती लाइफस्टाइल व लापरवाही इसका कारण हैं। हार्ट डिसीज के लक्षणों को पहचानना बहुत जरूरी है। देर होने या लापरवाही बरतने पर जान भी जा सकती है।
ऐसे बचें हृदय रोग से
-30 की उम्र के बाद समय-समय पर ईसीजी, टीएमटी कराएं।
-छाती के दर्द को गंभीरता से लें।
-जंक फूड व ज्यादा नमक खाने से बचें। शाकाहारी भोजन करें।
-कार्डियेक अरेस्ट इमरजेंसी कंडिशन है, जिसमें हार्ट अचानक काम करना बंद कर देता है।
-ऐसी इमरजेंसी में समय रहते सीपीआर देकर बचा सकते हैं।
-हृदय रोग से बचाने वाले खाद्य तेलों पर भरोसा नहीं करें।