आरडी बर्मन घर में उगाते थे 200 तरह की मिर्ची, मजेदार है पंचम दा का सांप और छ‍िपक‍िली वाला किस्‍सा

79


आरडी बर्मन घर में उगाते थे 200 तरह की मिर्ची, मजेदार है पंचम दा का सांप और छ‍िपक‍िली वाला किस्‍सा

राहुल देव बर्मन। भारतीय सिनेमाई संगीत में आरडी बर्मन सिर्फ एक नाम नहीं है। वह एक ऐसे म्‍यूजिक कंपोजर रहे, जिन्‍हें संगीत का वैज्ञानिक कहा जाता था। ‘किंग ऑफ बॉलिवुड म्‍यूजिक’ कहे जाने वाले पंचम दा ने तीन दशक तक अपनी धुनों से सिनेमाई संगीत को उस मुकाम पर पहुंचाया कि दुनियाभर के म्‍यूजिक लवर्स में हिंदी सिनेमा की पहचान बन गई। 27 जून को आरडी बर्मन का जन्मदिन है। उनके पिता एसडी बर्मन भी अपने जमाने के मशहूर म्यूजिक डायरेक्ट थे। 60 से लेकर 90 के दशक में 331 फिल्‍मों में संगीत देने वाले आरडी बर्मन ने ही बॉलिवुड की पहचान वेस्‍टर्न म्‍यूजिक से करवाई। फ्यूजन म्‍यूजिक में उनका आज भी कोई तोड़ नहीं है। सोडा-वाटर बोलत से भी संगीत पैदा कर देने का हुनर रखने वाले पंचम दा के गीत आज भी झूमने पर मजबूर कर देते हैं। पत्‍नी आशा भोसले और किशोर कुमार के साथ उनकी तिकड़ी ने कई ब्‍लॉकस्‍टर गीत दिए। उनके गीत और संगीत को तो आपने खूब सराहा होगा। लेकिन पर्सनल लाइफ में पंचम दा कैसे थे? उन्‍हें क्‍या पसंद था और क्‍या नहीं? यह बहुत कम लोग जानते हैं। क्‍या आपको पता है कि वह मिर्ची के कितने बड़े शौकीन थे। या ये कि वह स्‍व‍िमिंग करते हुए क्‍या करना पसंद करते थे। आइए जन्‍मदिन के मौके पर जानते हैं पंचम दा के बारे में ये और ऐसी ही 12 मजेदार बातें-

1. पंचम दा को जितना प्‍यार संगीत से था, उतना ही लगाव उन्‍हें अपनी पहली कार से था। उन्‍होंने सबसे पहले फिएट की एक कार खरीदी थी, जिसका रजिस्‍ट्रेशन नंबर BMC 1139 था। मजेदार बात यह कि यह गाड़ी आज भी उस मैरीलैंड अपार्टमेंट्स की पार्किंग में खड़ी है, जहां उन्होंने पच्चीस साल पहले अंतिम सांस ली थी।

2. आरडी बर्मन ने 4 जनवरी 1994 को आख‍िरी सांसें ली थीं। उनसे जिस शख्‍स ने आख‍िरी मुलाकात की थी, वो विधु विनोद चोपड़ा थे। दोनों की यह मुलाकात 3 जनवरी 1994 को हुई थी। बातचीत का सिलसिला रात 9.30 बजे तक चला था। तब दोनों फिल्‍म ‘1942: ए लव स्टोरी’ के बैकग्राउंड स्कोर पर चर्चा कर रहे थे।

3. पंचम दा को मिर्च खाने का ही नहीं, उगाने का भी शौक था। अपने मैरीलैंड अपार्टमेंट्स के बगीचे में उन्‍होंने लगभग 200 किस्मों की मिर्चियां लगा रखी थीं।

4. उन्‍हें परफ्यूम का भी बड़ा शौक था। वैसे तो वह तरह-तरह के परफ्यूम का तगड़ा कलेक्‍शन रखते थे। लेकिन उनका पसंदीदा परफ्यूम ग्रे फलालैन था, जिसे जेफ्री बेने ने डिजाइन किया था।

अपनी टीम के साथ पंचम दा

5. Pancham Da का पसंदीदा रिकॉर्डिंग स्टूडियो फिल्म सेंटर, तारदेव, बॉम्बे था। यह एकमात्र स्टूडियो था, जिसमें उन दिनों एक ग्रैंड पियानो था।

6. एक बार पंचम दा गोपालपुर समुद्र तट पर थे। वह समंदर में डुबकी लगा रहे थे, तभी एक नाग सांप उनके पैरों से लिपट गया। दिलचस्‍प बात यह है कि बिना पलक झपकाए पंचम दा ने अपने पैरों से नाग बड़े आराम से निकाला। इससे भी मजेदार, लेकिन अजीब बात यह कि सांप से नहीं डरने वाले पंचम दा को छिपकली से डर लगता था। उन्‍हें इसको लेकर एक फोबिया था, जो जीवनभर उनके साथ रहा।

7. पंचम दा को भारतीय सिनेमा में वेस्‍टर्न म्‍यूजिक का फ्यूजन तैयार करने के लिए भी जाना जाता है। वेस्‍टर्न म्‍यूजिक से RD Burman साहब का ताल्‍लुक केर्सी लॉर्ड ने करवाया था, जिनके पास जैज, लैटिन अमेरिकी और यूरोपीय और मीडिल ईस्‍टर्न म्‍यूजिक के नाटकों के रिकॉर्ड का कलेक्‍शन था।

pancham-kishore-kumar-asha-

आशा भोसले और किशोर कुमार के साथ आरडी बर्मन

8. पंचम दा को स्विमिंग के दौरान माउथ ऑर्गन बजाने का शौक था। उन्होंने एक बार कोलकाता के धाकुरिया झील के पास एंडरसन क्लब में वाटर बैले के दौरान पानी में तैरते हुए माउथ ऑर्गन बजाया था। मजेदार बात यह है कि उन्‍होंने एक फिल्म में माउथ ऑर्गन बजाने वाली की भूमिका भी निभाई। इस फिल्‍म का संगीत लक्ष्मीकांत और प्यारेलाल ने दिया था। फिल्‍म थी 1964 में रिलीज ‘दोस्ती’। अच्‍छी बात यह है कि इसके बाद तीनों जीवनभर दोस्त भी बने रहे।

navbharat times -
9. भूत बंगला (1965) की रिलीज से पहले ही, कुछ पड़ोस के बच्चों ने पंचम से ‘जागो सोने वालों’ की धुन सुनी थी। उसने उन्हें अपने बगीचे से आम चुराते हुए रंगे हाथों पकड़ा था और घर ले गया जहाँ उसने उन्हें गाना सुनाया।

10. गानों में आपने फिल्‍मी ऐक्‍टर्स के नाम तो जरूर सुने होंगे। लेकिन पंचम दा शायद एकमात्र ऐसे संगीतकार हैं, जिनका नाम एक गाने के लीरिक्‍स में इस्‍तेमाल किया गया। पंचम दा के ही असिस्‍टेंट सपन चक्रवर्ती ने यह गाना कंपोज किया था। फिल्‍म ‘नया नशा’ (1973) के गाने ‘एक लड़की ले गई दिल’ में एक लाइन है ‘रास्ते में आरडी बर्मन का एक गाना गा रहा था’।

navbharat times -म्यूजिक के नशे में पंचम दा ने इस ऐक्टर की गाड़ी का कर दिया था बुरा हाल, जानें अनोखे किस्से
11. पंचम दा अक्‍सर दुनिया के अलग-अलग हिस्‍सों से अलग-अलग तरह के म्‍यूजिक इंस्‍ट्रूमेंट्स खरीदते रहते थे। एक बार अमेरिका से लौटते वक्‍त उन्‍होंने एक अनूठा इंस्‍ट्रूमेंट खरीदा। लोगों ने कहा कि आरडी बर्मन ने इम्‍पलसिव होकर यह खरीदा है और यह बेकार है। इस इंस्‍ट्रूमेंट का नाम फ्लेंजर था। बाद में पंचम दा ने 1977 में रिलीज फिल्‍म ‘किताब’ के गाने ‘धन्नों की आंखों में’ में फ्लेंजर से बैकग्राउंड स्‍कोर जोड़ा। यह पंचम दा के सबसे बेहतरीन और अनूठे म्‍यूजिकल सॉन्‍ग में से एक है।

12. पंचम दा का मानना था कि हर चीज में संगीत है। यही कारण है कि वह रोजमर्रा की चीजों का इस्‍तेमाल भी म्‍यूजिक क्रिएट करने के लिए करते रहते थे। बताया जाता है कि वह अपने टीम के संगीतकारों को कपड़े उतारने के लिए भी कहते थे, ताकि उनकी पीठ पर ड्रम बाजकर वह एक खास म्‍यूजिक क्र‍िएट किया जा सके। यहां तक कि उन्‍होंने सोडा-वाटर की बोतलों से भी म्‍यूजिक क्रिएट किया। फिल्‍म ‘खुशबू’ (1975) के गाने ‘ओ मांझी रे’ के लिए तो उन्‍होंने गांव वाला फील लाने के लिए आटा चक्‍की से आने वाली आवाज चाहिए थी। इसके लिए सोडा-वाटर की दो बोतलें लाई गईं। वह एक एक कर हर बोतल से थोड़ा सा सोडा खाली करते और उनमें फूंकते, जिससे एक ‘थुप ठुक, थुप ठुक’ की आवाज आती। उन्‍होंने गाने में इसका इस्‍तेमाल किया।



Source link