आयुष्मान भारत योजना में हजारों करोड़ का घोटाला, फिर भी जांच के दायरे से ये लोग बाहर क्यों ? | 15000 crore scam Ayushman Bharat scheme yet people from investigation | Patrika News

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आयुष्मान भारत योजना में हजारों करोड़ का घोटाला, फिर भी जांच के दायरे से ये लोग बाहर क्यों ? | 15000 crore scam Ayushman Bharat scheme yet people from investigation | Patrika News

आयुष्मान भारत योजना में हजारों करोड़ का घोटाला, फिर भी जांच के दायरे से ये लोग बाहर क्यों ? | 15000 crore scam Ayushman Bharat scheme yet people from investigation | Patrika News

इस मामले पर राजधानी भोपाल में रहने वाले डॉक्टर अजय सिंह ने एक शिकायत स्वास्थ आयुक्त सुदाम खाड़े से लेकर, स्वास्थ विभाग के मुख्य सचिव मोहम्मद सुलेमान, स्वास्थ मंत्री डॉ. प्रभुराम चौधरी, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, कैंद्रीय मुख्य सचिव, कैंद्रीय स्वास्थ मंत्री मनसुख मंडाविया से लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक से की है। साथ ही, संबंधितों के खिलाफ जांच कराने की मांग की है।

शिकायती पत्र का विषय अनुराग चौधरी, आई.ए.एस. मुख्य कार्यपालन अधिकारी, आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना एवं सपना लोवंशी, ई.ओ. के आकण्ठ भ्रष्टाचार और धूर्ततापूर्व काले कारानामों का काला चिट्ठा योजना में FIFO नीति का खुला उल्लंघन कर करोड़ों कमिशनखोरी की उच्च स्तरीय जांच कराने की मांग की गई है।

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शिकायतकर्ता का आरोप है कि, मध्य प्रदेश को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से 15 हजार करोड़ से ज्यादा राशि का आवंटन बीते 3 वर्षों में दिया गया। भारत सरकार की गाइडलाइन और निर्देशों के अनुसार, 30 वर्किंग दिनों में अस्पतालों का क्लेम भुगतान हो जाना चाहिए। इसके लिए फीफो पॉलिसी यानी (फर्स्ट कम फर्स्ट गेट) की नीति अपनाई जानी चाहिए। सभी संबद्ध अस्पतालों को बिना पक्षपात, भेदभाव के बिना, समान रूप से राशि मिलनी चाहिए। लेकिन, अनुराग चौधरी, सपना लोवंशी और रीना यादव द्वारा पत्रकार रोहित श्रीवास्तव के साथ मिलकर प्रधानमंत्री मोदी की बनाई इस ध्वज कार्यकम को पक्षपात, भेदभाव और भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ाकर फीफो नीति का उल्लंघन कर मोटे कमीशन के बदले मोटे भुगतान की नीति अपनाई गई है। इस कमीशन की उगाही के लिए सपना लोवंसी द्वारा तीन दलालों के रखने का भी आरोप लगाया गया है।

शिकायत में बताए गए अनियमित अधिक भुगतान के चंद उदाहरण, जो इस तरह हैं-

1- डॉ. आदिल खान, एमबीबीएस, शहर के मिसरोद में एक साधारण बेसमेंट में संचालित 20 बिस्तर वाले आशा अस्पताल को 1 साल के भीतर 7 करोड़ रूपए का भुगतान करने का भी आरोप है।

2- डॉ. अकील खान और डॉ. वसीम खान के अतिया बी मेमोरियल (ए.बी.एम) 50 बिस्तर वाले अस्पताल, जो मोतिया तालाब पर स्थित है, को दो वर्षों के भीतर 22 करोड़ रुपए का भुगतान करने का आरोप है।

3- अनुराग चौधरी, सपना लोवंशी और रीना के घनिष्ठ मित्र रहे डॉ. विवेक परिहार के वैष्णो मल्टी स्पेशललिटी अस्पताल को पौने दो करोड़ करोड़ का फर्जी मरीजों पर भुगतान का आरोप लगाया गया है। इस मामले में विडाल हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी के साधारण कर्मचारी ने फर्जी मरीज देखकर हल्ला मचाया, जिसके बाद मामला सार्वजनिक होने पर केस दर्ज करना पड़ा। इसपर डॉ. विवेक परिहार जेल गए, बावजूद इसके अबतक फर्जी मरीजों के भुगतान स्वीकृत करने वालों के खिलाफ कोई कारर्वाई नहीं हुई। इस मामले में स्टेट एंटी फ्रॉड यूनिट ने Stop Payment क्यो नहीं किया गया ? जिस दिन डॉ. परिहार पर केस दर्ज हुआ, उसी दिन 25 लाख के अवैध ट्रांजेक्शन का खे भी हुआ, जिसे एक अधिकारी के हस्तक्षेप के बाद रोका गया।

4- शहर के डीआईजी बंगला इलाके पर स्थित ग्रीन सिटी अस्पताल को एक वर्ष के भीतर 11 करोड़ रुपए का भुगतान भी किया गया। अस्पताल संचालक रवि सक्सेना ने 26 सितंबर 2022 को अनुराग चौधरी के घर जाकर उनकी पत्नी को 3.15 लाख का सोने का हार गिफ्ट किया। आसपास लगे सीसीटीवी से इसकी पुष्टि की जा सकती है।

5- वहीं, चिरायु अस्पताल को 55 करोड़ का भुगतान करने का आरोप है।

6-एल-एन मेडिकल कॉलेज के डॉ. पी. चौकसे को 60 करोड़ का भुगतान करने का आरोप है।

7- अमलतास ग्रुप के अस्पतालों को 40 करोड़ से अधिक का भुगतान करने का आरोप है।

8- डी.आई.जी बंगला इलाके में स्थित गुरु आशीष अस्पताल को 6 करोड़ रुपए का भुगतान करने का आरोप है।

शिकायत में ये भी कहा गया है कि, ये सिर्फ उदाहरण के लिए नहीं, बल्कि उच्च स्तरीय जांच से ही ये स्पष्ट हो सकेगा कि, इन अस्पतालों को किये गए भुगतान में फीफो नीति का पालन क्यों नहीं किया गया और असल में भ्रष्टाचार कितना हुआ है।

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यही नहीं, शिकायत में आयुष्मान से संबंधित अस्पतालों में डर पैदा करने के लिए मीडिया का सहारा लेने का आरोप लगाया गया है। आरोप के अनुसार, 14 से 16 जून को अचानक कुछ अस्पतालों का अयोग्य अनुभवहीन आयुर्वेदिक डॉक्टरों का दल बनाकर छापा डलवाया गया, एक अखबार के सीनियर न्यूज़ एडिटर रोहित श्रीवास्तव के साथ मिलकर अखबार में 15 और 16 जून को पहले पेज पर प्रमुखता से खबर भी छपवाई गई। खास बात ये है कि, उस तारीख को अपर मुख्य सचिव अमेरिका में थे। खुद अनुराग चीधरी भी दिल्‍ली में थे। मंत्री प्रमुराम चौधरी को इस संबंध में कोई खबर नहीं थी।

बावजूद इसके समाचार को प्रकाशित कर अन्य अस्पतालों के अंदर दहशत पैदाकर दलालों को भूखे भेड़ियों की तरह अस्पताल संचालकों, वरिष्ठ चिकित्सकों के पीछे लगा दिया गया। मोतिया तालाब, करोंद स्थित अस्पतालों से करोड़ों की अवैध उगाही कार्रवाई से बचने के नाम पर की गई। खास बात ये भी है कि, उस समाचार में अनुराग चौघरी का वक्‍तव्य भी छपा था, जबकि उन दिनों वो भोपाल में ही नहीं थे।इससे भी पत्रकार रोहित श्रीवास्तव और आई.ए.एस अफसर अनुराग चौधरी खास ताल्लुकात जाहिर होते हैं।

इस तरह छवि चमकाने, वाहवाही लूटने के साथ-साथ डकैती डलवाई गई। इस दौरान कई अस्पतालों को ठगा गया। इस दौरान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की बैठक का वीडियो भी प्रमुखता से सर्कुलेट कराया गया। सीएम शिवराज के बैठक का वीडियो वायरल होने के बाद अस्पतालों में दहशत फैल गई। इसी तारीख को सपना लोवंशी (8889905050) ने दलाल विमल लोवंशी से (8770602486) मोबाइल पर 40 बार बात की और जितेंद्र मेबाड़ा दलाल (7747935633) से 16 बार बात की। उस दौरान उनके पति मनीष लोवंशी से भी कई अस्पतालों द्वारा संपर्क किया गया।

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इसे छापे और समाचार पत्र के प्रकाशन के दौरान अनुराग चौंधरी और पत्रकार रोहित श्रीवास्तव के बीच मोबाइल पर लगातार बातचीत होती रही। आरोप ये भी है कि, ये सारा खेल पत्रकार रोहित श्रीवास्तव की कैष्टनशिप में चल रहा था। जांच में कॉल डिटेल्स से यह सब भी स्पष्ट हो जाएगा। इन सभी के बैंक ट्रांजेक्शन की भी जांच होना जरूरी है। इस उगाही अभियान में पत्रकार रोहित श्रीवास्तव द्वारा जमकर चांदी काटने का भी आरोप है। रोहित ने ‘अनंत श्री’ जैसे कई अस्पतालों से मोटी रकम तो वसूली ही, साथ ही कई विज्ञापन भी लिए।

जून माह में कई अस्पतालों से जो निरीक्षण से छूट गए थे, छापा नहीं डालने और निरीक्षण नहीं होने के नाम से ही 3 लाख और 5 लाख की ठगी कर ली गई। इसी के साथ शिकायत में ये भी कहा गया है कि, अनुराग चौधरी की चंडाल चौकड़ी प्रतिष्ठित डॉक्टरों का निर्ममता दमन कर रहे हैं। अगर कोई डॉक्टर इन के पास समस्या लेकर जाता है तो इनके द्वारा अभद्रतापूर्ण व्यवहार किया जाता है। प्रतिष्ठित डॉ. सव्य सांची गुप्ता, एम.डी, सिटी हॉस्पिटल, एम.पी.नगर के साथ भी इन्होंने बदत्तमीजी की। सिर्फ दलालों के जरिए ही समस्या के निराकरण की प्रथा इन्होनें बनाई है।

शिकायत के जरिए प्रधानमंत्री मोदी और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से ये अनुरोध किया गया है कि, जनकल्याणकारी महान योजना आयुष्मान भारत मध्य प्रदेश में सरकारी ज्यादती का शिकार हो रही है। भ्रष्ट अधिकारी के दमन चक्र से ईमानदार नियम से चलने वाले अस्पतालों निर्मम यातना और मानसिक पीड़ा झेल रहे हैं। फर्जीवाडा करने वाले भ्रष्ट अस्पतालों को आप बराबर सजा दें। उनके खिलाफ ऐसा एक्शन लिया जाए कि, भ्रष्टाचारियों के लिए सीख बने। साथ ही, मनमाने और अनुचित निरीक्षण के आधार पर एक तरफा, बिना सुनवाई कार्रवाई से इन अफसरों को रोका जाए। क्योंकि, इनके मकड़जाल में फंसकर गरीब मरीजों का खासा नुकसान हो रहा है और एक अहम योजना को पलीता लग रहा है। अंत में शिकायत को गंभीरता से लेते हुए विभागीय, सीआईडी, ईओडब्लू के अलावा लोकायुक्त जांच कराने की मांग की गई है।

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