आज काशी से शुरू हुआ भारत का सांस्कृतिक पुनर्जागरण… अमित शाह ने की आदि शंकराचार्य से पीएम मोदी की तुलना
वाराणसी: एक महीने से वाराणसी (Varanasi News) में चल रहा काशी तमिल संगमम (Kashi Tamil Sangamam) का शुक्रवार को समापन हो गया। समापन समारोह में गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने इस कार्यक्रम के आयोजन के लिए पीएम मोदी को धन्यवाद देते हुए कहा कि इस तरह की पहल आजादी के तुरंत बाद होनी चाहिए थी। लेकिन खुशी है कि आजादी के अमृत महोत्सव के मौके पर इस तरह का कार्यक्रम काशी में हुआ। अमित शाह ने इसे इस आयोजन की पूर्णाहुति न कह कर एक नई शुरुआत बताया, ऐसी नई शुरुआत जहां से भारत की दो प्राचीन संस्कृतियों का मिलन हुआ। गृह मंत्री अमित शाह ने इसे भारत का सांस्कृतिक पुनर्जागरण का नाम दिया।
अमित शाह ने कहा यह आयोजन भारतीय संस्कृति के दो उत्तुंग शिखरों की भाषा, संस्कृति, कला और ज्ञान के मिलन की प्राचीन नगरी काशी में शुरुआत है। यहीं से यह रास्ता आगे जाने वाला है। यह प्रयास आजादी के तुरंत बाद होना चाहिए था। गुलामी के दौरान हमारी सांस्कृति विविधता को मलिन किया गया, उसे पुनर्जागरण की जरूरत थी। लेकिन खुशी है कि यह अब जाकर आजादी के अमृत महोत्सव में हुआ।
‘आदि शंकर के बाद मोदी का सफल प्रयास’
गृह मंत्री बोले, भारत अनेक संस्कृतियों का देश है लेकिन सबके बीच में जो चीज एक है वह एक इसकी आत्मा जो भारत की आत्मा है। बाकी देश भौगोलिक आधार पर बसे भारत संस्कृति के आधार पर बना है। लंबे समय से हमारी संस्कृतियों को जोडने का प्रयास नहीं हुआ था। सदियों बाद काशी तमिल संगमम जैसा प्रयास हुआ है। यह प्रयास न केवल उत्तर और दक्षिण बल्कि पूरे देश की संस्कृतियों को जोड़ने की शुरुआत है। इतिहास को देखें तो दक्षिण से आकर आदि शंकर ने काशी में ब्रह्मसूत्र को मान्यता दिलाई उसके बाद मोदी जी का सफल प्रयास है।
‘काशी से भारत के सांस्कृतिक पुनर्जागरण की शुरुआत हुई’
गृह मंत्री ने कहा, आजादी के बाद एक समय ऐसा आया कि देश की सांस्कृतिक एकता में जहर घोलने की कोशिश की गई। एक ही संस्कृति के दो समाजों को विमुख करने का प्रयास किया गया। अब समय आ गया है एक भारत, श्रेष्ठ भारत की रचना करने का। यह सांस्कृतिक एकता से ही संभव है। काशी से ही भारत के सांस्कृतिक पुनर्जागरण की शुरुआत हुई है।
‘तमिल में हो मेडिकल, तकनीकी की पढ़ाई’
अमित शाह ने कहा, नई शिक्षा नीति की आत्मा है हमारी अपनी भाषाएं हमारी अपनी भाषा का गौरव। इसलिए मोदी जी ने शिक्षा नीति में कहा है कि शिक्षा का माध्यम मातृभाषा होनी चाहिए। इसलिए मैं तमिलनाडु सरकार से अपील करता हूं कि तमिलनाडु में मेडिकल एजुकेशन, टेक्नीकल, लॉ की एजुकेशन का माध्यम तमिल माध्यम हो यह सुनिश्चित करना चाहिए जिससे तमिल भाषा को मजबूती मिले।
‘रामेश्वरम आऊंगा तो गंगाजल से अभिषेक करूंगा’
उन्होंने कहा, जो तमिल भाई यहां पर आए हैं यहां से यहां से गंगाजल लेकर जाइएगा रामेश्वरम पर अभिषेक करिएगा, जब यहां आएं तो रामेश्वरम की मिट्टी गंगा घाट पर आइएगा। मैं वादा करता हूं कि मैं जब रामेश्वराम आऊंगा तो गंगाजल लेकर अभिषेक करूंगा। मोदी जी ने पूरे देश के लिए तमिलनाडु के लोगों का स्वागत हो इस प्रकार का कार्यक्रम किया है। पूरे भारत को देखिए, जानिए और अपने आप को भारत से जोड़िए।
सीएम बोले, संगम की यादें घर लेकर जाएं तमिल भाई
इससे पहले सीएम योगी ने कहा, काशी तमिल संगमम ने एक भारत, श्रेष्ठ भारत की संकल्पना को साकार कर दिया है। योगी ने इस भव्य आयोजन के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि इस आयोजन के लिए काशी को चुना जाना उत्तर प्रदेश के लिए बड़ी बात है। इस आयोजन में जिस तरह से काशीवासियों ने सहभाग किया वह प्रशंसनीय है। तमिलनाडु से आए सभी लोगों से यह उम्मीद है कि तमिलनाडु के घर-घर तक इस संगम की यादों को पहुंचाएंगे।
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अमित शाह ने कहा यह आयोजन भारतीय संस्कृति के दो उत्तुंग शिखरों की भाषा, संस्कृति, कला और ज्ञान के मिलन की प्राचीन नगरी काशी में शुरुआत है। यहीं से यह रास्ता आगे जाने वाला है। यह प्रयास आजादी के तुरंत बाद होना चाहिए था। गुलामी के दौरान हमारी सांस्कृति विविधता को मलिन किया गया, उसे पुनर्जागरण की जरूरत थी। लेकिन खुशी है कि यह अब जाकर आजादी के अमृत महोत्सव में हुआ।
‘आदि शंकर के बाद मोदी का सफल प्रयास’
गृह मंत्री बोले, भारत अनेक संस्कृतियों का देश है लेकिन सबके बीच में जो चीज एक है वह एक इसकी आत्मा जो भारत की आत्मा है। बाकी देश भौगोलिक आधार पर बसे भारत संस्कृति के आधार पर बना है। लंबे समय से हमारी संस्कृतियों को जोडने का प्रयास नहीं हुआ था। सदियों बाद काशी तमिल संगमम जैसा प्रयास हुआ है। यह प्रयास न केवल उत्तर और दक्षिण बल्कि पूरे देश की संस्कृतियों को जोड़ने की शुरुआत है। इतिहास को देखें तो दक्षिण से आकर आदि शंकर ने काशी में ब्रह्मसूत्र को मान्यता दिलाई उसके बाद मोदी जी का सफल प्रयास है।
‘काशी से भारत के सांस्कृतिक पुनर्जागरण की शुरुआत हुई’
गृह मंत्री ने कहा, आजादी के बाद एक समय ऐसा आया कि देश की सांस्कृतिक एकता में जहर घोलने की कोशिश की गई। एक ही संस्कृति के दो समाजों को विमुख करने का प्रयास किया गया। अब समय आ गया है एक भारत, श्रेष्ठ भारत की रचना करने का। यह सांस्कृतिक एकता से ही संभव है। काशी से ही भारत के सांस्कृतिक पुनर्जागरण की शुरुआत हुई है।
‘तमिल में हो मेडिकल, तकनीकी की पढ़ाई’
अमित शाह ने कहा, नई शिक्षा नीति की आत्मा है हमारी अपनी भाषाएं हमारी अपनी भाषा का गौरव। इसलिए मोदी जी ने शिक्षा नीति में कहा है कि शिक्षा का माध्यम मातृभाषा होनी चाहिए। इसलिए मैं तमिलनाडु सरकार से अपील करता हूं कि तमिलनाडु में मेडिकल एजुकेशन, टेक्नीकल, लॉ की एजुकेशन का माध्यम तमिल माध्यम हो यह सुनिश्चित करना चाहिए जिससे तमिल भाषा को मजबूती मिले।
‘रामेश्वरम आऊंगा तो गंगाजल से अभिषेक करूंगा’
उन्होंने कहा, जो तमिल भाई यहां पर आए हैं यहां से यहां से गंगाजल लेकर जाइएगा रामेश्वरम पर अभिषेक करिएगा, जब यहां आएं तो रामेश्वरम की मिट्टी गंगा घाट पर आइएगा। मैं वादा करता हूं कि मैं जब रामेश्वराम आऊंगा तो गंगाजल लेकर अभिषेक करूंगा। मोदी जी ने पूरे देश के लिए तमिलनाडु के लोगों का स्वागत हो इस प्रकार का कार्यक्रम किया है। पूरे भारत को देखिए, जानिए और अपने आप को भारत से जोड़िए।
सीएम बोले, संगम की यादें घर लेकर जाएं तमिल भाई
इससे पहले सीएम योगी ने कहा, काशी तमिल संगमम ने एक भारत, श्रेष्ठ भारत की संकल्पना को साकार कर दिया है। योगी ने इस भव्य आयोजन के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि इस आयोजन के लिए काशी को चुना जाना उत्तर प्रदेश के लिए बड़ी बात है। इस आयोजन में जिस तरह से काशीवासियों ने सहभाग किया वह प्रशंसनीय है। तमिलनाडु से आए सभी लोगों से यह उम्मीद है कि तमिलनाडु के घर-घर तक इस संगम की यादों को पहुंचाएंगे।