आजमगढ़ में तीसरे नंबर पर रहने के बावजूद बसपा ने ली राहत की सांस, जानिए क्या है वजह

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आजमगढ़ में तीसरे नंबर पर रहने के बावजूद बसपा ने ली राहत की सांस, जानिए क्या है वजह

लखनऊ: विधानसभा चुनाव 2022 में मुस्लिम वोटरों की बसपा से दूरी पार्टी के लिए सबसे बड़ी चिंता थी। तब से मायावती लगातार इस बात को दोहरा भी रही थीं। उनकी चिंता यह थी कि मुसलमान एकतरफा सपा के साथ चले गए। वह लगातार मुसलमानों को अपने पाले में करने के लिए परेशान थीं। अब आजमगढ़ लोकसभा उपचुनाव में भले ही बसपा तीसरे नंबर पर रही है लेकिन नतीजों से राहत जरूर मिली है। आजमगढ़ में सपा के मुस्लिम-यादव वोट बैंक का किला दरकना और मुसलमानों की वापसी की उम्मीद ही बसपा के लिए बड़ी राहत है।

विधानसभा चुनाव में फेल हुआ फॉर्म्युला
पिछले विधान सभा चुनाव में बसपा का प्रदर्शन बेहद निराशाजनक रहा। सभी 403 सीटों पर प्रत्याशी उतारने के बावजूद महज एक पर जीत हासिल हुई। मुस्लिम दलित समीकरण मजबूत करने के लिए कई बड़े मुसलमान चेहरों को बसपा ने टिकट दिया था। इसके बावजूद सभी जगह हार का सामना करना पड़ा। कुल वोट प्रतिशत भी घटकर 13 प्रतिशत से नीचे आ गया। उससे यह बात निकली कि मुसलमानों ने एकतरफा सपा को वोट दिए।

वहीं दलित वोटों में दूसरी पार्टियों ने सेंध लगा दी। इससे बसपा का दलित मुस्लिम फॉर्म्युला फेल हुआ। खुद मायावती ने चुनाव में करारी हार के बाद यह बात स्वीकार की। आजमगढ़ उपचुनाव से ठीक पहले भी मायावती ने मुसलमानों से विधानसभा चुनाव वाली गलती न दोहराने की अपील की थी।

फिर जताया मुसलमान प्रत्याशी पर भरोसा
मायावती ने उपचुनाव में एक बार फिर मजबूत मुसलमान प्रत्याशी पर भरोसा जताया। शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली को पार्टी में वापस लिया और आजमगढ़ से प्रत्याशी बनाया। जमाली ने 2,66,210 वोट हासिल कर सपा और भाजपा प्रत्याशियों को कड़ी टक्कर दी है। जमाली को 2014 में मुलायम सिंह के खिलाफ भी करीब इतने ही वोट मिले थे, जिस तरह 2022 विधानसभा चुनाव के प्रदर्शन के बाद बसपा को खत्म माना जा रहा था। उसके बाद उपचुनाव में पुराने प्रदर्शन को दोहराना भी बसपा के लिए एक उम्मीद है।

उम्मीद इस बात की भी है कि जो मुसलमान पूरी तरह से सपा के साथ चला गया था, उसे वापस लाने में मदद मिलेगी। नतीजों पर बसपा प्रमुख ने भी संतोष जाहिर किया है। साथ ही मुसलमानों को यह समझाने की कोशिश की है कि भाजपा को हराने की सैद्धांतिक शक्ति है। उन्होंने कहा है कि ये बात विशेष समुदाय को समझाने की कोशिश लगातार जारी रहेगी।

भविष्य की चुनौती बरकरार
उपचुनाव में सपा के मुस्लिम-यादव वोट बैंक में सेंध लगाने में बसपा भले ही कामयाब रही है लेकिन इसे दोहराने की चुनौती जरूर रहेगी। जानकारों का मानना है कि मुसलमानों को फिर से पार्टी के साथ जोड़ना आसान नहीं होगा। आजमगढ़ में बसपा के इस प्रदर्शन को पार्टी का प्रदर्शन न मानकर प्रत्याशी गुड्डू जमाली का निजी प्रदर्शन भी माना जा रहा है। क्षेत्र में उनकी अपनी पैठ है। जनता के हर सुख-दुख में खड़े रहने वाले गुड्डू जमाली की वजह से पार्टी को इतने वोट मिले हैं।

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