आगरा निकाय चुनावः आरक्षित सीट पर दलित-मुस्लिम फैक्टर से बढ़ी बीजेपी की टेंशन… क्या कहते हैं आंकड़े?

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आगरा निकाय चुनावः आरक्षित सीट पर दलित-मुस्लिम फैक्टर से बढ़ी बीजेपी की टेंशन… क्या कहते हैं आंकड़े?

आगरा निकाय चुनावः आरक्षित सीट पर दलित-मुस्लिम फैक्टर से बढ़ी बीजेपी की टेंशन… क्या कहते हैं आंकड़े?

आगरा: उत्तर प्रदेश के आगरा में मेयर सीट के लिए जारी आरक्षण के बाद राजनैतिक हलचल तेज हो गई है। आगरा में 16 साल बाद एक बार फिर से महापौर की सीट अनुसूचित जाति महिला के लिए आरक्षित हुई है। आगरा नगर निगम की सीट पर 1989 से 2017 तक 6 बार कमल खिल चुका है, लेकिन खास बात यह है कि बीएसपी ने बीजेपी को कड़ी टक्कर दी है। साल 2017 के चुनाव निकाय चुनाव में बीजेपी के नवीन जैन ने बीएसपी के दिगंबर सिंह धाकरे को 74 हजार वोटों से हराया था, लेकिन राजनैतिक जानकारों की मानें तो इस बार दलित-मुस्लिम फैक्टर बीजेपी को कड़ी टक्कर देने वाला है, लेकिन यह सब मुमकिन बीएसपी के कैंडीडेट के चयन पर निर्भर करेगा।

आगरा को दलितों की राजधानी कहा जाता है, रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (आरपीआई) के दौर से ही आगरा में छह सीटों पर दलित विधायक हुआ करते थे। वर्ष 2006 और 2012 में भी बीएसपी के छह विधायक रहे, लेकिन 2017 के चुनाव में बीजेपी ने सूपड़ा साफ कर दिया और आगरा की सभी नौ विधानसभा सीटों पर कब्जा कर लिया। जबकि आगरा मेयर चुनाव में हर बार कमल ही खिला है। छह बार लगातार मेयर के लिए जीत की दावेदार बीजेपी ही रही है।

बन सकता है जीत का समीकरण

आगरा नगर निगम मतदाताओं की संख्या करीब 13 लाख 57 हजार है। इसमें ज्यादातर वोटर दलित हैं। अगर ‘जाटवÓ जाति के मतदाताओं की संख्या पर गौर करें तो करीब 3 से 3.5 लाख हैं। इसके अलावा मुस्लिम समाज के भी करीब एक से डेढ़ लाख वोटर हैं। इसके अलावा वैश्य, ब्राह्मण और अन्य जातियां शामिल हैं। लंबे समय से राजनीति में सक्रिय देव कुमार साकेत का कहना है कि शहरी क्षेत्र में बीजेपी की स्थिति मजबूत है, लेकिन ग्राम पंचायतों के नगर निगम में शामिल हो जाने से विपक्षी दलों को वोट बैंक मजबूत हुआ है। इसके अलावा चौधरी बशीर ने मुस्लिम समुदाय के 35 हजार वोट हासिल किए थे जो इस बार नहीं हो होगा। अगर मुस्लिम वोट बीएसपी को मिल गया तो बीजेपी के लिए मुश्किल खड़ी हो सकती है।

सुरक्षित सीट पर घट गया था मार्जिन

बीजेपी की लहर 2017 में बीजेपी के नवीन जैन ने बीएसपी के दिगंबर सिंह धाकरे को 74 हजार रिकॉर्ड मतों से शिकस्त दी थी, लेकिन इससे पूर्व 2012 में आरक्षित सीट पर बीजेपी के इंद्रजीत आर्य का बीएसपी के करतार सिंह भारतीय से कड़ा मुकाबला हुआ था और 12 हजार वोटों से बीजेपी चुनाव जीत गई। मुस्लिम समाजसेवी समी अगाई का कहना है कि दलित और मुस्लिम गठजोड़ बीजेपी को चुनौती दे सकता है। बशर्ते की बीएसपी सही कैंडीडेट का चयन करे। इस बार मुस्लिम प्रत्याशी भी मैदान में नहीं उतरेगा और बीजेपी को हराने वाले प्रत्याशी को ही मुस्लिम समाज वोट करेगा।

रिपोर्टः सुनील साकेत

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