आईबी की नौकरी छोड़ी, ना टीचर ना कोचिंग, यूट्यूब से तैयारी कर कनिका बनीं अफसर

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आईबी की नौकरी छोड़ी, ना टीचर ना कोचिंग, यूट्यूब से तैयारी कर कनिका बनीं अफसर

विनीत नरूला, झज्जर : सिविल सेवा जैसी प्रतिष्ठित परीक्षा पास करने के बाद पहला सवाल होता है कि कोचिंग कौन सी थी? झज्जर की कनिका ने इस सोच को भी बदला है। कोई शिक्षक नहीं, मार्गदर्शक नहीं था। मोबाइल और लैपटॉप को गुरु बनाया। यूट्यूब का सही उपयोग किया। बोर होने पर हॉबी को खुद को रिचार्ज का जरिया बनाया। पढ़ाई ने थकाया तो परिवार से बातचीत कर रिफ्रेश हुईं। सिर्फ इतना करके सिविल सेवा की परीक्षा में 64वीं रैंक हासिल की। उन्हें आईएएस कैडर मिल सकता है। आपके लिए कनिका का संदेश है, रिविजन को सफलता का मूल मंत्र बनाइए। कामयाबी कदम जरूर चूमेगी।

नौकरी की वजह से तैयारी में आ रही थी दिक्कत
खरहर गांव निवासी कनिका के पिता इंजीनियर हैं। उनकी मां नीलम शिक्षक हैं। कनिका आईबी में नौकरी करती थीं। नौकरी की वजह से तैयारी में सामंजस्य नहीं बैठ पा रहा था। उन्होंने नौकरी छोड़कर घर पर पढ़ाई शुरू की। चौथे प्रयास में सिविल सेवा की परीक्षा में 64वीं रैंक हासिल की। कनिका ने बताया कि वे फेसबुक और इंस्टाग्राम पर बहुत कम एक्टिव रहीं। यूट्यूब पर विभिन्न चैनलों पर विडियो देखकर तैयारी शुरू की। कॉन्सेप्ट समझने पर फोकस रहता था। पढ़ाई से बोर हो जाती तो गार्डनिंग और पेंटिंग करतीं। दोनों उनकी हॉबी है। इससे फिर से रिचार्ज होने में मदद होती।

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परिवार का साथ और सहयोग 90% जरूरी
परिवार के साथ बातें करके खुद को रिफ्रेश करतीं और दोबारा पढ़ाई शुरू कर देतीं। कनिका ने कहा कि परिवार का साथ और सहयोग सफलता के लिए 90 पर्सेंट जरूरी है। सिर्फ 10 पर्सेंट तैयारी करने पर मंजिल मिल ही जाती है। नीलम ने कहा कि बेटी की उपलब्धि पर खुशी है। सेकंडरी और सीनियर सेकंडरी की परीक्षा में भी 95 पर्सेंट अंक मिले थे। नरेश राठी ने कहा कि बेटी की शादी नहीं, उसके सपने को पूरा करने पर फोकस किया।

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10 लाख का पैकेज ठुकराकर सचिन ने पास की परीक्षा
गुड़गांव : आसपास में कुपोषित बच्चों को देखा था। मां आंगनबाड़ी वर्कर हैं। हमेशा लगता था कि इन बच्चों के लिए कुछ करूं। सिर्फ यही एक वजह थी कि 10 लाख रुपये के पैकेज की नौकरी छोड़कर सिविल सेवा में आने की सोची। ये कहना है जहाजगढ़ निवासी सचिन शर्मा का। सचिन ने 5वीं प्रयास में 233वीं रैंक हासिल की है। स्वास्थ्य और बुनियादी सुविधाओं को हर व्यक्ति तक पहुंचाने की उन्होंने ठानी है। यही कारण था कि रोज 8-10 घंटे की पढ़ाई कर कठिन परीक्षा में सफलता हासिल की।

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बिना कोचिंग 8 से 10 घंटे की पढ़ाई
सचिन के पिता सुनील दत्त शर्मा रिटायर्ड इंस्पेक्टर हैं और उनकी मां निर्मला देवी आंगनवाड़ी वर्कर हैं। बड़े भाई फार्मेसी के क्षेत्र में कार्यरत हैं। सचिन शर्मा ने बताया कि बिना कोचिंग के उन्होंने घर पर लगातार रोजाना 8 से 10 घंटे पढ़ाई करके अपने लक्ष्य प्राप्त किया है। इंजीनियरिंग के स्टूडेंट रह चुके सचिन की नोएडा में 10 लाख के पैकेज की नौकरी भी लगी, लेकिन उनका मन आईएएस ऑफिसर बनने का ही था। अपने इस मुकाम को हासिल करने के लिए उन्होंने सोशल मीडिया से भी दूरी बना ली और दिन-रात केवल पढ़ाई पर ही फोकस किया।

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पहले प्रयास में पटौदी के शुभम की आई 519वीं रैंक
पटौदीः लुहारी गांव निवासी शुभम ने पहले ही प्रयास में सिविल सेवा की परीक्षा में 519वीं रैंक हासिल की है। वे एमएससी बॉटनी से कर रहे हैं। इसी दौरान यूपीएससी की परीक्षा दी थी। पहले ही प्रयास में उनकी 519वीं रैंक आई है। शुभम की सफलता पर डॉ. नरेंद्र यादव, बिजेंदर यादव, रविंद्र यादव ने शुभकामनाएं दीं।

सोहना के अवधेश की 663वीं रैंक
सोहना के अवधेश जाजौरिया ने यूपीएससी की परीक्षा में 663वीं रैंक प्राप्त की। उनकी मां बीना मुख्याध्यापिका हैं। पिता महेंद्र जाजौरिया राजनीति से जुड़े हैं। उनकी बहन अंकिता डॉक्टर और छोटा भाई आर्किटेक्ट है।

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