आंखों में आंसुओं का सैलाब, लक्ष्य से नहीं डगमगाई निगाहें, पहले से डबल मेडल जीतकर बुआ और फूफा को दी श्रद्धांजलि

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आंखों में आंसुओं का सैलाब, लक्ष्य से नहीं डगमगाई निगाहें, पहले से डबल मेडल जीतकर बुआ और फूफा को दी श्रद्धांजलि

कुन्नूर हादसे में देश ने योद्धाओं को खोया है। हादसे की खबर पूरा देश जब मर्माहत था, तब सीडीएस बिपिन रावत की भतीजी बांधवी भोपाल में अपने लक्ष्य पर निशाना साध रही थीं। हादसे की खबर उन्हें मिल गई थी, अगर अटल इरादों के आगे लक्ष्य से उनकी निगाहें नहीं डगमगाई। उसी का नतीजा है कि बांधवी सिंह ने पहले से डबल मेडल जीतकर अपने बुआ और फूफा को श्रद्धांजलि दी है। इसके बाद वह अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए दिल्ली सेना की मदद से दिल्ली रवाना हो गई। बांधवी सिंह ने कहा कि गम के बीच अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिए उन्हें यह ताकत जनरल बिपिन रावत की बातों से मिली है।

सीडीएस बिपिन रावत की बातों से मिला हौसला

बुआ और फूफा के निधन से पूरे परिवार में मातम है। मगर बांधवी सिंह हौसला नहीं हारीं। हमारे सहयोगी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया से बात करते हुए बांधवी सिंह ने कहा कि मन भारी था, मगर स्थिर हाथों और अडिग आंखों के साथ मैं अपने लक्ष्य पर केंद्रित रही हूं। उस वक्त मैंने सीडीएस बिपिन रावत के साथ की गई हर उत्साहवर्धक बातों को याद किया और हमारी निगाहें सिर्फ लक्ष्य पर थीं। उन्होंने कहा कि इस बार चैंपियनशिप में प्रतिस्पर्धा करते समय, मेरा एक मात्र लक्ष्य गोल्ड मेडल जीतना था क्योंकि मैं हर गोल्ड उन्हें (सीडीएस बिपिन रावत) और उनके साथ शहीद हुए योद्धाओं को समर्पित करना चाहता था। मैं उन्हें हमेशा एक संरक्षक और मार्गदर्शक के रूप में याद रखूंगा।

पहले से डबल गोल्ड जीतीं बांधवी सिंह

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पिछली चैंपियनशिप में बांधवी सिंह को आठ मेडल मिले थे, इनमें पांच गोल्ड मेडल थी। इस बार गम के बीच दोगुनी गोल्ड जीतने में सफल रही हैं। अगले सप्ताह बांधवी सिंह का बर्थडे भी है। बांधवी सिंह मधुलिका रावत के छोटे भाई यशवर्धन सिंह की बेटी हैं। बुधवार को कुन्नूर हादसे के बाद परिवार की तरफ से दिल्ली सबसे पहले यशवर्धन सिंह ही पहुंचे थे।

शुक्रवार को चैंपियनशिप का समापन हुआ

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64वीं राष्ट्रीय रायफल शूटिंग चैम्पियनशिप-2021 का समापन शुक्रवार को हो गया है। इसमें बांधवी सिंह को .22 कैलिबर, 50 मीटर वर्ग में राष्ट्रीय चैंपियन का ताज पहनाया गया है। इसके बाद वह तुरंत जनरल रावत और मधुलिका रावत के अंतिम संस्कार के लिए दिल्ली चली गईं।

कम बोलते थे फूफा रावत

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बांधवी सिंह ने टाइम्स ऑफ इंडिया से बात करते हुए कहा कि फूफा बिपिन रावत कम बोलते थे, लेकिन वह जो भी बोलते थे, वह प्रेरणा देने वाली बातें होती थीं। वह हमेशा कहते थे कि जब भी कोई काम हाथ में ले तो उसे तब तक आराम नहीं करना चाहिए, जब तक कि वह उसे पूरा न कर ले। उनके निधन की जानकारी के बाद भी यही मुझे लक्ष्य पर केंद्रित रखा।

अक्टूबर में हुई थी जनरल रावत से आखिरी मुलाकात

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नेशनल शूटर बांधवी सिंह ने बताया कि अक्टूबर में जनरल रावत से आखिरी मुलाकात हुई थी। पेरू में विश्व चैंपियनशिप से लौटने के बाद, मैं दो दिनों के लिए नई दिल्ली में बुआ और फूफा के घर पर रूकी थी। इस दौरान जनरल रावत से हमारी बातचीत भी हुई और बहुत कुछ सीखने को मिला। बांधवी ने कहा कि वह मुझे कुछ कार्यक्रमों में भी ले गए, मेरे पास बहुत अच्छा वक्त था और मुझे कभी नहीं पता था कि यह उनके साथ मेरी आखिरी मुलाकात होगी।

हिस्ट्री से ग्रेजुएशन कर रहीं बांधवी सिंह

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शूटर बांधवी ने एमपी शूटिंग एकेडमी की सदस्य हैं। वह हिस्ट्री से ग्रेजुएशन कर रही हैं। दसवीं क्लास में बांधवी सिंह ने शूटिंग शुरू की थी। 12वीं कक्षा तक लगातार छह साल बांधवी सिंह हॉकी में राष्ट्रीय स्कूल चैंपियन रहीं। बांधवी ने बताया कि डेली कॉलेज इंदौर में पढ़ाई के दौरान क्लास डेन में शूटिंग की ओर आकर्षित हुई। उन्होंने बताया कि मैंने दोनों गेम्स राष्ट्रीय चैंपियनशिप जीती। बाद में मैंने शूटिंग पर ध्यान केंद्रित करने का फैसला किया। वहीं, बांधवी सिंह के पिता यशवर्धन सिंह ने कहा कि दिवंगत जनरल मधुलिका के पैतृक निवास शहडोल में सैनिक स्कूल खोलना चाहते थे। हम शहडोल से ताल्लुक रखते हैं जो आदिवासी बाहुल्य इलाका है। मैंने 15 दिन पहले जनरल रावत से बात की थी और उन्होंने जनवरी 2022 में शहडोल आने का वादा किया था। वह शहडोल में सैनिक स्कूल खोलने के इच्छुक थे।

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