अशोक गहलोत के खिलाफ क्यों हुए हरीश चौधरी? OBC आरक्षण में क्रेडिट लेने की होड़ या कुछ और, जानें

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अशोक गहलोत के खिलाफ क्यों हुए हरीश चौधरी? OBC आरक्षण में क्रेडिट लेने की होड़ या कुछ और, जानें

अशोक गहलोत के खिलाफ क्यों हुए हरीश चौधरी? OBC आरक्षण में क्रेडिट लेने की होड़ या कुछ और, जानें

जयपुर: मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भले ही दावा करते हों कि 102 विधायक उनके साथ हैं लेकिन उनके नजदीकी नेता उनका साथ छोड़ते जा रहे हैं। खेमे से बाहर निकलने वाले इन नेताओं में एक बड़ा नाम हरीश चौधरी का भी है जो इन दिनों अशोक गहलोत के सामने तीखे तेवर दिखा रहे हैं। ओबीसी आरक्षण की विसंगति का हल निकाले जाने के बाद पुरानी टशन को लेकर चौधरी ने अपने आवास पर प्रेस कांफ्रेंस की। आरक्षण विसंगति का हल निकालने के लिए धन्यवाद देने के साथ ही हरीश चौधरी ने पुराने घाव भी कुरेद डाले। साथ ही इशारों ही इशारों में गहलोत को नसीहत भी दे डाली।

ओबीसी आरक्षण की विसंगतियां दूर करने की मांग को लेकर चले आंदोलन की हरीश चौधरी ने अगुवाई की। पिछले पांच महीनों से हरीश चौधरी लगातार सरकार से मांग करते रहे कि ओबीसी आरक्षण की विसंगतियों को शीघ्र दूर किया जाए अन्यथा उन्हें सड़क पर उतर कर आंदोलन करना पड़ेगा। अगस्त और सितंबर में प्रदेश स्तरीय विरोध प्रदर्शनों में हरीश चौधरी शामिल हुए और सरकार को चेतावनी देते रहे। वे बार बार मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से भी मिले और अपनी मांग को उनके सामने रखा। वाजिब मांग समय पर नहीं मानी गई तो हरीश चौधरी विरोधियों के निशाने पर आ गए।

जयपुर में हुए महापड़ाव में सरकार को चेताया था हरीश चौधरी ने
आरक्षण की विसंगतियों को दूर करने की मांग को लेकर 30 सितंबर को जयपुर में महापड़ाव डाला गया। शहीद स्मारक पर हुए इस महापड़ाव में हरीश चौधरी ने सरकार को 2 दिन का अल्टीमेटम दिया। उसी दिन चौधरी के नेतृत्व में पीसीसी चीफ गोविन्द सिंह डोटासरा के जरिए मुख्यमंत्री निवास पर उच्च अधिकारियों की बैठक हुई। चौधरी ने साफ कहा कि अगर दो दिन में कुछ एक्शन नहीं हुआ तो सरकार के खिलाफ प्रदेशव्यापी महापड़ाव डाला जाएगा। उन्होंने कहा कि ओसीबी वर्ग रूठ गया तो सरकार की नींद हराम कर देगा।

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राजनैतिक विरोधियों के निशाने पर आए तो आक्रामक हुए चौधरी
हरीश चौधरी के अल्टीमेटम के बाद धरातल पर कोई एक्शन होता नहीं दिखा तो चौधरी अपने विरोधियों के निशाने पर आ गए। विरोधी ताना मारने लगे कि हरीश चौधरी पूर्व कैबिनेट मंत्री हैं और पंजाब कांग्रेस के प्रभारी होने के साथ पार्टी के कद्दावर नेता हैं। उनके कहने के बावजूद भी सरकार में काम नहीं हो रहा तो उनके होने का क्या मतलब है। हालांकि इसी दरमियान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने ओबीसी वर्ग की मांग पर सैद्धांतिक सहमति दे दी थी लेकिन सोशल मीडिया पर विरोधियों ने चौधरी पर तंज कसे।

9 नवंबर को फैसला नहीं हुआ तो बिखर गए हरीश चौधरी
हरीश चौधरी बार बार मुख्यमंत्री से ओबीसी आरक्षण की विसंगतियों को दूर करने का आग्रह करते रहे लेकिन उन्हें सिर्फ आश्वासन ही मिल रहा था। इससे आहत चौधरी ने 7 नवंबर को हिमाचल प्रदेश में सीएम से कहा कि ओबीसी वर्ग की मांग का जल्द निस्तारण करें। 9 नवंबर को कैबिनेट की बैठक बुलाई गई। चौधरी को उम्मीद थी कि मुद्दे का हल होने वाला है लेकिन कैबिनेट की बैठक में इस मुद्दे को डैफर कर दिया गया। इससे हरीश चौधरी गुस्सा हो गए और ट्विटर पर सीएम को सीधी चुनौती देते हुए लिखा कि अशोक गहलोत जी, आखिर क्या चाहते हैं आप।

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10 दिन तक लगातार मुख्यमंत्री पर सियासी हमला करते रहे हरीश चौधरी
10 नवंबर को हरीश चौधरी ने प्रेस कांफ्रेंस बुलाकर अपनी भड़ास निकाली। 11 नवंबर को वे अपने विधानसभा क्षेत्र में गए और वहां के स्थानीय कार्यक्रमों में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को लगातार चेतावनी देते रहे। साथ ही बड़े आंदोलन की धमकियां देते रहे। वे मांग करते रहे कि फिर से कैबिनेट की बैठक बुलाई जाए और इस मुद्दे का निस्तारण किया जाए अन्यथा ओबीसी वर्ग कांग्रेस की बैंड बजा देगा। मुख्यमंत्री ने 24 नवंबर बुधवार को फिर से कैबिनेट की बैठक बुलाई और इस मुद्दे का निस्तारण कर दिया।

मुख्यमंत्री नहीं देना चाहते थे हरीश चौधरी को श्रेय
ओबीसी युवाओं की मांग जायज थी। सरकार उसे पूरा भी करना चाहती थी लेकिन चूंकि ओबीसी वर्ग का नेतृत्व हरीश चौधरी कर रहे थे लेकिन मुख्यमंत्री चौधरी को श्रेय नहीं देना चाहते थे। 23 नवंबर को प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में मुख्यमंत्री ने गोविन्द डोटासरा का नाम लेकर कहा कि इन्होंने सबसे बात कर ली है। शीघ्र इसका हल निकालेंगे। इस दौरान हरीश चौधरी को याद तक नहीं किया गया। साथ ही मुख्यमंत्री ने तंज भी कसा कि कुछ लोग इसे राजनैतिक और जातिगत मुद्दा बनाकर विषय को भटका रहे हैं।

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मुद्दे का निस्तारण होने के बाद हरीश चौधरी के तेवर आक्रामक
ओबीसी आरक्षण की विसंगतियां दूर किए जाने के बाद मुख्यमंत्री का आभार जताते हुए हरीश चौधरी ने पुराने घाव फिर से कुरेदे। उन्होंने कहा कि काफी देरी होने के कारण उन्हें आक्रामक होना पड़ा लेकिन आखिर मानना पड़ा। मुख्यमंत्री द्वारा सचिन पायलट को गद्दार करने वाले बयान पर हरीश चौधरी ने मुख्यमंत्री को नसीहत दे डाली। चूंकि मुख्यमंत्री कई बार कहते हैं कि वे तीन बार केन्द्रीय मंत्री, तीन बार पीसीसी चीफ और तीन बार मुख्यमंत्री रह चुके हैं। इसी तर्ज पर हरीश चौधरी ने कहा कि वे ना तो तीन बार केन्द्रीय मंत्री रहे, ना तीन बार पीसीसी चीफ रहे और ना ही तीन बार के मुख्यमंत्री हैं लेकिन इतना राजनैतिक अनुभव तो है कि बयान देते समय अपने शब्दों पर संयम रखना चाहिए।

राजस्थान की भारत जोड़ो यात्रा से दूर हैं हरीश चौधरी
राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा दिसम्बर के पहले सप्ताह में राजस्थान पहुंचने वाली है। कांग्रेस के तमाम नेता राहुल गांधी की यात्रा की तैयारियों में जुटे हैं लेकिन हरीश चौधरी इससे दूर हैं। प्रदेश के सभी सीनियर नेता झालावाड़ पहुंच रहे हैं क्योंकि राहुल झालावाड़ से ही राजस्थान की सीमा में प्रवेश करेंगे लेकिन हरीश चौधरी शनिवार 26 नवंबर को पंजाब पहुंच गए। पंजाब के प्रभारी होने के नाते वहां बैठक ले रहे हैं लेकिन राजस्थान कांग्रेस की पिक्चर से हरीश चौधरी दूर हैं। इससे यह साफ हो गया है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और हरीश चौधरी के बीच पटरी नहीं बैठ रही है। अब देखना यह होगा कि दोनों की अंदरूनी कलह आने वाले दिनों में क्या रूप लेती है। (रिपोर्ट – रामस्वरूप लामरोड़, जयपुर)

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