‘अशोक गहलोत और सचिन पायलट दोनों जरूरी’ – राहुल गांधी पर एक म्यान में दो तलवार कैसे

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‘अशोक गहलोत और सचिन पायलट दोनों जरूरी’ – राहुल गांधी पर एक म्यान में दो तलवार कैसे

‘अशोक गहलोत और सचिन पायलट दोनों जरूरी’ – राहुल गांधी पर एक म्यान में दो तलवार कैसे

जयपुर: कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा है कि अशोक गहलोत और सचिन पायलट दोनों कांग्रेस पार्टी के लिए जरूरी है। इंदौर में मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए राहुल गांधी ने गहलोत और पायलट दोनों को अहम बताया है। इससे यह तो साफ हो गया कि अशोक गहलोत की ओर से दिए हाल ही में दिए गए बयान को राहुल गांधी ने तवज्जो नहीं दी है। राहुल गांधी गहलोत और पायलट के बीच चल रहे सियासी झगड़े को तूल नहीं देना चाहते। तभी तो गहलोत की ओर से सचिन पायलट को गद्दार कहने और कुछ दिनों पहले सचिन पायलट की ओर से अशोक गहलोत की तुलना गुलाम नबी आजाद से करने के बयानों को राहुल गांधी ने इग्नोर किया है। राहुल दोनों ही नेताओं को साथ लेकर चलना चाहते हैं। इसी वजह से दोनों के बीच चल रहे सियासी झगड़े को शांत करने की कोशिश में हैं।

भारत जोड़ो यात्रा पर कोई प्रतिकूल असर नहीं पड़ेगा
मीडिया से बातचीत करते हुए राहुल गांधी ने कहा कि अशोक गहलोत और सचिन पायलट के टकराव से राजस्थान में उनकी भारत जोड़ो यात्रा पर कोई असर नहीं पड़ेगा। उन्होंने कहा, “जब भी मैं किसी नए राज्य में दाखिल होता हूं, आप लोग मुझसे कहते हैं कि समस्या आएगी। अब आप कह रहे हैं कि राजस्थान में दिक्कत आएगी। सच ये है कि यात्रा कांग्रेस से भी बड़ी हो गई है। अब ये भारत की आंतरिक आवाज है।” राहुल गांधी गहलोत और पायलट के बीच चल रहे टकराव को रोकने के मूड में हैं। इसी कारण वे इसे तवज्जो नहीं दे रहे हैं। चूंकि अगले साल राजस्थान में भी विधानसभा चुनाव है। चुनावों को देखते हुए इन दोनों नेताओं के बीच चल रही खींचतान को रोकना बेहद जरूरी है।

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जयराम रमेश भी बोले – गहलोत और पायलट दोनों हैं जरूरी
राहुल गांधी से पहले कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने भी कहा था कि गहलोत-पायलट दोनों को कांग्रेस के लिए जरूरी हैं। हालांकि जयराम रमेश ने अशोक गहलोत की ओर से हाल ही में दिए बयान को ठीक नहीं बताया। उन्होंने गहलोत की ओर से उपयोग किए गए शब्दों को अप्रत्याशित बताया। अब राहुल गांधी ने भी उसी लाइन पर बयान देकर दोनों नेताओं को साथ रखने की बात कही है।

अब माना जा रहा है कि राजस्थान में राहुल की यात्रा में अशोक गहलोत और सचिन पायलट को सार्वजनिक रूप से गले मिलवाकर एकता का मैसेज दिया जा सकता है। पिछले विधानसभा चुनावों में भी राहुल गांधी ने दोनों को गले मिलवाकर एकता का मैसेज दिया था।

एक म्यान में दो तलवारें कैसे रहेंगी
राहुल गांधी के बयान के बाद सियासी गलियारों में यही चर्चाएं चल रही है कि एक म्यान में दो तलवारें कैसे रहेंगी। राजस्थान में अशोक गहलोत और सचिन पायलट दोनों का ही कद छोटा नहीं हैं लेकिन दोनों एक दूसरे को बिल्कुल पसंद नहीं करते। अशोक गहलोत तो सचिन पायलट के लिए नकारा, निकम्मा और गद्दार जैसे शब्दों का इस्तेमाल कर चुके हैं। कई सार्वजनिक कार्यक्रमों में गहलोत ने सचिन पायलट पर तंज कसे हैं।

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पिछले दिनों यहां तक कह दिया कि जो पीसीसी चीफ रहते हुए पार्टी के साथ गद्दारी कर रहा था, वह सीएम के रूप में कभी स्वीकार्य नहीं है। उधर सचिन पायलट ने भी 3 नवंबर को अशोक गहलोत की तुलना गुलाम नबी आजाद से कर दी थी। पीएम नरेन्द्र मोदी की ओर से तारीफ करने पर पायलट ने गहलोत पर तंज सका था। हालांकि पिछली बार जब गहलोत और पायलट में टकराव हुआ था तब राहुल गांधी ने दोनों को साथ लेकर हाथ खड़े करवा कर एकजुट होने का संदेश दिया। अब एक बार फिर राहुल गांधी यही प्रयास दोबारा करेंगे, लेकिन गहलोत और पायलट की ओर से दिए गये बयानों के चलते दोनों का साथ चलना आसान नहीं होगा।

राहुल गांधी की यात्रा पर क्या पड़ेगा असर
राहुल गांधी की ओर से राजस्थान में एंट्री से पहले ही यह साफ कर दिया गया है कि वो इस मामले को तूल नहीं देंगे। पार्टी भी दोनों नेताओं के खिलाफ किसी भी तरह की कार्रवाई के मूड में नहीं है। लेकिन राजनीति के जानकारों का कहना है कि राहुल जब राजस्थान में एंटर होंगे, तो भले ही सीधे तौर पर अशोक गहलोत बनाम सचिन पायलट का कलह थम जाए, लेकिन अदरूनी तौर पर यह लड़ाई और बढ़ेगी। (रिपोर्ट – रामस्वरूप लामरोड़, जयपुर)

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