अल्ताफ अहमद भट्ट : जानिए ISI के दुलारे हिज्बुल के इस आतंकी की कहानी जिसे पाकिस्तान में किया गया अरेस्ट

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अल्ताफ अहमद भट्ट : जानिए ISI के दुलारे हिज्बुल के इस आतंकी की कहानी जिसे पाकिस्तान में किया गया अरेस्ट

श्रीनगर : भगोड़े हुर्रियत सदस्‍य अल्‍ताफ अहमद भट्ट (Altaf Ahmad Bhat) को पाकिस्तान में गिरफ्तार किया गया है। भट्ट और उसके 16 सहयोगियों को करीब 140 करोड़ रुपये की हेराफेरी के सिलसिले में पकड़ा गया है। मामला रावलपिंडी के एक कोऑपरेटिव हाउजिंग प्रॉजेक्‍ट से जुड़ा है। मध्‍य कश्‍मीर के बडगाम जिले का रहने वाला अल्‍ताफ हिज्‍बुल मुजाहिदीन से जुड़ा रहा। सूत्रों के अनुसार, अल्‍ताफ और उसके बड़े भाई जफर अकबर भट्ट (Zaffar Akbar Bhat) को 1993 में पीओके में आतंकी ट्रेनिंग मिली। 1995 में अल्‍ताफ पाकिस्तान भाग गया जबकि जफर ने पिछले साल सरेंडर कर दिया। तब से अल्‍ताफ कराची में रहते हुए ISI की सरपरस्‍ती में कश्‍मीर के आतंकियों को फंडिंग कर रहा है। अल्‍ताफ को रावलपिंडी में हुर्रियत के पाकिस्‍तानी धड़े (Pakistan Chapter Of Hurriyat) का अहम सदस्‍य माना जाता है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, ISI के ‘दुलारे’ अल्‍ताफ और उसके साथियों को सुप्रीम कोर्ट के भूमि घोटाला मामले में जांच का आदेश देने के बाद गिरफ्तार किया गया।

कौन है अल्‍ताफ अहमद भट्ट?
अल्‍ताफ अहमद भट्ट की पहचान बड़े कश्‍मीरी अलगाववादी के रूप में है। वह पाकिस्‍तान में ऑल पार्टी हुर्रियत कॉन्‍फ्रेंस (APHC) के प्रतिनिधि की तरह काम करता है। 1995 में जब वह पाकिस्‍तान भागा, उसके बाद सीधे हथियार लेकर लड़ने के बजाय बैकग्राउंड में आतंकियों का मददगार बन गया। तब से लेकर अब तक हर भारत-विरोधी और प्रो-आजादी गतिविधि में उसकी संलिप्‍तता रही है। जब वह हिज्‍बुल का सक्रिय सदस्‍य था, तब ‘तुफैल’ कोडनेम से ऑपरेट करता था। खुफिया सूत्रों के अनुसार, अल्‍ताफ ISI और जम्‍मू कश्‍मीर में सक्रिय आतंकियों के बीच की बड़ी बन गया। उसने हुर्रियत में अपनी पकड़ के जरिए अमीर कश्‍मीरियों को पाकिस्तान के पेशेवर कॉलेजों में सीट दिलाने के बदले खूब दलाली खाई।

पुलिस की गिरफ्त में है जफर अकबर भट्ट
J&K की स्‍पेशल इनवेस्टिगेशन एजेंसी (SIA) ने पिछले साल अगस्‍त में नौ संदिग्‍धों को पकड़ा जिनमें अल्‍ताफ का भाई जफर भी शामिल था। मामला रसूखदार कश्‍मीरियों के बच्‍चों को एक पाकिस्‍तानी मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस की सीटें बेचने के स्‍कैंडल से जुड़ा है। हुर्रियत के भीतर ही यह रैकेट चल रहा था। इसके बाद SIA ने अल्‍लाफ को टेररिज्‍म फंडर घोषित किया। हुर्रियत ऐसे कश्‍मीरी लड़कों को चुनती थी जिन्‍हें बरगला कर आतंकवाद की तरफ लाया जा सके। मामला 2018 में सामने आया और उसी के बाद कश्‍मीर में आतंकवाद के लिए फंडिंग के सोर्सेज की बड़े पैमाने पर जांच शुरू हुई।

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SIA ने पिछले साल दायर चार्जशीट में कहा कि सबूत यह भी साबित करते हैं कि इससे कमाए गए पैसे को विभिन्न चैनलों में डाला गया था जो आतंकवाद और अलगाववाद को बढ़ावा देते हैं। गवाहों से पूछताछ में यह संकेत मिला कि कई परिवारों ने ISI के इशारे पर हुर्रियत के कार्यक्रम का लाभ उठाने के लिए हुर्रियत नेताओं से संपर्क किया। इसका उद्देश्य मारे गए आतंकवादियों के परिवार को मुफ्त एमबीबीएस और इंजीनियरिंग सीटें उपलब्ध कराकर आतंकवाद को बढ़ावा देना था।

रिपोर्ट्स के अनुसार, अल्‍ताफ के पाकिस्‍तान भागने के बाद जफर हिज्‍बुल कमांडर अब्‍दुल माजिद डार के खेमे में शामिल हो गया। सैयद सलाहुद्दीन के गुर्गों ने 2003 में डार और उसके कई साथियों को मौत के घाट उतार दिया। इन दोनों का एक तीसरा भाई – अब्‍दुल गनी भट्ट भी है जो रियल एस्‍टेट एजेंट था। वह हिज्‍बुल की इसी आपसी लड़ाई में मारा गया था।



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