अलाया एफ ने कहा- अनुराग टेडी बियर की तरह हैं, अपने नाना से की थी उनसे मिलवाने की गुजारिश

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अलाया एफ ने कहा- अनुराग टेडी बियर की तरह हैं, अपने नाना से की थी उनसे मिलवाने की गुजारिश

अलाया एफ ने कहा- अनुराग टेडी बियर की तरह हैं, अपने नाना से की थी उनसे मिलवाने की गुजारिश

अलाया एफ को बॉलिवुड में आए कुछ ही अरसा हुआ है, मगर कम समय में उन्होंने ‘जवानी जानेमन’ और ‘फ्रेडी’ जैसी फिल्मों में अलग तरह की भूमिकाएं निभा कर अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज कराई है। इन दिनों वे चर्चा में हैं अनुराग कश्यप निर्देशित ‘ऑलमोस्ट प्यार विथ डीजे मोहब्बत’ से। उनसे एक खास बातचीत

‘फ्रेडी’ जैसी फिल्म में नेगेटिव भूमिका करना एक बड़ा रिस्क था, मगर आपकी भूमिका को काफी तारीफ मिली।
‘फ्रेडी’ से हमें जो रिस्पॉन्स मिला है, उसको देख कर मैं बहुत खुश हूं। लोगों ने फिल्म को पसंद किया है, तो हम सब इसके लिए बहुत आभारी हूं। अगर पसंद की बात करूं, तो जब मैं ‘जवानी जानेमन’ कर रही थी तब बहुत लोगों ने कहा कि इसमें तो बहुत रिस्क है एक प्रेग्नेंट लड़की का किरदार करना है, मगर मुझे तो पता ही नहीं था कि प्रेग्नेंट होना रिस्क का काम हो सकता है। मुझे तो बहुत नेचुरल लगा। मुझे फिल्म की कहानी पसंद आई, मुझे मेरा किरदार अच्छा लगा और ऑडिशन देने के बाद मुझे ऐसी फिल्म मिली है। ‘फ्रेडी’ के समय मैंने जब स्क्रिप्ट पढ़ी तो जब वो टर्निंग पॉइंट आता है और मेरा किरदार एकदम बदल जाता है और मैं विलेन बन जाती हूं। फिल्म में कार्तिक जैसे दमदार कलाकार थे, तो मैंने एक मिनट के लिए भी नहीं सोचा कि रिस्क है। मुझे कहीं ना कहीं लगता था कि ये फिल्म मेरे करियर के लिए साबित होगी और ऐसा ही हुआ। अब अपनी नई फिल्म ‘ऑलमोस्ट प्यार विथ डीजे मोहब्बत’ में भी मैं दो चोटी बना कर स्कूल के कपड़ों में हूं, तो बहुत लोगों को लगता होगा कि ये भी रिस्क है, क्योंकि मैं थोड़ी सी यंग लड़की हूं। मुझे लगता है हर फिल्म में कुछ ना कुछ रिस्क तो होता है। मैं अगर स्क्रिप्ट से कनेक्ट कर पा रही हूं और डायरेक्टर पर भरोसा कर सकूं, तो मैं वो फिल्म कर लेती हूं।

आप असल जिंदगी में आप प्यार के लिए किस हद तक जा सकती हैं?
मैं पागलपन वाले प्यार में यकीन नहीं करती। मुझे लगता है अगर आपकी जिंदगी में प्यार है, जैसा कि एक बच्चे और उसके माता-पिता के बीच में होता है और वो बहुत ही खूबसूरत प्यार होता है। मैं हेल्दी प्यार में विश्वास करती हूं, जिससे मैं आगे बढ़ सकूं और मेरा पार्टनर भी ग्रो कर सके, तो प्यार उसी हद तक अच्छा लगता है, जहां तक वो हेल्दी है। और मुझे लगता है अगर कोई दिक्कत है तो उसको सॉल्व करने की भी एक अप्रोच होना चहिए। तो मैं सपोर्टिव प्यार में विश्वास करती हूं। प्यार कंस्ट्रक्टिव हो डिस्ट्रक्टिव नहीं। दिल जला टाइप के प्यार बहुत ही बेवकूफी भरा आइडिया है, क्योंकि प्यार आपको हिम्मत देता है, बरबाद नहीं करता।

‘ऑलमोस्ट प्यार विथ डीजे मोहब्बत’ में आपके निर्देशक अनुराग कश्यप हैं, सुना है, उनको गुस्सा जल्दी आता है?
नहीं, बिल्कुल भी नहीं! हमारे सेट पर तो एक सेकेंड के लिए भी गुस्सा नहीं हुए। वे तो टेडी बियर की तरह हैं। हमेशा खुश रहते थे और हमेशा प्रोत्साहित करते रहते थे। मुझे नहीं लगता कि पिछले 4 साल में मैंने अनुराग सर को एक बार भी गुस्सा होते देखा हो। मुझे लगता है अनुराग कश्यप के साथ जब आप एक फिल्म करते हो, तो वो एक्टिंग में एक मास्टरक्लास होती है, क्योंकि उनका अप्रोच बहुत अलग होता है तो जैसे मुझे याद है जब मैं पहले दिन सेट पर गई थी, तो मैंने उनसे बहुत कुछ पूछा था कि क्या तैयारी करूं, कैसे करना है और उन्होंने कहा, सेट पर आ जाओ, बाकी सब सेट पर ही होगा। मैं सेट तैयारी करके जाने वाली लड़की ठहरी। फिर जब मैं सेट पर गई तो हर सीन के लिए दो-दो टेक उससे ज्यादा नहीं और लाइन्स तो तब मिली जब हम सेट पर पहुंचे तो जल्दी जल्दी जो भी आप याद कर सकते हो वो करते हैं बाकी सब नेचुरल ही बोलते हैं। मेरे लिए बहुत ही अलग और स्पॉन्टेनियस अनुभव था। मैंने उनसे सीखा कि अभिनय के साथ-साथ मैं इंस्टिक्टिव कैसे रहूं? तो ये मेरी आने वाली फिल्मों में भी मददगार साबित होगा।

अनुराग कश्यप जैसे जाने-माने निर्देशक ने आपको कैसे साइन किया?
दरअसल ये फिल्म मैंने ‘जवानी जानेमन’ से पहले साइन की थी। मुझे याद है मैं अनुराग सर से तब मिली जब मेरे नाना (अभिनेता कबीर बेदी) ने उनको कॉल किया। उस समय मैं काफी ऑडिशन दे रही थी और मीटिंग कर रही थी, क्योंकि मुझे कोई फिल्म नहीं मिल रही थी। मैंने अपने नाना से गुजारिश की कि आप प्लीज मुझे अनुराग सर से मिलवाएंगे और मैं सिर्फ उनसे मिलन चाहती हूं। मैंने एक रील बनाई है और मुझे बस ये रील अनुराग सर को दिखानी है। मैं फिर अनुराग सर के ऑफिस गई, जो उनका घर भी था और उस वक्त वहां पर बहुत सारे लोग थे। उस वक्त उन्होंने भी मुझे काफी डिस्करेज किया था। उन्होंने मुझसे कहा कि मैं तो सिर्फ टेढ़ी फिल्में बनाता हूं, तुम वो सब नहीं कर पाओगी। मैंने उनसे अनुरोध किया कि वो सिर्फ रील देख लें। इतना कह कर मैं वहां से निकल गई। अनुराग सर ने वो रील देखी और 7 मिनट बाद मुझे फिल्म ऑफर कर दी। उसके 2 महीने बाद मुझे जवानी जानेमन मिली।

सोशल मीडिया पर आप बहुत फेमस है और ‘फ्रेडी’ को लेकर बहुत सारे मीम बने। आपको फैंस से किस तरह के रिएक्शन मिले ?
मुझे आज भी सोशल मीडिया पर लोग पूछते है कि दांत कैसे हैं? हार्डी को नहीं मारना चाहिए था और तीसरी बात ये बोली जाती है कि सॉरी बोलना चाहिए था। ये तीन कॉमेंट मेरे हर पोस्ट पर आते ही आते हैं।

आपकी फिल्म ऑलमोस्ट प्यार विथ डीजे मोहब्बत में आप एक सिंगर से प्रभावित होकर प्यार करने लगती हैं। असल जिंदगी में कभी किसी हस्ती से प्रभावित हुई हैं?
एक आर्टिस्ट हैं लेडी गागा। वे बहुत ही मस्त मौला, रिबेलियस और बहुत निडर रही हैं, तो मैं उनको बहुत अडमायर करती थी, क्योंकि उनकी निडरता देखकर मैं लेडी गागा की बहुत बड़ी फैन थी और आज भी हूं। लेकिन कभी ऐसा नहीं हुआ की मैं उनके शो के लिए जा सकूं, मगर किसी दिन उनसे जरूर मिलूंगी। कम से कम एक बार मैं जरूर मिलूंगी।

बॉयकॉट ट्रेंड पर हाल ही में पीएम का कहना था कि फिल्मों पर गैर जरूरी बयानों से बचें नेता गण। क्या आपको लगता है, इससे बॉयकॉट ब्रिगेड में बदलाव आएगा?
मैं आशा करती हूं कि ऐसा हो। मुझे लगता है कि जब एक फिल्म बॉयकॉट होती है, तो सिर्फ प्रडयूसर और डायरेक्टर ही नहीं प्रभावित होते बल्कि फिल्म से जुड़े दूसरे कई लोग भी मुश्किलों से गुजरते हैं।

अपने नाना कबीर बेदी से आप कितनी मुतासिर हैं?
मुझे लगता है एक इंसान के तौर पर तो बहुत ज्यादा सीखने मिला है। मेरे मन में अगर कोई सवाल आता है, तो मैं हमेशा उन्ही से पूछती हूं फिर चाहे वो काम को लेकर हो या जिंदगी को लेकर। और वो बहुत सोच समझ कर जवाब देते हैं। बहु बार वो मेरी बात सोच रहते हैं। और बाद में मेसेज करते हैं। मैंने उनकी किताब भी पढ़ी है और उससे भी बहुत कुछ सीखने को मिला। उनका एडवाइज हमेशा एकदम सॉलिड होता है।

क्या आप अपनी मॉम पूजा बेदी को एक मेंटॉर के रूप में देखती हैं?
मैं करियर को लेकर ज्यादा अडवाइज किसी से भी नहीं लेती, क्योंकि मुझे लगता है जब हम बहुत सारे ओपिनियन लेते है, तो कंफ्यूज हो जाते हैं। मेरी एक टीम है, मैं सिर्फ उन्हीं लोगों से अडवाइज लेती हूं।

आपके लिए अवॉर्ड्स कितने महत्व रखते हैं?
अवॉर्ड्स की अहमियत तो है, क्योंकि वैलिडेशन सभी को चाहिए होता है। जवानी जानेमन जब रिलीज हु, तो मेरे मन में बस एक ही चीज था कि मुझे वो डेब्यू वाला फिल्म फेयर जीतना है, क्योंकि वो लाइफ में एक ही बार हो सकता है। और जैसे ही मुझे वो अवॉर्ड मिला तो मुझे लगा कि मैं सांस ले सकती हूं।