अरे, गुड़िया आई… 22 साल की उम्र में MBA गर्ल वैष्णवी निर्विरोध बन गई सरपंच, देखें तस्वीरें

111

अरे, गुड़िया आई… 22 साल की उम्र में MBA गर्ल वैष्णवी निर्विरोध बन गई सरपंच, देखें तस्वीरें

एमबीए के बाद लोग मैनेजमेंट के क्षेत्र में जाते हैं। सागर रहने वाली वैष्णवी ठाकुर से मिथ को तोड़ते हुए पंचायत चुनाव में किस्मत अजमाया है। 22 साल की वैष्णवी पहली बार में ही निर्विरोध चुनाव जीत गई है। सागर से बामौरा पंचायत से वैष्णवी सबसे कम उम्र की सरपंच है। नवभारत टाइम्स डॉट कॉम से बातचीत में वैष्णवी ने बताया कि वह राजनीति को बचपन से ही समझती आ रही है। यह उनके लिए नया नहीं है लेकिन इस बार जब खुद को जिम्मेदारी मिली है। अब मैंने कुछ अलग करने का मन बना लिया है।

MBA कर रही 22 साल की लड़की बिना वोटिंग के बन गई सरपंच

MP Gram Panchayat Elections : MBA कर रही 22 साल की लड़की बिना वोटिंग के बन गई सरपंच

मां से मिला हौसला

वैष्णवी ने बताया कि मां सुनीता ठाकुर ने उन्हें हमेशा आगे बढ़ना सिखाया। मां ने नई चुनौतियों को स्वीकारना और उनका सामना करना सिखया। वो हाउस वाइफ हैं लेकिन उनके शिक्षित होने का लाभ वैष्णवी और छोटे भाई को मिला। इसलिए निर्विरोध सरपंच चुने जाने का वह क्रेडिट अपनी मां को देती है। वैष्णवी ठाकुर प्रदेश के कैबिनेट मंत्री भूपेंद्र सिंह की पोती और उनके भतीजे उत्तम सिंह ठाकुर की बेटी हैं। राजनीति खून में है लेकिन वैष्णवी को कुछ अलग कर दिखाना है। इसके लिए वे अपनी इनोवेटिव और आधुनिक सोच को औजार बनाएंगी।

सबसे पढ़ी लिखी सरपंच

navbharat times -

नवनिर्वाचित सरंपच वैष्णवी ठाकुर ने गांव में रहकर स्कूल की पढ़ाई की है। अंग्रेजी मीडियम से पढ़ाई के बाद वैष्णवी ने गर्ल्स पीजी कॉलेज से बीकॉम किया। अभी वह डॉ हरि सिंह गौर केंद्रीय विवि से एमबीए कर रही है। सरपंच बनने के बाद वैष्णवी पंचायत का मैनेजमेंट संभालेगी। उन्होंने कहा कि प्रदेश की ग्रामीण स्थिति को बदलने के लिए प्रयासरत रहेंगी। सीएम की योजना आदर्श ग्राम बनाने की थी इसके लिए निर्विरोध महिला सरपंच और दसों पंच वाले गांवों को आदर्श बनाया जाना था। लिहाजा गांव में सहमति बनी और वैष्णवी को सरपंच की जिम्मेदारी का सबकी सहमति से निर्णय लिया गया।

अरे गुड़िया आई है…

navbharat times -

सबसे छोटी सरपंच जब पर्चा भरने पहुंचीं तो लोगों के अलग-अलग रिएक्शन्स के बारे में भी वैष्णवी ने हमें बताया। किसी ने कहा कि अरे गुड़िया आई है लेकिन जब मालूम हुआ कि वे खुद पर्चा भरने आई हैं तो लोगों को आश्चर्य भी हुआ। लोग देख रहे थे लेकिन पापा और दादाजी भूपेंद्र सिंह ने सिखाया है कि कभी नर्वस नहीं होना है। हर काम को शांति से करना है, तभी काम सही होंगे। बस यही फॉर्म्युला है।

ग्रामीण परिवेश में बदलाव

navbharat times -

वैष्णवी की यह दस्तक है ग्रामीण परिवेश में बदलाव की, जहां पढ़े लिखे युवा सरपंच बन आगे आ रहे हैं। इतना ही नहीं महिला सशक्‍त‍िकरण की म‍िसाल भी यहां कायम हुई है। सरपंच के अलावा पंचायत के सभी 10 पंच के पदों पर मह‍िलाएं ही न‍िर्व‍िरोध चुनी गईं हैं। अब पूरे बामौरा पंचायत की कमान महिलाओं के हाथ में है। बामौरा गांव नगरीय विकास एवं आवास मंत्री भूपेंद्र सिंह का पैतृक गांव है।

तीन पंचायतें निर्विरोध

navbharat times -

बामौरा तीसरी पंचायत है जो आदर्श ग्राम बनेगी। इससे पहले सागर जिले में मोकलपुर और चैनपुरा में न‍िर्व‍िरोध पंच-सरपंच चुने गए हैं। तीनों में महिलाएं ही सरपंच और पंच बनी हैं।

उमध्यप्रदेश की और खबर देखने के लिए यहाँ क्लिक करे – Madhya Pradesh News