अरविंद केजरीवाल की ‘एकला चलो रे’ रणनीति, नीतीश कुमार की विपक्षी एकता की मुहिम को झटका

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अरविंद केजरीवाल की ‘एकला चलो रे’ रणनीति, नीतीश कुमार की विपक्षी एकता की मुहिम को झटका

अरविंद केजरीवाल की ‘एकला चलो रे’ रणनीति, नीतीश कुमार की विपक्षी एकता की मुहिम को झटका

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आम आदमी पार्टी (AAP) के संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने साफ कर दिया है कि लोकसभा चुनाव 2024 वह अकेले लड़ेंगे। इससे बिहार के सीएम नीतीश कुमार की विपक्षी एकता की मुहिम को तगड़ा झटका लगा है। केजरीवाल ने स्पष्ट किया कि वे बीजेपी को हराने का लक्ष्य रखने वाले किसी भी गठबंधन में शामिल नहीं होंगे। दूसरी ओर, नीतीश कुमार आगामी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर बीजेपी विरोधी सभी दलों को एकजुट करने में लगे हैं।

दरअसल, AAP संयोजक केजरीवाल ने हाल ही में एक टीवी इंटरव्यू में अपनी आगामी रणनीति को लेकर खुलासा किया। जब उनसे पूछा गया कि क्या वे 2024 में किसी गठबंधन में शामिल होंगे, तो उन्होंने कहा कि उन्हें गठबंधन की राजनीति समझ में नहीं आती है। जब भी गठबंधन की या विपक्षी एकजुटता की बात आती है तो, उसका मकसद बीजेपी को हराना ही होता है। बीजेपी या किसी भी अन्य पार्टी को हराने या जिताने का काम जनता करती है, नहीं की कोई दल। 

केजरीवाल ने आगे कहा कि अगर हम सभी इकट्ठा हो जाएं और जनता के सामने जाकर ये कहें कि हमें बीजेपी को हराने के लिए वोट दो,अगर जनता भाजपा को हराना नहीं चाहती तो हमें स्वीकार नहीं करेगी। केजरीवाल ने स्पष्ट किया कि बीजेपी को हराने के लिए बने किसी भी गठबंधन में वे शामिल नहीं होंगे। अगर देश की तरक्की के लिए कोई गठबंधन बनता है तो वे उसके साथ हैं।

नीतीश की विपक्षी एकता की मुहिम को झटका?

अरविंद केजरीवाल के इस बयान से नीतीश कुमार की विपक्षी एकता की मुहिम को झटका माना जा रहा है। बिहार में बीजेपी का साथ छोड़कर महागठबंधन से हाथ मिलाने वाले नीतीश ने लोकसभा चुनाव 2024 के मद्देनजर देशभर के विपक्षी दलों को एकजुट करने का संकल्प लिया। इस सिलसिले में उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से लेकर शरद पवार, केसीआर समेत कई पार्टियों के नेताओं से मुलाकात की। 

नीतीश कुमार ने दिल्ली में अरविंद केजरीवाल से भी मिलकर साथ आने की अपील की थी। हालांकि, अब केजरीवाल ने संकेत दे दिए हैं कि उनकी पार्टी AAP 2024 में अकेले ही चुनाव लड़ने वाली है। माना जा रहा है कि अरविंद केजरीवाल खुद और नीतीश कुमार दोनों ही खुद को पीएम पद के रूप में प्रोजेक्ट करना चाह रहे हैं। दूसरी ओर, नीतीश कुमार की विपक्षी एकता की मुहिम फिलहाल ठंडे बस्ते में चली गई है। केजरीवाल, सोनिया गांधी समेत अन्य नेताओं से बातचीत में नीतीश को कुछ खास हासिल नहीं हुआ। इसके बाद उनकी मुलाकातों के सिलसिले पर ब्रेक लग गया। 

क्या नीतीश कुमार की विपक्षी एकजुटता की मुहिम ठंडे बस्ते में चली गई?

हाल ही में जेडीयू संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा से इस बारे में सवाल किया गया। इस पर उन्होंने कहा कि नीतीश की विपक्षी एकजुटता की मुहिम ठंडे बस्ते में नहीं गई है। सभी बातें सार्वजनिक नहीं की जाती हैं। धैर्य रखिए।


 

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