अब पिछले क्लेम के आधार पर देने पड़ सकते हैं प्रॉपर्टी कवर के प्रीमियम, बढ़ सकती है इंश्योरेंस की कीमत, जानें क्यों

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अब पिछले क्लेम के आधार पर देने पड़ सकते हैं प्रॉपर्टी कवर के प्रीमियम, बढ़ सकती है इंश्योरेंस की कीमत, जानें क्यों

अब पिछले क्लेम के आधार पर देने पड़ सकते हैं प्रॉपर्टी कवर के प्रीमियम, बढ़ सकती है इंश्योरेंस की कीमत, जानें क्यों


नई दिल्ली: अब ज्यादा रिस्क वाली प्रॉपर्टी की इंश्योरेंस लागत बढ़ने वाली है। इसकी वजह है कि इंश्योरेंस कंपनियों को रीइंश्योरेंस बाजारों में ऐसी प्रॉपर्टी के लिए दरें बढ़ने की आशंका है। ज्यादातर बड़े इंश्योरेंस कवर में वित्त वर्ष की शुरुआत के साथ फेरबदल किए जाते हैं जो कि 1 अप्रैल से शुरू होने वाली पॉलिसी के मुताबिक होता है। टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक पहली बार, कई सारे नॉन लाइफ इंश्योरेंस कंपनियों ने फायर इंश्योरेंस पॉलिसियों की कीमत को व्यक्तिगत दावों के अनुभव से जोड़ने का फैसला लिया है। इंडस्ट्री के सूत्रों के मुताबिक ये बदलाव रेगुलेटर के इस निर्देश के बाद आ रहे हैं कि इंश्योरेंस इन्फॉर्मेशन ब्यूरो की तरफ से पब्लिश किए जाने वाले दरों को मिनिमम रेट मानने की कोई मजबूरी नहीं है।

इंश्योरेंस रेट को पॉलिसीहोल्डर के ट्रैक रेकॉर्ड से जोड़ने से कंपनियों को ज्यादा से ज्यादा ग्राहकों को छूट देने में मदद मिलती है। इसकी वजह है कि मोटर या हेल्थ इंश्योरेंस के मुकाबले प्रॉपर्टी इंश्योरेंस के दावे कम आते हैं। हालांकि, दावा अनुभव के आधार पर पॉलिसी के रेट तय होने की बात ऐसे लोगों के लिए किसी बुरी खबर से कम नहीं है जिन्होंने पिछले तीन वर्षों में बड़े दावे किए हैं। जिन लोगों ने भुगतान किए गए प्रीमियम से तीन गुने से ज्यादा का क्लेम किया है उनके लिए बीमा कंपनियां दाम दोगुने करने जा रही हैं।

एक कारोबारी जिनकी इंडस्ट्रियल पॉलिसी का नवीनीकरण होना है, ने कहा, ‘इंश्योरेंस की कीमत को दावों से नहीं जोड़ा जाना चाहिए, क्योंकि फायर इंश्योरेंस में यदि किसी पॉलिसीधारक ने पिछले 30 वर्षों से कोई दावा नहीं किया है और पिछले साल दावा किया था तो उसका प्रीमियम बढ़ जाएगा।’ उनके मुताबिक, इंश्योरेंस कंपनियां मिलीभगत से काम कर रही हैं।

नॉन-लाइफ कंपनियों के असोसिएशन जनरल इंश्योरेंस काउंसिल के एक प्रवक्ता ने संगठन की ओर से कीमत तय करने पर किसी भी तरह के निर्देश दिए जाने का जोरदार खंडन किया है।

इंडस्ट्री के एक अधिकारी ने कहा कि कीमत को दावों के अनुभव से जोड़ने का फैसला पॉजिटिव है क्योंकि अच्छे रिस्क के लिए प्रीमियम दरें कम होंगी। उन्होंने कहा, ‘पहले अच्छे और बुरे सभी रिक्स के लिए एक जैसे प्रीमियम देने पड़ते थे।’

फायर इंश्योरेंस के सेक्टर में प्रीमिमय तय करने में सरकारी हस्तक्षेप हटने के बाद इंश्योरेंस कंपनियों के बीच जबरदस्त कॉम्पिटिशन देखा गया है। ऐसा उदारीकरण के तुरंत बाद हुआ। फायर इंश्योरेंस की हिस्सेदारी 25% से गिरकर 10% हो गई।

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