अब देश की दूसरी बड़ी फिनटेक सिटी बनेगा इंदौर | Indore to become country’s second largest fintech city after Mumbai | Patrika News
दरअसल, कुछ समय से इंदौर और भोपाल में बड़ी तेजी से स्टार्टअप्स की संख्या बढ़ रही है। इसे और रफ्तार देते हुए प्रदेश में 13 मई को स्टार्टअप पॉलिसी लॉन्च की गई है।
इससे पहले प्रदेश में 1937 स्टार्टअप थे, जो कुछ महीनों में ही 2200 से अधिक हो गए हैं। इस वित्तीय वर्ष के अंत तक यह आंकड़ा 3 हजार से अधिक पहुंचने की उम्मीद जताई जा रही है। लगातार बन रहे स्टार्टअप्स में इन्क्यूबेशन सेंटरों की अहम भूमिका है। अभी प्रदेश में 40 ही सेंटर हैं, जो इस साल अंत तक 70 हो जाएंगे।
इनमें इंदौर के लिए ऐसे सेंटरों को बढ़ावा देने के प्रयास हैं जो फाइनेंस और इससे जुड़ी टेक्नोलॉजी के स्टार्टअप्स को बढ़ावा दे सकें। दूसरी ओर इंदौर में सबसे ज्यादा स्टार्टअप सैस (सॉफ्टवेयर एज ए सर्विसेस) के हैं। कम लागत और छोटे इन्फ्रास्ट्रक्चर में आसानी से शुरू हो जाते हैं। ऐसे में इंदौर के क्लीन टेक सिटी बनने की भी संभावना भी काफी बढ़ गई है। अभी बेंगलुरु और हैदराबाद में इस दिशा में काफी तेजी से काम चल रहा है।
अटल इन्क्यूबेशन सेंटर (प्रेस्टीज) के सीईओ डॉ. संजीव पाटनी का कहना है कि क्लीन टेक में ऊर्जा के स्रोतों का इस्तेमाल होता है। ये ऐसे स्रोत होते हैं, जिससे किसी भी तरह की गैस उत्पन्न न हो। पूरी तरह प्राकृतिक मसलन हवा, पानी और सूरज से मिलने वाली बिजली के साथ ही ई-व्हीकल भी इसके अच्छे उदाहरण हैं।
इंदौर और भोपाल में काफी संभावनाएं
प्रदेश में 13 मई को स्टार्टअप पॉलिसी लॉन्च होने के बाद से स्टार्टअप्स की संख्या बढ़ी है। सरकार इन्क्यूबेशन सेंटरों को पूरा सहयोग दे रही है। इंदौर और भोपाल में काफी संभावनाएं हैं। इंदौर के लिए हम उम्मीद करते हैं कि यहां ज्यादा से ज्यादा फाइनेंस और टेक्नोलॉजी से जुड़े स्टार्टअप्स शुरू हों। मुंबई के बाद इंदौर बड़ी फिनटेक सिटी के रूप में विकसित हो सकता है।
– पी.नरहरी, सचिव, एमएसएमई
इन्क्यूबेशन सेंटरों को कर रहे अपग्रेड
अफसरों की मानें तो पहले से चल रहे इन्क्यूबेशन सेंटरों को अपग्रेड किया जा रहा है। इससे तैयार हो रहे स्टार्टअप्स की और बेहतर लॉन्चिंग होगी। एक्सपर्ट डॉ. निशिकांत वायकर बताते हैं, इन्क्यूबेशन सेंटर और को-वर्किंग एरिया में छोटा सा अंतर है।
इन्क्यूबेशन सेंटर कोर एरिया पर फोकस करते हैं। इसमें संबंधित सेक्टर से जुड़ी तकनीक पर काम करने का मौका मिलता है। अगर किसी एक सेक्टर की विशेषज्ञता न हो तो ऐसे सेंटर सिर्फ को-वर्किंग एरिया बनकर रह जाते हैं। इंदौर को आसानी से फिनटेक सिटी के रूप में तैयार किया जा सकता है।
दरअसल, कुछ समय से इंदौर और भोपाल में बड़ी तेजी से स्टार्टअप्स की संख्या बढ़ रही है। इसे और रफ्तार देते हुए प्रदेश में 13 मई को स्टार्टअप पॉलिसी लॉन्च की गई है।
इससे पहले प्रदेश में 1937 स्टार्टअप थे, जो कुछ महीनों में ही 2200 से अधिक हो गए हैं। इस वित्तीय वर्ष के अंत तक यह आंकड़ा 3 हजार से अधिक पहुंचने की उम्मीद जताई जा रही है। लगातार बन रहे स्टार्टअप्स में इन्क्यूबेशन सेंटरों की अहम भूमिका है। अभी प्रदेश में 40 ही सेंटर हैं, जो इस साल अंत तक 70 हो जाएंगे।
इनमें इंदौर के लिए ऐसे सेंटरों को बढ़ावा देने के प्रयास हैं जो फाइनेंस और इससे जुड़ी टेक्नोलॉजी के स्टार्टअप्स को बढ़ावा दे सकें। दूसरी ओर इंदौर में सबसे ज्यादा स्टार्टअप सैस (सॉफ्टवेयर एज ए सर्विसेस) के हैं। कम लागत और छोटे इन्फ्रास्ट्रक्चर में आसानी से शुरू हो जाते हैं। ऐसे में इंदौर के क्लीन टेक सिटी बनने की भी संभावना भी काफी बढ़ गई है। अभी बेंगलुरु और हैदराबाद में इस दिशा में काफी तेजी से काम चल रहा है।
अटल इन्क्यूबेशन सेंटर (प्रेस्टीज) के सीईओ डॉ. संजीव पाटनी का कहना है कि क्लीन टेक में ऊर्जा के स्रोतों का इस्तेमाल होता है। ये ऐसे स्रोत होते हैं, जिससे किसी भी तरह की गैस उत्पन्न न हो। पूरी तरह प्राकृतिक मसलन हवा, पानी और सूरज से मिलने वाली बिजली के साथ ही ई-व्हीकल भी इसके अच्छे उदाहरण हैं।
इंदौर और भोपाल में काफी संभावनाएं
प्रदेश में 13 मई को स्टार्टअप पॉलिसी लॉन्च होने के बाद से स्टार्टअप्स की संख्या बढ़ी है। सरकार इन्क्यूबेशन सेंटरों को पूरा सहयोग दे रही है। इंदौर और भोपाल में काफी संभावनाएं हैं। इंदौर के लिए हम उम्मीद करते हैं कि यहां ज्यादा से ज्यादा फाइनेंस और टेक्नोलॉजी से जुड़े स्टार्टअप्स शुरू हों। मुंबई के बाद इंदौर बड़ी फिनटेक सिटी के रूप में विकसित हो सकता है।
– पी.नरहरी, सचिव, एमएसएमई
इन्क्यूबेशन सेंटरों को कर रहे अपग्रेड
अफसरों की मानें तो पहले से चल रहे इन्क्यूबेशन सेंटरों को अपग्रेड किया जा रहा है। इससे तैयार हो रहे स्टार्टअप्स की और बेहतर लॉन्चिंग होगी। एक्सपर्ट डॉ. निशिकांत वायकर बताते हैं, इन्क्यूबेशन सेंटर और को-वर्किंग एरिया में छोटा सा अंतर है।
इन्क्यूबेशन सेंटर कोर एरिया पर फोकस करते हैं। इसमें संबंधित सेक्टर से जुड़ी तकनीक पर काम करने का मौका मिलता है। अगर किसी एक सेक्टर की विशेषज्ञता न हो तो ऐसे सेंटर सिर्फ को-वर्किंग एरिया बनकर रह जाते हैं। इंदौर को आसानी से फिनटेक सिटी के रूप में तैयार किया जा सकता है।