अब क्या करेंगे ओवैसी? बिहार में प्लान पर फिरा पानी, यूपी और बंगाल में अब तक नहीं खुला खाता

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अब क्या करेंगे ओवैसी? बिहार में प्लान पर फिरा पानी, यूपी और बंगाल में अब तक नहीं खुला खाता

पटना : उत्तर भारत में पांव पसारने की जुगत में जुटे AIMIM के सुप्रीमो असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) को बिहार में झटका लगा है। उनकी पार्टी के पांच विधायकों में चार ने RJD का दामन थाम लिया। सिर्फ प्रदेश अध्यक्ष अख्तरुल इमान बच गए हैं। तेलंगाना (हैदराबाद) से बाहर बिहार में ओवैसी के लिए सबसे बड़ी कामयाबी थी। मगर वो अपने विधायकों को संभाल नहीं पाए और लालू यादव (Lalu Yadav) के शरण में चले गए। 2020 बिहार विधानसभा चुनाव के बाद उत्साहित ओवैसी ने पश्चिम बंगाल चुनाव में भी बड़ी-बड़ी बातें कही, मगर वहां कुछ खास कामयाबी हासिल नहीं कर पाए। यूपी चुनाव में भी जी-तोड़ मेहनत किए लेकिन रिजल्ट नहीं निकाल पाए। ले-देकर उनके पास महाराष्ट्र के बाद बिहार ही बचा था, मगर यहां उनकी पार्टी के चार विधायकों ने पाला बदल लिया।

बिहार में ओवैसी का पत्ता साफ
एक तरफ महाराष्ट्र में शिवसेना के साथ सियासी खेल चल ही रहा था कि बिहार में ओवैसी की AIMIM के साथ खेला हो गया। आरजेडी ने AIMIM के पांच में से चार विधायकों को तोड़कर अपनी पार्टी में शामिल कर लिया। जिसके बाद लालू का मिशन AIMIM पूरा हो गया। इसके साथ ही एक बार फिर से आरजेडी बिहार विधानसभा में सबसे बड़ी पार्टी बन गई। बीजेपी के पास 77 विधायक हैं। वहीं, आरजेडी के पास अब 80 विधायक हो गए हैं।
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बंगाल में ममता ने कर दिया था प्लान फेल
आरजेडी में शामिल होने वाले विधायकों में कोचाधामन के विधायक मुहम्मद इजहार अस्फी, जोकीहाट से शाहनवाज आलम, पूर्णिया के बायसी के सैयद रुकनुद्दीन अहमद और बहादुरगंज के विधायक अंजार नईमी हैं। बिहार AIMIM के अध्यक्ष अख्तरुल इमान सिर्फ ओवैसी के साथ हैं। हालांकि वो कब तक रहेंगे कहना मुश्किल है। बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में जीत से उत्साहित ओवैसी ने पश्चिम बंगाल चुनाव में ममता बनर्जी से हाथ मिलाने की कोशिश की थी। ममता ने भाव तो नहीं दिया बल्कि उनकी पार्टी के नेताओं को टीएमसी का दामन थमा दिया।
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यूपी में नोटा से कम वोट ओवैसी को
हैदराबाद से चलकर यूपी के राजनीतिक मैदान में किस्मत आजमाने पहुंचे एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने बड़े-बड़े दावे किए। मुस्लिम बहुल सीटों पर ओवैसी को उम्मीद थी कि वे जीत नहीं तो फिर कड़ी टक्कर देने की स्थिति में आ सकते हैं। हालांकि, ऐसा हुआ नहीं। यूपी की जनता ने ओवैसी के पतंग (चुनाव चिन्ह) की डोर को काट दिया। पार्टी के प्रतीक रंग हरे को लाल झंडी दिखा दी। नोटा का वोट प्रतिशत असुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएआईएम से ज्यादा रहा। 2017 में 7,57,643 वोटरों ने नोटा को चुना था। यह कुल मतदान का 0.87 फीसदी था। इस बार 6,37,304 लोगों ने नोटा चुना, जो कुल मतदान का 0.69 फीसदी रहा। वहीं, ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम को 0.49 फीसदी यानी 4,50,929 वोट ही मिले। तमाम सीटों पर पार्टी के उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई। ओवैसी ने यूपी की 100 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे।

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