‘अप्रत्याशित लाभ कर’ की कमाई से उत्पाद शुल्क कटौती से हुए नुकसान की भरपाई कर पाएगी सरकार

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‘अप्रत्याशित लाभ कर’ की कमाई से उत्पाद शुल्क कटौती से हुए नुकसान की भरपाई कर पाएगी सरकार

नयी दिल्ली, तीन जुलाई (भाषा) भारत में उत्पादित तेल और विदेशों में निर्यात किए जाने वाले ईंधन पर ‘अप्रत्याशित लाभ कर’ से सरकार के उस तीन-चौथाई नुकसान की भरपाई हो जाएगी, जो उसे पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क में कटौती की वजह से उठाना पड़ रहा है। पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क कटौती से सरकार को सालाना एक लाख करोड़ रुपये के राजस्व नुकसान का अनुमान है।

उद्योग सूत्रों ने रविवार को यह जानकारी दी।

भारत एक जुलाई से वैश्विक स्तर पर उन चुनिंदा देशों में शामिल हो गया है, जिन्होंने ऊर्जा की बढ़ती कीमतों से पेट्रोलियम कंपनियों को होने वाले अप्रत्याशित लाभ पर कर लगाया है।

सरकार ने एक जुलाई से पेट्रोल और विमान ईंधन (एटीएफ) के निर्यात पर छह रुपये प्रति लीटर और डीजल के निर्यात पर 13 रुपये प्रति लीटर का कर लगाया है।

इसके अतिरिक्त घरेलू स्तर पर उत्पादित कच्चे तेल पर 23,250 रुपये प्रति टन का कर लगाया गया है।

इस मामले की जानकारी रखने वाले दो सूत्रों ने कहा कि वित्त वर्ष 2021-22 में 2.97 करोड़ टन के तेल उत्पादन के आधार पर गणना की जाए, तो सरकार को सिर्फ ऑयल एंड नैचुरल गैस कॉरपोरेशन (ओएनजीसी), ऑयल इंडिया लिमिटेड और वेदांता लिमिटेड जैसे कच्चे तेल उत्पादकों पर कर से ही सालाना 69,000 करोड़ रुपये मिलेंगे।

यदि यह कर 31 मार्च, 2023 तक लागू रहता है, तो चालू वित्त वर्ष के शेष नौ महीनों में सरकार को अप्रत्याशित लाभ कर से 52,000 करोड़ रुपये की कमाई होगी। इसके अलावा, पेट्रोल, डीजल और एटीएफ के निर्यात पर नया कर लगाया गया है, जिससे सरकार को अतिरिक्त राजस्व मिलेगा।

भारत ने अप्रैल और मई में 25 लाख टन पेट्रोल, 57 लाख टन डीजल और 7,97,000 टन एटीएफ का निर्यात किया है। एक सूत्र ने कहा कि नए कर की वजह से भले ही आगे निर्यात की मात्रा में कमी आए, लेकिन यदि यह कर मार्च, 2023 तक कायम रहता है, तो सरकार को कम से कम 20,000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त राजस्व मिलेगा।

एक अन्य सूत्र ने कहा कि रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड गुजरात के जामनगर में केवल निर्यात के लिए सालाना 3.52 करोड़ टन की रिफाइनरी का संचालन करती है। नया कर लगने के बावजूद जामनगर रिफाइनरी का निर्यात जारी रहेगा।

इसके अलावा इसके साथ ही 3.3 करोड़ टन की सालाना क्षमता की रिफाइनरी से भी कुछ निर्यात होने की उम्मीद है। हालांकि, यह रिफाइनरी घरेलू जरूरतों को पूरा करने के लिए है।

सूत्रों ने कहा कि रिलायंस का बीपी के साथ ईंधन खुदरा बिक्री संयुक्त उद्यम देश के 83,423 में से 1,459 पेट्रोल पंपों का परिचालन करता है। इन पेट्रोल पंपों की जरूरत को पूरा करने और कुछ तेल सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों को बेचने के बाद भी उसके पास निर्यात के लिए अधिशेष बचेगा।

इसी तरह रोसनेफ्ट समर्थित नायरा एनर्जी गुजरात के वाडनगर में दो करोड़ टन क्षमता की रिफाइनरी का परिचालन करती है। यह 6,619 पेट्रोल पंपों का परिचालन करती है। कंपनी के कुल उत्पादन का 1.2 करोड़ टन सालाना से भी कम घरेलू स्तर पर पेट्रोल, डीजल और एटीएफ की जरूरत को पूरा करने पर खर्च होता है।

सूत्रों ने कहा कि इन दो करों से करीब सरकार को करीब 72,000 करोड़ रुपये की कमाई होगी। यह सरकार द्वारा पेट्रोल, डीजल पर उत्पाद शुल्क कटौती से हुए नुकसान का 85 प्रतिशत बैठता है। यानी इससे सरकार के उत्पाद शुल्क कटौती के नुकसान की 85 प्रतिशत भरपाई हो जाएगी।

सरकार ने 23 मई को पेट्रोल पर आठ रुपये प्रति लीटर के उत्पाद शुल्क की कटौती की थी। डीजल पर उत्पाद शुल्क छह रुपये प्रति लीटर घटाया गया था। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने उस समय कहा था कि उत्पाद शुल्क कटौती से सरकार को सालाना एक लाख करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान होगा।

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