अचानक हार्ट अटैक से मौतों से डरने की नहीं, सभलने की जरूरत, एक्सपर्ट ने कहा- दिल को न दें लोड

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अचानक हार्ट अटैक से मौतों से डरने की नहीं, सभलने की जरूरत, एक्सपर्ट ने कहा- दिल को न दें लोड

अचानक हार्ट अटैक से मौतों से डरने की नहीं, सभलने की जरूरत, एक्सपर्ट ने कहा- दिल को न दें लोड

नई दिल्ली: भारत जोड़ो यात्रा में सांसद संतोख सिंह चौधरी की हार्ट अटैक की मौत ने अचानक दम तोड़ती सेहत पर फिर से सवाल खड़े किए हैं। दिल के डॉक्टर्स का कहना है कि सर्दी के दौरान हार्ट अटैक से मौतें हमेशा ज्यादा रहती हैं। हर मौत के पीछे कई वजह हैं, मसलन उम्र, पहले से बीमारी, शरीर पर कड़ा दबाव। डॉक्टर्स का कहना है कि अचानक चलते-चलते मौत, एक्सरसाइज करते मौत, खेलने-नाचते मौत के पीछे दिल पर लोड बढ़ना वजह है। इसलिए सबसे अहम है कि अपने शरीर को समझना। 40 की उम्र के बाद शरीर में कई बदलाव होते हैं और अगर शरीर को बिना प्रैक्टिस कराए कड़ी मेहनत करने को मजबूर किया जाता है तो शरीर इसी तरह से रिएक्ट कर सकता है। हार्ट की रिदम बदल सकती है और यह जानलेवा है।

​लक्षणों का न करें नजरअंदाज

संतोख सिंह के निधन के मामले में एम्स में कार्डियालॉजी डिपार्टमेंट में प्रोफेसर राकेश सिंह कहते हैं, हो सकता है कि उन्हें पहले कोई लक्षण भी आया हो। हमने कई मामलों में देखा है कि मरीज को सीने में दर्द, हाथ में तनाव जैसे लक्षण पहले से आ रहे थे, मगर वो इग्नोर करते रहे। खासतौर बुजुर्ग या जिन्हें पहले से ही हार्ट या डायबीटीज या हापरटेंशन की दिक्कत है, उन्हें अपने लक्षणों को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। शरीर कोअचानक क्षमता से ज्यादा काम कराने से बचाना जरूरी है। 40 साल के बाद जब लोगों को सेहत ढीली लगती है तो वो एक्सरसाइज के लिए सजग होने लगते है। वे जिम जाने लगते हैं, वॉक, साइकलिंग करने लगते हैं, मगर बिना किसी तैयारी के। अगर कोई भी लक्षण नहीं है, तब भी 40 साल के बाद एकाएक शरीर का परेशान करने वाली एक्सरसाइज/ एक्टिविटी नहीं करनी चाहिए। अपनी बॉडी की आदत के हिसाब से एक्सरसाइज/ एक्टिविटी करें, फिर धीरे-धीरे स्टेप वाइज इसे बढ़ाएं। जरूरत से ज्यादा एक्सरसाइज आपका दिल बर्दाश्त नहीं कर पाता है, यह अचानक स्ट्रेस खतरनाक हैं। और अगर बीमारी का कोई लक्षण हैं और आप यह सब कर रहे हैं, तो यह तो बेहत खतरनाक है।

ज्यादा लोड देना भी जानलेवा

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डॉक्टर्स का कहना है कि सर्दी में शरीर को हद से ज्यादा लोड देना भी जानलेवा है। जीटीबी अस्पताल के मेडिसिन डायरेक्टर डॉ सुभाष गिरि बताते हैं, ठंड में एक्सपोजर पूरे शरीर पर असर डालता है। शरीर बॉडी का टेंपरेचर 98 से 98.8 F तक रहता है। तेज ठंड में शरीर का तापमान 97 तक चला जाता है, तो दिक्कतें होनी शुरू हो जाती है और जब यह 95 पर पहुंचता है, तो शरीर पर असर होने लगता है। ऑक्सिजन का लेवल कम होने लगता है। इससे हार्ट को पूरे शरीर में ऑक्सिजन बढ़ाने के लिए काम करना पड़ता है, जिससे हार्ट रेट बढ़ता है और इससे ब्लड प्रेशर बढ़ता है। एक स्थिति ऐसी आती है कि या तो हार्ट का रिदम बदला जाता है या जिनकी धमनियां पहले से ब्लॉक हैं, उन्हें हार्ट अटैक आ जाता है।

​ठंड में रखें अपना ध्यान

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खून गाढ़ा होने पर स्ट्रोक पड़ने का भी खतरा रहता है। कई बार पूरे शरीर में इन्फ्लेमेशन हो जाता है। 40 प्लस में यह खतरा ज्यादा होता है क्योंकि इस उम्र पर हमारी धमनियां स्टिफ होने लगती हैं। जिन्हें पहले से कोई बीमारी है, उनके अंदर 40 से पहले ही यह होने लगता है। मगर अगर शरीर ठंड एडजस्ट हुई है जैसे पहाड़ी इलाके के लोग, तो शरीर को कम दिक्कत होगी। एम्स में कार्डियोलॉजिस्ट डॉ राकेश सिंह कहते हैं, अगर हम घर में हीटर-ब्लोअर के आगे हैं, और ठंडे में अगर बाहर निकलते हैं, तो कोल्ड एक्सपोजर का खतरा होता है। इसी वजह से उन्हें पूरे शरीर को ढककर और पूरे बचाव के साथ ही बाहर निकलना चाहिए और बहुत तेज चलकर या ज्यादा एक्सरसाइज से बचना चाहिए। सर्दियों में लोगों के डायबिटिज, बीपी भी बढ़ा रहता है। साथ ही, कोल्ड एक्सपोजर घर बैठे से भी हो सकता है, क्योंकि ज्यादातर घरों में कमरे में तो हीटर रहता है मगर किचन, वॉशरूम में तापमान काफी कम रहता है।

हैं अनफिट, तो पहले बॉडी को समझिए

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गंगाराम अस्पताल में कार्डियक सर्जन डॉ सुजय शाद कहते हैं, साउथ एशिया के लोगों में दिल की बीमारी वैसे भी ज्यादा होती है। पिछले 30-40 साल में लाइफस्टाइल भी बदली है। खाने-पीने के सिस्टम में चीनी का हिस्सा काफी बढ़ा है। फिटनेस लेवल कम है। अब जब आप 40 की उम्र में आते हैं, तो अनफिट बॉडी के साथ यंगस्टर्स की तरह अचानक एक्सरसाइज करते लगते हैं, तो जाहिर है कि शरीर रिएक्ट करेगा। खासतौर जिम में लगातार इस वजह से मौतें हो रहे हैं। उस समय ऑक्सिजन डिमांड ज्यादा होती है और अगर कहीं पर कोई धमनी संकरी है या ब्लॉकेज है, तो सप्लाई कम हो जाएगी और ऑक्सिजन रुक गई तो हार्ट अटैक का चांस है। वह कहते हैं, जरूरत है अपनी बॉडी समझने की। जिस परिवार में डायबीटीज, दिल की बीमारी, स्ट्रोक की हिस्ट्री है, उन्हें बचपन से ही शुगर कम लेनी चाहिए और स्मोकिंग तो करनी ही नहीं चाहिए। 40 पर आने पर हेल्थ चेकअप जरूर कराना चाहिए और उसी के हिसाब से हेल्थ प्लान बनाना चाहिए। बॉडी को लेकर अलर्ट रहें, कोई भी लक्षण दिख रहा है तो डॉक्टर को जरूर दिखाएं।

लाइफस्टाइल बदलना जरूरी

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सफदरजंग हॉस्पिटल में कॉडियालॉजिस्ट डॉ दीपक सुमन कहते हैं, 40 से ऊपर लाइफस्टाइल बीमारियां देखने को मिलती है। इस समय मोटापा, कोलेस्ट्रॉल, बीपी, शुगर को कंट्रोल पर रखना जरूरी है। साथ ही, जब आप बुढ़ापे की ओर जाने लगते है या बुजुर्ग होते हैं, तो बीमारियां युवाओं के मुकाबले दो-तीन गुनी रफ्तार से पकड़ती है। इस उम्र में रक्त वाहिनी सिकुड़ने लगती है। हार्ट के ब्लॉकेज बढ़ने के चांस ज्यादा होते हैं। लाइफस्टाइल बदलने के लिए पौष्टिक आहार और फिजिकली एक्टिविट होने से ही मदद मिलेगी। मगर इससे पहले एक बात समझनी जरूरी है कि बीमारी या लक्षण हैं यानी शरीर की क्षमता, हार्ट के पंपिंग की क्षमता कुछ कम है। इसे बढ़ाएंगे तो सेहत सुधरेगी। मगर इसे बढ़ाने के लिए आपके स्टेप में काम करना होगा न कि एकाएक दिल पर लोड बढ़ाकर। हमें 10 हजार कदम चलने चाहिए, रोजाना आधे-एक घंटे एक्सरसाइज करनी चाहिए, स्मोकिंग-ड्रिकिंग, स्ट्रेस से दूर रहना है। मगर पहले ही दिन 10 हजार कदम चलेंगे तो पूरे शरीर और दिल में लोड पड़ेगा। इसी धीरे-धीरे कीजिए। पहले हफ्ते 10-15 मिनट रोज वॉक करें, फिर पांच-दस मिनट दो-तीन दिन में बढ़ाएं, इससे हार्ट की कैपेसिटी बढ़ेगी।

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