अगर 7 रिक्टर स्केल का आया भूकंप तो नोएडा में नहीं बचेगी कोई इमारत, समतल हो जाएगी जमीन | Earthquake of 7 rector scale in Noida no building left and land will be leveled | Patrika News

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अगर 7 रिक्टर स्केल का आया भूकंप तो नोएडा में नहीं बचेगी कोई इमारत, समतल हो जाएगी जमीन | Earthquake of 7 rector scale in Noida no building left and land will be leveled | Patrika News

अगर 7 रिक्टर स्केल का आया भूकंप तो नोएडा में नहीं बचेगी कोई इमारत, समतल हो जाएगी जमीन | Earthquake of 7 rector scale in Noida no building left and land will be leveled | Patrika News

रेक्टर स्केल के अलग अलग पैमाने होते हैं खतरनाक

भूकंप को रिक्टर स्केल पर मापा जाता है। रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता को तय किया जाता है। 7.9 रिक्टर स्केल पर भूकंप आने पर जहां इमारतें गिर जाती हैं वहीं, 2.9 रिक्टर स्केल पर भूकंप आने पर हल्का कंपन होता है। भूकंप में रिक्टर पैमाने का हर स्केल पिछले स्केल के मुकाबले 10 गुना ज्यादा ताकतवर होता है।

– 0 से 1.9 रिक्टर स्केल पर भूकंप आने पर सिर्फ सीज्मोग्राफ से ही पता चलता है – 2 से 2.9 रिक्टर स्केल पर भूकंप आने पर हल्का कंपन होता है. – 3 से 3.9 रिक्टर स्केल पर भूकंप आने पर कोई ट्रक आपके नजदीक से गुजर जाए

– 4 से 4.9 रिक्टर स्केल पर भूकंप आने पर खिड़कियां टूट सकती हैं दीवारों पर टंगे फ्रेम गिर सकते हैं – 5 से 5.9 रिक्टर स्केल पर भूकंप आने पर फर्नीचर हिल सकता है।

– 6 से 6.9 रिक्टर स्केल पर भूकंप आने पर इमारतों की नींव दरक सकती है। ऊपरी मंजिलों को नुकसान हो सकता है. – 7 से 7.9 रिक्टर स्केल पर भूकंप आने पर इमारतें गिर जाती हैं। जमीन के अंदर पाइप फट जाते हैं।

– 8 से 8.9 रिक्टर स्केल पर भूकंप आने पर इमारतों सहित बड़े पुल भी गिर जाते हैं। – 9 और उससे ज्यादा रिक्टर स्केल पर भूकंप आने पर पूरी तबाही। कोई मैदान में खड़ा हो तो उसे धरती लहराते हुए दिखेगी।

खतरनाक जोन में क्यों है नोएडा

एक्सपर्ट के अनुसार दिल्ली को सबसे बड़ा खतरा हिमालय रीजन की बेल्ट से है। नैशनल सेंटर फॉर सिस्मॉलॉजी (एनसीएस) के अनुसार दिल्ली में बड़े भूकंप की आशंका कम है, लेकिन इससे पूरी तरह इनकार नहीं किया जा सकता। सबसे बड़ा खतरा इस समय हिमालय रीजन की बेल्ट से है। इसके अलावा लगातार बढ़ता निर्माण और यहां की रेतीली जमीन भी बड़ी वजह है।

क्या होता है सिस्मिक जोन

ऐसा क्षेत्र जहां भूकंप आने की संभावना होती है, उसे भूकंपीय क्षेत्र या सिस्मिक जोन कहते हैं। पिछले भूकंपीय इतिहास के आधार पर भारतीय मानक ब्यूरो ने देश को चार भूकंपीय क्षेत्रों अर्थात् ज़ोन-II, ज़ोन-III, ज़ोन-IV और ज़ोन-V में वर्गीकृत किया है। इन सभी चार क्षेत्रों में ज़ोन-V सबसे भूकंपीय सक्रिय क्षेत्र है जहाँ ज़ोन-II सबसे कम है। उत्तर प्रदेश यानि नोएडा जोन-III में आता है।

भारत में भूकंपीय जोन के अंतर्गत आने वाले क्षेत्र

ज़ोन-V में पूरे पूर्वोत्तर भारत, जम्मू-कश्मीर के कुछ हिस्से, लद्दाख, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और गुजरात के कच्छ के कुछ हिस्से, उत्तर बिहार और अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के कुछ हिस्से शामिल हैं।

ज़ोन- IV में जम्मू-कश्मीर, लद्दाख और हिमाचल प्रदेश के शेष भाग, केंद्रशासित प्रदेश दिल्ली, सिक्किम, उत्तर प्रदेश, बिहार और पश्चिम बंगाल के उत्तरी हिस्से, गुजरात और राजस्थान के कुछ हिस्से, तथा पश्चिमी तट के पास महाराष्ट्र के छोटे हिस्से शामिल हैं।

ज़ोन-III में केरल, गोवा, लक्षद्वीप द्वीप समूह, उत्तर प्रदेश, गुजरात और पश्चिम बंगाल के शेष भाग, पंजाब के कुछ हिस्से, राजस्थान, बिहार, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, झारखंड के कुछ हिस्से, छत्तीसगढ़, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और कर्नाटक शामिल हैं।



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