अखिलेश यादव ने यूपी चुनाव रिजल्ट के 115 दिन बाद क्यों लिया ऐक्शन? सपा की कमेटियों को भंग करने का है ये कारण

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अखिलेश यादव ने यूपी चुनाव रिजल्ट के 115 दिन बाद क्यों लिया ऐक्शन? सपा की कमेटियों को भंग करने का है ये कारण

लखनऊ: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 (UP Election 2022) का रिजल्ट आने के 115 दिन बाद समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) ने बड़ा ऐक्शन लिया है। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल को छोड़कर अन्य सभी इकाइयों को भंग कर दिया। समाजवादी पार्टी की ओर से जानकारी दी गई कि पार्टी के सभी युवा संगठनों, महिला सभा और सभी सभी प्रकोष्ठों को भंग कर दिया गया है। अखिलेश यादव के निर्देश पर सभी प्रकोष्ठों के राष्ट्रीय अध्यक्ष, प्रदेश अध्यक्ष, जिला अध्यक्ष समेत राष्ट्रीय, राज्य और जिला कार्यकारिणी को भंग किया गया है। इस ऐक्शन को अब राजनीतिक रूप से काफी अहम माना जा रहा है।

यूपी चुनाव 2022 के बाद समाजवादी पार्टी ने पहले तो चुनावी मैदान में हार न मानने का फैसला लिया। अखिलेश यादव ने वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में 47 सीटों पर जीत से वर्ष 2022 के चुनाव में 111 सीटों पर जीत को बड़ा माना। इसके लिए कार्यकर्ताओं की मेहनत को कारण माना। हालांकि, पार्टी के भीतर से यूपी चुनाव में पार्टी के प्रदर्शन पर समीक्षा का सवाल लगातार उठ रहा था। यूपी चुनाव के समय में सपा अध्यक्ष ने लगातार पार्टी की सरकार बनने का दावा किया था। लेकिन, पार्टी अपने वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव में जीती गई 224 सीटों के आधे आंकड़े तक भी नहीं पहुंच पाई। इसके बाद समीक्षाओं का दबाव बढ़ा तो सपा अध्यक्ष लगातार कार्यकताओं पर भरोसा करने की बात गिनाते रहे। अब अचानक कमेटियों को भंग करने का फैसला लिया गया।

कहीं उप चुनाव रिजल्ट तो नहीं है कारण?
यूपी की दो लोकसभा सीटों पर पिछले दिनों उप चुनाव हुआ। आजमगढ़ और रामपुर में हुए लोकसभा उप चुनाव में समाजवादी पार्टी को हार का सामना करना पड़ा है। एक सीट तो सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव की ओर से छोड़ी गई सीट रही। आजमगढ़ में 2019 के लोकसभा चुनाव में अखिलेश यादव ने आजमगढ़ लोकसभा सीट पर 2.59 लाख वोटों से अधिक बड़ी जीत दर्ज की थी। लेकिन, उप चुनाव में उनके चचेरे भाई धर्मेंद्र यादव साढ़े 8 हजार से अधिक वोटों से भाजपा के हाथों हारे। वहीं, सपा के एक और गढ़ रामपुर में भी पार्टी उम्मीदवार आसिम रजा की करारी हार हुई। इस हार ने समाजवादी पार्टी को रणनीति बदलने पर मजबूर कर दिया।

संगठन को एक नया रूप देने की कोशिश
अखिलेश यादव ने संगठन को अपने स्तर पर तैयार किया था। वर्ष 2017 में समाजवादी पार्टी से शिवपाल यादव की बिदाई और मुलायम सिंह यादव के सक्रिय राजनीति से किनारा करने के बाद अखिलेश ने अपने लोगों को संगठन में तैनात किया। लेकिन, पिछले दिनों संगठन के अध्यक्ष और सचिवों के खिलाफ लगातार शिकायत सामने आ रही थी। जिला से लेकर विकास खंड स्तर तक के पार्टी अध्यक्ष और सचिव कार्यकर्ताओं के निशाने पर आए। ऐसे में अखिलेश ने तमाम कमेटियों को भंग कर उन कार्यकर्ताओं को एक प्रकार से संतुष्ट करने की कोशिश की है, जो वर्तमान व्यवस्था से असंतुष्ट थे।

समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता मनोज काका कहते हैं कि पार्टी में नए तरीके से संगठन का निर्माण किया जाएगा। एक रचनात्मक संगठन कैसे बने और सपा का विस्तार देश के कोने-कोने में कैसे हो, इस पर चर्चा हुई है। एक प्रकार से वे हार के कारणों की समीक्षा की बात करते दिख रहे हैं।

यूपी चुनाव के बाद समीक्षा बैठक की होती रही मांंग
समाजवादी पार्टी के कई नेताओं की ओर से यूपी चुनाव के रिजल्ट के बाद समीक्षा बैठक की मांग होती रही, लेकिन अब तक बैठक नहीं हो पाई। इस बीच पार्टी ने सभी इकाइयों को भंग करके एक प्रकार से जिम्मेदारी तय कर दी है। मनोज काका ने जिस प्रकार से रिजल्ट के अध्ययन की बात कही है, उससे साफ है कि पार्टी फोरम की जगह विशेषज्ञों के माध्यम से सपा ने चुनावी रिजल्ट की समीक्षा की। इसके आधार पर कार्रवाई की गई है। मनोज काका कहते हैं कि सभी विषयों को ध्यान में रखते हुए पार्टी आलाकमान ने सभी संगठनों को भंग करने का निर्णय लिया है।

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