अखिलेश के Propaganda बयान पर भड़की बीजेपी, भूपेंद्र सिंह बोले वो खुद हैं प्रोपेगेंडा फैलाने के ब्रांड एंबेसडर
लखनऊ: अखिलेश यादवलखनऊ के रमाबाई अंबेडकर पार्क में समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय सम्मेलन के दौरान एक बार फिर राष्ट्रीय अध्यक्ष चुन लिए गए। इस दौरान अखिलेश यादव ने अपने संबोधन में भाजपा पर तीखा हमला बोला। अखिलेश ने कहा कि हिटलर के जमाने के बारे में जिन्हें जानकारी होगी वो जानते होंगे कि उनकी सरकार में एक प्रोपेगेंडा मिनिस्टर हुआ करता था। केवल एक प्रोपेगेंडा मिनिस्टर था लेकिन इधर अगर हम भाजपा का काम देखेंगे तो लगता तो ऐसा है कि पूरी पार्टी झूठ और प्रोपेगेंडा के सहारे चल रही है। अखिलेश यादव के इस बयान के बाद भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी ने पलवार किया है। उन्होंने कहा कि सपा मुखिया प्रोपेगेंडा फैलाने के ब्रांड एंबेसडर हैं। उन्होंने कहा कि जनता फिर 2024 में सपा के प्रोपेगेंडा को बेनकाब करेगी और जीरो पर पूरी सपा आउट होगी। 2024 में फिर ‘दूध का दूध और पानी का पानी’ होगा। भ्रष्टाचार, जंगलराज, परिवारवाद, तुष्टीकरण ही सपा का डीएनए है और प्रदेश को गर्त में ढकेलने की सजा जनता सपा को दे रही है।
भूपेंद्र सिंह ने कहा कि सपा का राष्ट्रीय अधिवेशन परिवारवाद की पराकाष्ठा का सबसे बड़ा नमूना है। राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद पर लगातार कई बार से जनता की ओर से नकारे जाने के बाद भी एक ही व्यक्ति को बार-बार चुनना, यह साबित करता है कि पार्टी में दूसरा कोई योग्य व्यक्ति नहीं है और पूरी पार्टी धरातल की सच्चाई से कोसों दूर है। उन्होंने कहा कि सपा सरकार में सबसे अधिक उत्पीड़न दलितों का हुआ, यह बात आज भी दलित समाज भूला नहीं है। बाबा साहेब भीम राव अंबेडकर और डॉ. राम मनोहर लोहिया के विचारों से सपा भटक चुकी है। सपा सरकार में पिछड़ों का मतलब सिर्फ एक जाति रही है और एक ही जाति के लोगों को नौकरियां मिलती थीं। जबकि योगी सरकार में कानून व्यवस्था की प्रशंसा पूरे देश में की जा रही है। पूरी पारदर्शिता के साथ नौकरियों में युवाओं की भर्ती हो रही है।
उन्होंने कहा कि भाजपा की डबल इंजन सरकार सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास के मूल मंत्र पर कार्य कर रही है। जबकि सपा सरकार में तुष्टीकरण चरम पर था। आम आदमी को योजनाओं का लाभ नहीं मिल पाता था। आज समाज के हर तबके को बिना भेदभाव के योजनाओं का लाभ मिल रहा है।
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भूपेंद्र सिंह ने कहा कि सपा का राष्ट्रीय अधिवेशन परिवारवाद की पराकाष्ठा का सबसे बड़ा नमूना है। राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद पर लगातार कई बार से जनता की ओर से नकारे जाने के बाद भी एक ही व्यक्ति को बार-बार चुनना, यह साबित करता है कि पार्टी में दूसरा कोई योग्य व्यक्ति नहीं है और पूरी पार्टी धरातल की सच्चाई से कोसों दूर है। उन्होंने कहा कि सपा सरकार में सबसे अधिक उत्पीड़न दलितों का हुआ, यह बात आज भी दलित समाज भूला नहीं है। बाबा साहेब भीम राव अंबेडकर और डॉ. राम मनोहर लोहिया के विचारों से सपा भटक चुकी है। सपा सरकार में पिछड़ों का मतलब सिर्फ एक जाति रही है और एक ही जाति के लोगों को नौकरियां मिलती थीं। जबकि योगी सरकार में कानून व्यवस्था की प्रशंसा पूरे देश में की जा रही है। पूरी पारदर्शिता के साथ नौकरियों में युवाओं की भर्ती हो रही है।
उन्होंने कहा कि भाजपा की डबल इंजन सरकार सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास के मूल मंत्र पर कार्य कर रही है। जबकि सपा सरकार में तुष्टीकरण चरम पर था। आम आदमी को योजनाओं का लाभ नहीं मिल पाता था। आज समाज के हर तबके को बिना भेदभाव के योजनाओं का लाभ मिल रहा है।
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