अखिलेश का साथ छोड़ राजू श्रीवास्तव ने थाम लिया था BJP का दामन… जब ‘गजोधर’ को लगा था राजनीति का चस्का

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अखिलेश का साथ छोड़ राजू श्रीवास्तव ने थाम लिया था BJP का दामन… जब ‘गजोधर’ को लगा था राजनीति का चस्का

अखिलेश का साथ छोड़ राजू श्रीवास्तव ने थाम लिया था BJP का दामन… जब ‘गजोधर’ को लगा था राजनीति का चस्का

कानपुर: वह लोगों को हंसाते हुए आए थे और रुलाते हुए चले गए। बात हो रही है राजू श्रीवास्तव (Raju Srivastava) की, जो अब हमारे बीच में नहीं हैं। दिल का दौरा पड़ने के बाद से वह जिंदगी और मौत से जूझ रहे थे। आज उन्होंने दिल्ली के AIIMS में अंतिम सांसें लीं। बतौर एक हास्य कलाकार खुद की पहचान बनाने और स्थापित करने वाले राजू श्रीवास्तव परिचय का मोहताज नहीं रहे। लोगों को गुदगुदाने वाले राजू को राजनीति का चस्का भी लगा था। बात 2014 की है, जब राजू ने कानपुर से लोकसभा चुनाव लड़ने की तैयारी कर ली थी।

स्टैंडअप कॉमेडी करते हुए अपनी खास पहचान बना चुके खासे लोकप्रिय हो चुके थे। कानपुर के रहने वाले राजू ने अपनी इस लोकप्रियता को राजनीतिक परवान चढ़ाने की कोशिश भी की। 2013-14 के समय में जब कांग्रेस की सत्ता को चुनौती देते हुए नरेंद्र मोदी की अगुवाई में भारतीय जनता पार्टी केंद्र की सत्ता पर बैठने की तैयारी कर रही थी। उसी वक्त राजू की सेलिब्रिटी इमेज का फायदा उठाने का काम समाजवादी पार्टी ने किया। उस समय यूपी की सत्ता पर विराजमान अखिलेश यादव ने लोकसभा के लिए कानपुर सीट से राजू श्रीवास्तव को प्रत्याशी बना दिया।
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राजू श्रीवास्तव भी राजनीति के रंग में डूबते हुए जोर-शोर से तैयारी शुरू कर दी। हालांकि बाद में उन्होंने यह कहते हुए चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया कि सपा की लोकल यूनिट की तरफ से उनको कोई सपॉर्ट नहीं मिल रहा है। इसके बाद उन्होंने पार्टी भी छोड़ दी। हालांकि की तरफ से दावा आया कि राजू ने नाम वापस नहीं लिया, बल्कि उनका टिकट काटा गया है। सपा ने उनकी जगह सुरेंद्र मोहन अग्रवाल को प्रत्याशी बना दिया, जो बीजेपी के मुरली मनोहर जोशी के हाथों हार गए।

सपा छोड़ते हुए राजू श्रीवास्तव ने कानपुर यूनिट के लोकल कार्यकर्ताओं पर अनुशासनहीनता का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि यहां हर कोई खुद को नेता ही समझता है। राजू ने यह भी कहा कि मुलायम और अखिलेश के साथ अपनी बात भी रखी लेकिन लगा कि महत्व नहीं दिया जा रहा है तो पार्टी छोड़ दिया। राजू ने इसके बाद चुनाव से ऐन पहले बीजेपी की सदस्यता ले ली और पार्टी में ही बने रहे।

2017 में यूपी में योगी सरकार आने के बाद एक बार फिर से राजू की राजनीतिक महत्वकांक्षा जगी। बीजेपी के राज्य और केंद्रीय स्तर के बड़े नेताओं से उनकी मुलाकात की खबरें आती रहीं. सियासी गलियारों में चर्चा उठी कि योगी और केशव मौर्य की छोड़ी गई गोरखपुर या फूलपुर लोकसभा सीट पर उपचुनाव में वह हाथ आजमा सकते हैं। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। फिर राजू को योगी सरकार ने उत्तर प्रदेश फिल्म विकास परिषद का अध्यक्ष बनाया। वह फिल्म सिटी की स्थापना में महत्पूर्ण भूमिका निभा रहे थे।
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राजू श्रीवास्तव को पिछले महीने 10 अगस्त की सुबह सुबह ट्रेडमिल पर दौड़ते वक्‍त दिल का दौरा पड़ा था। इसके बाद से ही वह एम्स में वेंटिलेटर पर जिंदगी और मौत की जंग लड़ रहे थे। पहले ही दिन से राजू बेहोश थे। उनका शरीर रेस्‍पॉन्‍ड नहीं कर रहा था। हालांकि, दो दिन बाद उनकी हालत थोड़ी बेहतर हुई थी, लेकिन बुधवार को डॉक्‍टरों ने परिवार को जवाब दे दिया। डॉक्टर्स ने उन्हें बचाने और होश में लाने की पूरी कोशिश की, लेकिन उनके ब्रेन में ऑक्‍सीजन नहीं पहुंच रही थी। वह लगातार बेहोश थे। एकदम कोमा जैसी स्थिति थी। राजू श्रीवास्तव के हार्ट ने भी काम करना बंद कर दिया था।

राजू की मौत पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अमित शाह, राजनाथ सिंह, जे पी नड्डा, योगी आदित्यनाथ, केशव प्रसाद मौर्य, अखिलेश यादव सहित कई राजनेताओं ने शोक प्रकट किया। राजू ने सलमान खान की फिल्म ‘मैंने प्यार किया’ से डेब्यू किया था। इसके बाद उन्होंने ‘बाजीगर’, ‘आमदनी अठन्नी खर्चा रुपैया’, ‘वाह तेरा क्या कहना’, ‘मैं प्रेम की दीवानी हूं’, ‘बॉम्बे टू गोवा’ और ‘टॉइलेट एक प्रेम कथा’ जैसी फिल्मों में काम किया था। राजू को असली पहचान कॉमेडी रिएलिटी शो ‘द ग्रेट इंडियन लाफ्टर चैलेंज’ से मिली थी। इस शो में राजू ने एक काल्पनिक किरदार गजोधर बनकर खूब दर्शकों का मनोरंजन किया था। राजू ने मशहूर टीवी सीरियलों ‘देख भाई देख’, ‘शक्तिमान’ और ‘अदालत’ में भी कुछ महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभाई थीं।

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