अक्षम अफसरों और सरकार की उदासीनता के चलते हो रहीं घटनाएं… टिल्लू के मर्डर के बहाने दिल्ली कारागार के पूर्व अधिकारी का निशाना

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अक्षम अफसरों और सरकार की उदासीनता के चलते हो रहीं घटनाएं… टिल्लू के मर्डर के बहाने दिल्ली कारागार के पूर्व अधिकारी का निशाना

अक्षम अफसरों और सरकार की उदासीनता के चलते हो रहीं घटनाएं… टिल्लू के मर्डर के बहाने दिल्ली कारागार के पूर्व अधिकारी का निशाना

नई दिल्ली: दिल्ली कारागार विभाग के पूर्व अधिकारी सुनील गुप्ता ने तिहाड़ जेल में दो गैंगस्टर की हत्या होने के बाद शुक्रवार को बड़ा बयान दिया। उन्होंने कहा कि जेल के कैदियों के बीच पहले भी झड़पें होती थी, लेकिन अक्षम अधिकारियों, अप्रशिक्षित कर्मियों और सरकार की उदासीनता के कारण अब अनुशासनहीनता का स्तर बढ़ गया है। जिससे जानलेवा हमले हो रहे हैं।

दिल्ली कारागार विभाग में पूर्व जनसंपर्क अधिकारी गुप्ता ने कहा, ‘वर्तमान स्थिति से पता चलता है कि (जेल) प्रबंधन निम्न स्तर पर है और जब तक कर्मचारियों की संरचना तथा जेल के समग्र कामकाज में बड़े बदलाव नहीं किए जाते, तब तक ऐसी घटनाएं होती रहेंगी।’ अब जेल प्रशासन में लेखक और विशेषज्ञ गुप्ता ने जेल के कर्मियों के लिए एक प्रशिक्षित स्कूल और उच्च पदों पर सिविल अधिकारियों के बजाय पुलिस अधिकारियों की नियुक्ति का समर्थन किया।

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गौरतलब है कि गैंगस्टर टिल्लू ताजपुरिया की मंगलवार तड़के तिहाड़ जेल के भीतर विरोधी गिरोह के सदस्यों ने चाकू घोंपकर हत्या कर दी थी। ताजपुरिया पर लोहे की जाली से काटकर बनाए हथियारों से 92 बार वार किया गया। इससे एक महीने से भी कम समय पहले एक अन्य गैंगस्टर प्रिंस तेवतिया की विरोधी गिरोह के सदस्यों ने तिहाड़ जेल में हत्या कर दी थी। गुप्ता ने ‘पीटीआई-भाषा’ को दिए साक्षात्कार में कहा, ‘लापरवाही हमेशा से होती रही है लेकिन मेरी नजर में सबसे बड़ी समस्या ‘कमांडिंग’ पदों पर अक्षम अधिकारियों की तैनाती है। तिहाड़ को अब युवा और ऊर्जावान अधिकारियों की आवश्यकता है।’

पूर्व अधिकारी ने कहा, ‘जेल के ज्यादातर कर्मचारी दानिक्स (दिल्ली, अंडमान और निकोबार द्वीप सिविल सेवा) के अधिकारी हैं। ताजा भर्तियों के अलावा पदोन्नत दानिक्स अधिकारियों को तैनात किया जाता है जिससे कुशासन पैदा होता है क्योंकि उनके पास जेल के मामलों से निपटने के लिए पर्याप्त क्षमता तथा विशेषज्ञता नहीं होती। साथ ही सदस्यों के बीच समन्वय की कमी भी होती है।’

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तिहाड़ की पूर्व महानिदेशक किरण बेदी ने कहा कि गैंगस्टर को एक कोठरी में अकेले रखा जाना चाहिए और उनके लिए जेल में मुलाकात करने का समय अन्य कैदियों से अलग होना चाहिए। गुप्ता ने कहा कि अगर विरोधी गिरोह के सदस्यों को एक ही कोठरी या बैरक में रखा जाता है तो झड़पें होंगी ही। उन्होंने कहा कि इस पर लगाम लगाने के लिए कोठरियों और बैरक में कैदियों की हर दिन तलाशी ली जानी चाहिए और वरिष्ठ अधिकारियों की निगरानी में औचक निरीक्षण होने चाहिए।

उन्होंने कहा, ‘मेरे कार्यकाल में ऐसी तलाशी होती थी और अब भी होती है लेकिन अब उन्हें बढ़ा देना चाहिए। लापरवाही या मिलीभगत होने पर संबंधित जेल अधिकारी की जवाबदेही होनी चाहिए और उस पर विभागीय कार्रवाई की जानी चाहिए। साथ ही जेल कर्मियों को कानून तथा कैदियों के मानवाधिकारों को समझाने में मदद करने के लिए कोई प्रशिक्षण केंद्र नहीं है और इस संबंध में कदम उठाने चाहिए।’

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करीब चार दशक तक तिहाड़ जेल के प्रवक्ता एवं कानून अधिकारी रहे गुप्ता ने कहा कि यह कहना गलत होगा कि पहले ऐसी घटनाएं नहीं होती थी। उन्होंने कहा, ‘मेरे कार्यकाल में भी ऐसी झड़पें हुई। कैदियों के बीच लड़ाई आम बात है क्योंकि जेल को किसी सभ्य समाज के कूड़ेघर के तौर पर जाना जाता है लेकिन तिहाड़ में अनुशासनहीनता का स्तर निस्संदेह बढ़ा है।

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