९ महीने में ६ हजार ऑनलाइन फ्रॉड, गिरफ्तारी ५ प्रतिशत भी नहीं | 6 thousand online frauds in 9 months in indore | Patrika News

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९ महीने में ६ हजार ऑनलाइन फ्रॉड, गिरफ्तारी ५ प्रतिशत भी नहीं | 6 thousand online frauds in 9 months in indore | Patrika News
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९ महीने में ६ हजार ऑनलाइन फ्रॉड, गिरफ्तारी ५ प्रतिशत भी नहीं | 6 thousand online frauds in 9 months in indore | Patrika News

ठगी के मामले – राजेंद्र नगर इलाके की महिला ने ४० हजार ठगी की शिकायत की। बड़े शोरूम से ऑर्डर घर नहीं पहुंचने पर संपर्क किया तो ठगोरे ने बैंक कार्ड की जानकारी हासिल कर राशि निकाल ली।

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– निजी मोटर कंपनी में काम करने वाले कर्मचारी भरत से महिला ग्राहक ने ऑनलाइन पेमेंट करने के लिए ई-वॉलेट की जानकारी मांगी। १ रुपए ई-वाॅलेट में भेजने के लिए कहा और १० हजार निकाल लिए। क्राइम ब्रांच की हेल्पलाइन पर कॉल किया तो ३-४ दिन आश्वासन मिला और फिर हाथ खड़े कर दिए।

– मेडिकल कॉलेज से रिटायर्ड डीन डॉ. राजकुमार माथुर से फर्जी आर्मी अधिकारी ने ८५ हजार रुपए की ठगी की। केस दर्ज हुआ, लेकिन आरोपी हाथ नहीं आया। – रिटायर्ड शासकीय कर्मचारी से न्यूड फोटो वायरल करने के नाम पर डेढ़ लाख की ठगी की। और राशि मांगी तो पुलिस को आवेदन दिया, लेकिन कार्रवाई नहीं हुई।

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२० करोड़ की ठगी, ढाई करोड़ दिलाए क्राइम ब्रांच की हेल्पलाइन पर आई शिकायतों में करीब २० करोड़ की ऑनलाइन ठगी का अनुमान है। कुछ ई-वॉलेट से राशि नहीं निकल पाई तो करीब ढाई करोड़ रुपए पुलिस ने वापस दिलवाए। ५ प्रतिशत से भी कम मामलों में गिरफ्तारी हुई, उसमें भी अधिकांंश एडवाइजरी फ्रॉड के मामले हैं।

———– इन मामलों की शिकायतें ज्यादा – कथित न्यूड वीडियो के जरिये सेक्सटॉर्शन – लोन व क्रेडिट कॉर्ड फ्रॉड – ओटीपी व लिंक फ्रॉड – जॉब फ्रॉड – बिजली बिल नहीं भरने पर कनेक्शन काटने के नाम पर फ्रॉड

क्राइम ब्रांच: अधिकारियों-कर्मचारियों की फौज क्राइम ब्रांच में एडिशनल कमिश्नर राजेश हिंगणकर, डीसीपी निमिष अग्रवाल, एडिशनल डीसीपी गुरुप्रसाद पाराशर, एसीपी निमिष देशमुख के साथ ३ निरीक्षक व करीब ८० कर्मचारियों का स्टाफ है। साइबर सेल और संसाधन भी हैं। फिर भी गंभीर मामलों के बजाए गांजे-चरस की छोटी कार्रवाइयों पर ज्यादा जोर है। डीजीपी सुधीर सक्सेना भी इंदौर प्रवास के दौरान इस पर नाराजगी जता चुके हैं।

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सभी जोन के अधिकारी असंतुष्ट क्राइम ब्रांच के पास मोबाइल रिकॉर्ड निकालने, लोकेशन हासिल करने जैसे संसाधन हैैं। शहर के चार जोन में जहां भी गंभीर वारदात होती है तो क्राइम ब्रांच की मदद मांगी जाती, लेकिन मदद नहीं मिलती है। सभी जोन के अधिकारी क्राइम ब्रांच को लेकर असंतोष जाहिर करते हैं।

अलग-अलग राज्यों में संदेही ऑनलाइन फ्रॉड करने वाले बिहार, राजस्थान के कई शहरों में सक्रिय हैं। उन्हें ट्रेस कर स्थानीय पुलिस को सूचना दी जाती है ताकि वे लगाम कस सकें। कुछ मामलों में क्राइम ब्रांच भी कार्रवाई करती है।

राजेश हिंगणकर, एडिशनल कमिश्नर शिकायतें ज्यादा हैं ऑनलाइन फ्रॉड की शिकायतें ज्यादा आती हैं। शिकायतों की जांच के बाद कार्रवाई करते हैं। कुछ आरोपी भी पकड़े हैं। निमिष अग्रवाल, डीसीपी विशेषज्ञ अफसर नहीं, इसलिए आरोपी पकड़ से बाहर

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ऑनलाइन ठगी के आरोपियों को पकड़ने के लिए पुलिस की शाखाओं में विशेषज्ञ अफसर व कर्मचारी नहीं हैं। कई जगह संसाधन की कमी भी है। इससे पुलिस आरोपियों को पकड़ नहीं पाती है। विशेषज्ञ टीम की नियुक्ति से ही फ्रॉड पर रोक लगेगी।

शोभित चतुर्वेदी, साइबर एक्सपर्ट



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