हॉलीवुड में हड़ताल, बॉलीवुड के लिए है परेशानी का सबब, समझिए क्यों और कैसे

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हॉलीवुड में हड़ताल, बॉलीवुड के लिए है परेशानी का सबब, समझिए क्यों और कैसे

हॉलीवुड में हड़ताल, बॉलीवुड के लिए है परेशानी का सबब, समझिए क्यों और कैसे

हॉलीवुड में इस समय बड़ी हड़ताल चल रही है। 15 वर्षों में पहली बार, राइटर्स गिल्ड ऑफ अमेरिका (WGA) के हजारों राइटर्स वेतन बढ़ोतरी और गिग वर्कर्स की तरह ट्रीट किए जाने के खिलाफ हड़ताल पर चले गए। ऐसा किए जाने से कई टीवी शोज और फिल्में प्रभावित हो गई हैं। गिग वर्कर्स यानी वो कर्मचारी, जिन्हें काम के बदले भुगतान के आधार पर नौकरी पर रखा जाता है। यह हड़ताल पिछले काफी दिनों से जारी है, जिसका असर अब इंडिया में भी दिखना शुरू हो गया है। दरअसल अब दुनियाभर के राइटर्स गिल्ड एकजुट हो गए हैं और इनमें इंडिया का स्क्रीनराइटर्स असोसिएशन भी शामिल है। इसने अब अपने कर्मचारियों से कह दिया है कि वो काम बंद कर दें और अमेरिकी फिल्मों या सीरीज को लेकर जो भी नया काम मिल रहा है, उसे स्वीकार न करें।

मालूम हो कि SWA के कई ऐसे मेंबर्स हैं, जो विदेशी फिल्मों और वेब सीरीज के लिए भी राइटिंग का काम करते हैं। ऐसे में हॉलीवुड में चल रही हड़ताल (Hollywood strike) का असर इंडिया में भी पड़ना लाजमी है। हॉलीवुड में भले ही राइटर्स की सैलरी को भले ही पिछले तीन साल से रिवाइज न किया गया हो। भले ही उनके मेहनताने को बढ़ाया न गया हो, लेकिन यहां इंडिया में SWA अपने सदस्यों की स्टैंडर्ड फीस भी तय नहीं कर पाया है।

इंडिया में फैल रहा सामूहिक सौदेबाजी का कल्चर?

तो क्या अब सामूहिक सौदेबाजी का कल्चर, जोकि अमेरिका की फिल्म और टीवी इंडस्ट्री में 30 के दशक से व्याप्त है, क्या वह अब भारत की स्क्रीनराइटिंग इंडस्ट्री में अपनी जड़ें फैला रहा है? राइटर्स ने उम्मीद नहीं छोड़ी है और वो आशावादी बने हुए हैं। अगले कुछ हफ्तों में स्क्रीनराइटर्स असोसिएशन अब सभी स्टूडियोज और स्वतंत्र निर्माताओं के साथ बातचीत कर एक मिनिमम बेसिक कॉन्ट्रैक्ट बनाने की सोच रहा है। इससे काफी बड़ा बदलाव आ सकता है।

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क्या है हॉलीवुड में हड़ताल की वजह?

पहले तो यह जान लीजिए कि आखिर हॉलीवुड में हड़ताल क्यों हो रही है और क्यों सभी राइटर्स हड़ताल पर चले गए हैं। हॉलीवुड के राइटर्स का कहना है कि फिल्म और टीवी के साथ-साथ स्ट्रीमिंग शोज के लिए उन्हें बेहतर पैसे मिलने चाहिए। उनका कहना है कि स्ट्रीमिंग की वजह से उन पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ा है। उन्हें कम पैसों में ज्यादा काम करना पड़ रहा है। राइटर्स की मांग है कि स्ट्रीमिंग में जो भी मुनाफा हो रहा है, उसमें और ज्यादा हिस्सेदारी दी जाए। इसी बात पर विवाद बढ़ गया और हड़ताल की स्थिति पैदा हो गई।

इंडियन स्क्रीनराइटर्स के सामने मुश्किलें

सीनियर स्क्रीनराइटर और स्क्रीनराइटर्स असोसिएशन की एक्जीक्यूटिव कमिटी के सदस्य अंजुम राजाबाली ने कहा कि राइटर्स गिल्ड ऑफ अमेरिका की हड़ताल भारत में स्क्रीनराइटर्स के सामने लंबे समय से खड़ी चुनौतियों की याद दिला रही है और अब नई चुनौतियां भी सामने आकर खड़ी हो गई हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि यहां इंडिया में SWA अपने सदस्यों के लिए मानक फीस भी तय नहीं कर पाए है। उन्होंने कहा, ‘WGA का कॉन्ट्रैक्ट हर तीन साल में आता है ताकि कुछ बातचीत हो सके। लेकिन अभी हम उस चरण तक भी नहीं पहुंचे हैं, जहां पर यूनियन अपने सदस्यों के लिए स्टैंडर्ड कॉन्ट्रैक्ट पर बात कर सके। यहां हर राइटर को प्रोड्यूसरों से स्वतंत्र रूप से डील करना पड़ता है और बार्गेनिंग पावर एकदम बेमेल है।’

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क्या सुधरेगी स्थिति?

हॉलीवुड में हुई राइटर्स की इस स्ट्राइक से इंडिया में इसलिए उथल-पुथल मच गई है क्योंकि जिन कॉर्पोरेशन्स के खिलाफ WGA आंदोलन कर रहा है, वो वही हैं जिनके लिए भारतीय स्क्रीनराइटर्स काम कर रहे हैं। जैसे कि अमेजन, हॉटस्टार और नेटफ्लिक्स। राजाबाली ने कहा, ‘अगर हड़ताल का परिणाम अनुकूल रहता है तो इससे हमारे राइटर्स को अपने अधिकारों के लिए खड़े होने की पावर मिल सकती है।’ ओटीटी प्लेटफॉर्म के आने के बाद से कंटेंट की मांग बढ़ गई है, जिससे राइटर्स को भी ज्यादा से ज्यादा फायदा होता। तो क्या ऐसा नहीं हुआ है? इस बारे में अंजुम राजाबाली ने कहा, ‘ऐसा बिल्कुल भी नहीं हुआ है, बल्कि स्थिति और बदतर हो गई है। बजट में सबसे पहले जिस पर गाज गिरती है, वह है राइटर की फीस। यह लड़ाई पैसों को लेकर है। खासकर नए राइटर्स की बहुत ही कम फीस को लेकर। लेकिन पैसों के साथ-साथ यह लड़ाई उचित व्यवहार, एकतरफा कॉन्ट्रैक्ट, क्रेडिट गारंटी की कमी और मनमाने ढंग से जो टर्मिनेशन क्लॉज बनाए गए हैं, उन्हें लेकर है।’

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इसके बाद राजाबाली ने वो समस्याएं गिनाईं, जिनका सामना भारतीय स्क्रीनराइटर्स को करना पड़ता है। उन्होंने कहा, ‘पहली समस्या तो यह है कि राइटर्स से एक ‘रिलीज़ फॉर्म’ साइन करवाया जाता है। यह एक कानूनी समझौता होता है, जो प्रोडक्शन हाउस और स्टूडियो को किसी भी कानूनी दायित्व से मुक्त करता है। इससे राइटर्स भी मुश्किल में फंस जाते हैं क्योंकि उनके काम को चोरी भी किया जा सकता है। दूसरी समस्या क्रेडिट की है। क्रेडिट का मुद्दा घमंड या अहंकार को लेकर नहीं बल्कि यह एक राइटर के करियर के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।