हॉर्निया ऑपरेशन के नाम पर बुलाकर कर दी नसबंदी, होगी जांच h3>
हिन्दुस्तान एक्सक्लूसिव: हॉर्निया ऑपरेशन के नाम पर बुलाकर कर दी नसबंदी, होगी जांच रहुई अस्पताल के प्रभारी ने कहा-आशा कार्यकर्ता की भूमिका संदिग्ध बरगलाकर आशा ने गलत कागज पर कराया हस्ताक्षर फोटो : सुजीत रहुई : रहुई प्रखंड के इमामगंज का पीड़ित सुजीत कुमार शुक्रवार को अपने परिजनों के साथ। बिहारशरीफ, कार्यालय संवाददाता। जिले के सरकारी अस्पताल वहां तैनात अधिकारियों व कर्मियों के करतूतों के कारण अक्सर चर्चा में रहते हैं। इस बार रहुई सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र की आशा कार्यकर्ता के कारण अस्पताल सुर्खियों में आया हुआ है। आशा ने हॉर्निया ऑपरेशन के नाम पर बुलाकर कर नसबंदी करा दी। मामले को गंभीरता से लेते हुए प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. चंद्रशेखर प्रसाद चौधरी ने मामले की जांच का आदेश दिया है। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि इस मामले में आशा कार्यकर्ता की भूमिका पूरी तरह संदिग्ध है। उसने बरगलाकर पीड़ित से गलत कागज पर हस्ताक्षर करा लिया है। चिकित्सक ने पीड़ित द्वारा भरे गये बांड के आधार पर नसबंदी की है। इसमें प्रथमदृष्ट्या डॉक्टर की गलती प्रतीत नहीं होती है। क्या है मामला : 31 जुलाई को रहुई प्रखंड के इमामगंज गांव के रहने वाले सुजीत कुमार को हॉर्निया के ऑपरेशन की जगह नसबंदी करा दी गयी। सुजीत कुमार की पत्नी अर्पणा कुमारी ने बताया कि इमामगंज की ही रहने वाली आशाकर्मी के द्वारा सुजीत कुमार को ऑपरेशन के लिए 30 जुलाई को आवश्यक जांच करवायी गयी थी। अगले दिन 31 जुलाई को सुजीत कुमार को समुदायिक स्वास्थ्य केंद्र रहुई में भर्ती कराया गया। वहां डॉक्टरों ने भरे बांड के मुताबिक सुजीत कुमार की नसबंदी कर दी। पत्नी को 2 साल पहले बंध्याकरण: पत्नी अर्पणा देवी ने बताया कि जब दो साल पहले इसी आशाकर्मी के द्वारा रहुई अस्पताल में ही उसका बंध्याकरण कराया गया था। ऐसे में उनके पति सुजीत कुमार को नसबंदी करने का क्या औचित्य है। पत्नी ने आशाकर्मी पर लापरवाही का आरोप लगाया है। इस संबंध में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र रहुई के चिकित्सा प्रभारी डॉ. चंद्रशेखर प्रसाद चौधरी ने बताया कि मरीज की मर्जी से ही नसबंदी करायी गयी है। क्योंकि, उसने बांड भरा है। रहुई स्वास्थ्य केंद्र में हॉर्निया के ऑपरेशन की व्यवस्था ही नहीं है। वहीं पत्नी के बंध्याकरण के सवाल पर उन्होंने कहा कि अगर उसकी पत्नी को बंध्याकरण इसी स्वास्थ्य केंद्र में हुआ है तो कहीं ना कहीं आशाकर्मी की भूमिका संदिग्ध नजर आती है। जांच के बाद ही मामला स्पष्ट हो पाएगा।
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हिन्दुस्तान एक्सक्लूसिव: हॉर्निया ऑपरेशन के नाम पर बुलाकर कर दी नसबंदी, होगी जांच रहुई अस्पताल के प्रभारी ने कहा-आशा कार्यकर्ता की भूमिका संदिग्ध बरगलाकर आशा ने गलत कागज पर कराया हस्ताक्षर फोटो : सुजीत रहुई : रहुई प्रखंड के इमामगंज का पीड़ित सुजीत कुमार शुक्रवार को अपने परिजनों के साथ। बिहारशरीफ, कार्यालय संवाददाता। जिले के सरकारी अस्पताल वहां तैनात अधिकारियों व कर्मियों के करतूतों के कारण अक्सर चर्चा में रहते हैं। इस बार रहुई सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र की आशा कार्यकर्ता के कारण अस्पताल सुर्खियों में आया हुआ है। आशा ने हॉर्निया ऑपरेशन के नाम पर बुलाकर कर नसबंदी करा दी। मामले को गंभीरता से लेते हुए प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. चंद्रशेखर प्रसाद चौधरी ने मामले की जांच का आदेश दिया है। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि इस मामले में आशा कार्यकर्ता की भूमिका पूरी तरह संदिग्ध है। उसने बरगलाकर पीड़ित से गलत कागज पर हस्ताक्षर करा लिया है। चिकित्सक ने पीड़ित द्वारा भरे गये बांड के आधार पर नसबंदी की है। इसमें प्रथमदृष्ट्या डॉक्टर की गलती प्रतीत नहीं होती है। क्या है मामला : 31 जुलाई को रहुई प्रखंड के इमामगंज गांव के रहने वाले सुजीत कुमार को हॉर्निया के ऑपरेशन की जगह नसबंदी करा दी गयी। सुजीत कुमार की पत्नी अर्पणा कुमारी ने बताया कि इमामगंज की ही रहने वाली आशाकर्मी के द्वारा सुजीत कुमार को ऑपरेशन के लिए 30 जुलाई को आवश्यक जांच करवायी गयी थी। अगले दिन 31 जुलाई को सुजीत कुमार को समुदायिक स्वास्थ्य केंद्र रहुई में भर्ती कराया गया। वहां डॉक्टरों ने भरे बांड के मुताबिक सुजीत कुमार की नसबंदी कर दी। पत्नी को 2 साल पहले बंध्याकरण: पत्नी अर्पणा देवी ने बताया कि जब दो साल पहले इसी आशाकर्मी के द्वारा रहुई अस्पताल में ही उसका बंध्याकरण कराया गया था। ऐसे में उनके पति सुजीत कुमार को नसबंदी करने का क्या औचित्य है। पत्नी ने आशाकर्मी पर लापरवाही का आरोप लगाया है। इस संबंध में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र रहुई के चिकित्सा प्रभारी डॉ. चंद्रशेखर प्रसाद चौधरी ने बताया कि मरीज की मर्जी से ही नसबंदी करायी गयी है। क्योंकि, उसने बांड भरा है। रहुई स्वास्थ्य केंद्र में हॉर्निया के ऑपरेशन की व्यवस्था ही नहीं है। वहीं पत्नी के बंध्याकरण के सवाल पर उन्होंने कहा कि अगर उसकी पत्नी को बंध्याकरण इसी स्वास्थ्य केंद्र में हुआ है तो कहीं ना कहीं आशाकर्मी की भूमिका संदिग्ध नजर आती है। जांच के बाद ही मामला स्पष्ट हो पाएगा।