है जुगाड़ तो नैया पार, नहीं तो कतार, मुंबई में उत्तर भारत की ट्रेनों में टिकट के लिए परेशान यात्री h3>
मुंबई: एनबीटी की विशेष मुहिम ‘मिशन यात्रा’ अपने दूसरे चरण में है और अब जो वास्तविक तस्वीरें सामने आ रही हैं, वे वाकई शर्मसार कर देंगी। तत्काल टिकट खरीदने के लिए लोग दो दिन तक लाइनों में खड़े रहते हैं, इंतजार के दौरान हर पल यही प्रार्थना होती है कि किसी तरह उन्हें 30 सेकंड के अंदर टिकट मिल जाए। लेकिन इस स्थिति के बीच भी अगर व्यवस्था में लगे लोग ही सिस्टम में ‘चूक’ पैदा कर दें, तो क्या ही कहा जाए। आइए आज आपको तस्वीरों के साथ एक-एक वाकया बताते हैं, जो आपने भी अनुभव किया होगा, लेकिन सामने नहीं ला सके।
दो दिन से कतार, नंबर का इंतजार
रविवार को जब सीएसएमटी पैसेंजर रिजर्वेशन सिस्टम के बाहर तत्काल टिकट के लिए लगी कतार को देखने गए, तब पता चला कि रितेश चौहान गोरखपुर की टिकट लेने के लिए एक दिन पहले आ चुका है। रविवार को किस्मत ने उसका साथ नहीं दिया, अब सोमवार को दोबारा कोशिश करेगा, तब तक लाइन में ही लगा है। रितेश की तरह रासिद आलम और रंजीत निसाद भी 3एसी के लिए लाइन में जुट गए।
‘मैडम ने बोला पहला नंबर मेरा है’
स्लीपर श्रेणी के लिए तत्काल की लाइन में लगे एक शख्स ने बताया कि वर्दी में एक मैडम आईं, जिन्होंने कहा कि पहला नंबर उनका है, किसी को घुसने न देना। एनबीटी को इस तरह की शिकायतें मिली थीं, जिसकी पुष्टि करने के लिए ही ये पड़ताल की गई। बहरहाल, रविवार को दस बजे हम एक बार फिर कतार की व्यवस्था देखने के लिए मौके पर पहुंचे। फिलहाल सब कुछ ठीक चल रहा था।
कतार में हो गई ‘डायरेक्ट एंट्री’
तत्काल के लिए 3एसी वालों को सुबह 9:30 बजे पीआरएस काउंटर वाले एरिया में लाया जाता है। इस दौरान हमने कतार को एक बार फिर कैमरे में कैद किया। कतार में आगे वही लोग थे, जो रविवार को सबसे पहले लाइन में लगे थे। दरअसल, कतार में आगे खड़े चार लोगों का बुकिंग खिड़कियों पर सबसे पहला नंबर होता है, क्योंकि चार बुकिंग खिड़कियां उपलब्ध रहती हैं। पहले से आठवें नंबर तक सभी लोगों को व्यवस्थित कतार में खड़ा किया जा रहा था, तभी कुछ ऐसा हुआ जिसने संदेह पैदा कर दिया। एक व्यक्ति को कतार में डायरेक्ट एंट्री दे दी गई।
जो कतार में नहीं, वो कैसे सही?
जो लोग कतार में सबसे आगे खड़े थे, उन सभी को कन्फर्म टिकट मिल गए, लेकिन लाइन में दूसरे नंबर जो शख्स हो सकता था, उसकी बजाय किसी अन्य को कतार में एंट्री मिल गई। बुकिंग काउंटर 14 पर उस शख्स का नंबर लगाया गया और उसकी सिफारिश करने के लिए आरपीएफ पहुंच गई। गजब की बात है कि इस शख्स को भी कन्फर्म टिकट मिल गया। संदेह के दायरे में आने के बाद जब एनबीटी ने उस शख्स से बात करनी चाही, उसके टिकट की डिटेल लेनी चाही, ताकि वरिष्ठ अधिकारियों को सूचित किया जा सके, लेकिन इसी बीच आरपीएफ के आर.सी.चौधरी नाम के जवान उन्हें ‘सुरक्षित’ करने पहुंच गए।
जाओ, पहले परमिशन लेकर आओ..
इस तरह की खुफिया पड़ताल में आमतौर पर पहचान छुपानी पड़ती है, नहीं तो वास्तविक स्थिति सामने नहीं आती है। जब तत्काल की कतार में घुसाए गए व्यक्ति से पूछताछ करने लगे, तो आरपीएफ के आर.सी.चौधरी रिपोर्टर से पूछताछ करने लगे। रिपोर्टर ने अपनी पहचान भी बताई और वरिष्ठ अधिकारी से बात भी की लेकिन ‘परमिशन’ न होने के नाम पर प्रताड़ित किया गया। इस विवाद में जिस व्यक्ति को लाइन में घुसाया गया, उसे गायब कर दिया गया। रिपोर्टर के साथ आर.सी.चौधरी द्वारा धक्का-मुक्की की गई, मोबाइल छीन लिया गया और जेल में डालने की धमकी दी गई। बहरहाल, चौकी में ले जाने के बाद जब सीनियर अधिकारी को मामला बताया, तब उन्हें बात समझ में आई।
जांच के दायरे में आरपीएफ की भूमिका
पिछले एक सप्ताह से नवभारत टाइम्स द्वारा व्यवस्थाओं पर सवाल उठाए जा रहे हैं। जब वास्तविक स्थिति सामने लाने की कोशिश की गई, तब सुरक्षा के लिए जिम्मेदार लोगों पर ही शक की सुई ठहर गई। यहां जिस तरह किसी शख्स को लाइन में एंट्री दी गई, उस पर सवाल उठता है। एनबीटी के पाठकों द्वारा इसकी शिकायत की गई थी और पड़ताल में इसकी पुष्टि भी हुई है। इस पूरी रिपोर्ट में जिस तरह से उस शख्स की सिफारिश की जा रही थी और जिसे बचाने के लिए हदें पार कर दी गईं, उससे कई सवाल उठते हैं। बहरहाल, मिशन यात्रा जारी रहेगी।
दो दिन से कतार, नंबर का इंतजार
रविवार को जब सीएसएमटी पैसेंजर रिजर्वेशन सिस्टम के बाहर तत्काल टिकट के लिए लगी कतार को देखने गए, तब पता चला कि रितेश चौहान गोरखपुर की टिकट लेने के लिए एक दिन पहले आ चुका है। रविवार को किस्मत ने उसका साथ नहीं दिया, अब सोमवार को दोबारा कोशिश करेगा, तब तक लाइन में ही लगा है। रितेश की तरह रासिद आलम और रंजीत निसाद भी 3एसी के लिए लाइन में जुट गए।
‘मैडम ने बोला पहला नंबर मेरा है’
स्लीपर श्रेणी के लिए तत्काल की लाइन में लगे एक शख्स ने बताया कि वर्दी में एक मैडम आईं, जिन्होंने कहा कि पहला नंबर उनका है, किसी को घुसने न देना। एनबीटी को इस तरह की शिकायतें मिली थीं, जिसकी पुष्टि करने के लिए ही ये पड़ताल की गई। बहरहाल, रविवार को दस बजे हम एक बार फिर कतार की व्यवस्था देखने के लिए मौके पर पहुंचे। फिलहाल सब कुछ ठीक चल रहा था।
कतार में हो गई ‘डायरेक्ट एंट्री’
तत्काल के लिए 3एसी वालों को सुबह 9:30 बजे पीआरएस काउंटर वाले एरिया में लाया जाता है। इस दौरान हमने कतार को एक बार फिर कैमरे में कैद किया। कतार में आगे वही लोग थे, जो रविवार को सबसे पहले लाइन में लगे थे। दरअसल, कतार में आगे खड़े चार लोगों का बुकिंग खिड़कियों पर सबसे पहला नंबर होता है, क्योंकि चार बुकिंग खिड़कियां उपलब्ध रहती हैं। पहले से आठवें नंबर तक सभी लोगों को व्यवस्थित कतार में खड़ा किया जा रहा था, तभी कुछ ऐसा हुआ जिसने संदेह पैदा कर दिया। एक व्यक्ति को कतार में डायरेक्ट एंट्री दे दी गई।
जो कतार में नहीं, वो कैसे सही?
जो लोग कतार में सबसे आगे खड़े थे, उन सभी को कन्फर्म टिकट मिल गए, लेकिन लाइन में दूसरे नंबर जो शख्स हो सकता था, उसकी बजाय किसी अन्य को कतार में एंट्री मिल गई। बुकिंग काउंटर 14 पर उस शख्स का नंबर लगाया गया और उसकी सिफारिश करने के लिए आरपीएफ पहुंच गई। गजब की बात है कि इस शख्स को भी कन्फर्म टिकट मिल गया। संदेह के दायरे में आने के बाद जब एनबीटी ने उस शख्स से बात करनी चाही, उसके टिकट की डिटेल लेनी चाही, ताकि वरिष्ठ अधिकारियों को सूचित किया जा सके, लेकिन इसी बीच आरपीएफ के आर.सी.चौधरी नाम के जवान उन्हें ‘सुरक्षित’ करने पहुंच गए।
जाओ, पहले परमिशन लेकर आओ..
इस तरह की खुफिया पड़ताल में आमतौर पर पहचान छुपानी पड़ती है, नहीं तो वास्तविक स्थिति सामने नहीं आती है। जब तत्काल की कतार में घुसाए गए व्यक्ति से पूछताछ करने लगे, तो आरपीएफ के आर.सी.चौधरी रिपोर्टर से पूछताछ करने लगे। रिपोर्टर ने अपनी पहचान भी बताई और वरिष्ठ अधिकारी से बात भी की लेकिन ‘परमिशन’ न होने के नाम पर प्रताड़ित किया गया। इस विवाद में जिस व्यक्ति को लाइन में घुसाया गया, उसे गायब कर दिया गया। रिपोर्टर के साथ आर.सी.चौधरी द्वारा धक्का-मुक्की की गई, मोबाइल छीन लिया गया और जेल में डालने की धमकी दी गई। बहरहाल, चौकी में ले जाने के बाद जब सीनियर अधिकारी को मामला बताया, तब उन्हें बात समझ में आई।
जांच के दायरे में आरपीएफ की भूमिका
पिछले एक सप्ताह से नवभारत टाइम्स द्वारा व्यवस्थाओं पर सवाल उठाए जा रहे हैं। जब वास्तविक स्थिति सामने लाने की कोशिश की गई, तब सुरक्षा के लिए जिम्मेदार लोगों पर ही शक की सुई ठहर गई। यहां जिस तरह किसी शख्स को लाइन में एंट्री दी गई, उस पर सवाल उठता है। एनबीटी के पाठकों द्वारा इसकी शिकायत की गई थी और पड़ताल में इसकी पुष्टि भी हुई है। इस पूरी रिपोर्ट में जिस तरह से उस शख्स की सिफारिश की जा रही थी और जिसे बचाने के लिए हदें पार कर दी गईं, उससे कई सवाल उठते हैं। बहरहाल, मिशन यात्रा जारी रहेगी।