हैदराबाद से जबलपुर लाए गए 10वें घोड़े की मौत: लैमिनाइटिस बीमारी से ग्रसित था; सावधानीपूर्वक किया दफन, हाईकोर्ट में सुनवाई की तैयारी – Jabalpur News h3>
हैदराबाद से जबलपुर लाए गए 57 घोड़ों में से अब तक 10 घोड़ों की मौत हो चुकी है, जबकि दो घोड़ों की ग्लैंडर्स बीमारी की रिपोर्ट अब तक नहीं आई है। गुरुवार रात एक और मारवाड़ी नस्ल के घोड़े की मौत हो गई। पशु चिकित्सा विभाग के अनुसार, मृत घोड़ा लेमिनाइटिस ना
.
पशु चिकित्सा विभाग की डिप्टी डायरेक्टर डॉ. प्रफुल्ल मून ने बताया कि जिस घोड़े की मौत हुई, वह लंबे समय से ज़मीन पर लेटा हुआ था। यह घोड़ों की स्वाभाविक प्रवृत्ति नहीं होती, और यही उसकी बिगड़ती हालत का संकेत था। संक्रमण धीरे-धीरे शरीर में फैल गया और उसकी मौत हो गई।
57 घोड़ों में से अब तक 10 घोड़ों की मौत हो चुकी है।
घोड़े को सावधानी से किया गया दफन
हैदराबाद से लाए गए घोड़ों में से दो की ग्लैंडर्स बीमारी की रिपोर्ट अभी तक प्राप्त नहीं हुई है। एहतियात के तौर पर संबंधित मृत घोड़े को पूरी सावधानी के साथ दफन किया गया है। वहीं, बाकी बचे घोड़ों की हालत पर पशु चिकित्सा विभाग लगातार नजर बनाए हुए है। उनका नियमित चेकअप कराया जा रहा है, साथ ही साफ-सफाई और संक्रमण से बचाव के लिए विशेष सावधानी बरती जा रही है। घोड़ों की देखरेख में लगे कर्मचारियों को मास्क पहनना और सैनिटाइजर का इस्तेमाल करना अनिवार्य किया गया है।
5 से 13 मई के बीच मरे 8 घोड़े, अब आंकड़ा 10
इन घोड़ों को 27 अप्रैल से 5 मई के बीच ट्रकों में भरकर रायपुर निवासी सचिन तिवारी द्वारा जबलपुर के पनागर क्षेत्र के रैपुरा गांव लाया गया था। 5 मई से 13 मई के बीच 8 घोड़े मर गए थे। अब दो और घोड़ों की मौत के बाद कुल मृतकों की संख्या 10 हो गई है। सचिन खुद को घोड़ों का केयरटेकर बता रहा है, लेकिन प्रशासन को अब तक यह स्पष्ट नहीं है कि उसने ये घोड़े जबलपुर क्यों लाए।
इन घोड़ों में थोरोब्रेड, मारवाड़ी और काठियावाड़ी जैसी महंगी नस्लें शामिल हैं, जिनकी कीमत लाखों में होती है। बिना पर्याप्त इंतजाम और चिकित्सकीय देखरेख के इन घोड़ों को ट्रकों में भरकर लाना अब प्रशासन के लिए चिंता का विषय बन गया है।
PETA का बड़ा आरोप: सट्टे से जुड़ा मामला
PETA से जुड़ी पशु अधिकार कार्यकर्ता सिमरन ईशर ने आरोप लगाया है कि ये घोड़े हैदराबाद के Horse Power Super League (HPSL) चलाने वाले सुरेश पलादुगू और उसके सहयोगियों के हैं। उन्होंने बताया कि हैदराबाद रेसकोर्स में इन घोड़ों से रेस करवाई जाती थी और उस पर फिलीपींस में ऑनलाइन सट्टा खिलाया जाता था।
फिलीपींस सरकार को जब सट्टे की जानकारी मिली, तो उन्होंने भारत सरकार को सतर्क किया। इसके बाद तेलंगाना सरकार ने उस रेस को बंद करवा दिया। गिरफ्तारी से बचने के लिए सुरेश पलादुगू ने 154 घोड़ों को देशभर में अलग-अलग स्थानों पर भेज दिया, जिनमें से 57 घोड़े जबलपुर लाए गए।
हाईकोर्ट में होने वाली है सुनवाई, जांच की मांग
यह मामला सिर्फ पशु क्रूरता का नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय सट्टेबाजी, मनी लॉन्ड्रिंग और कानून के दुरुपयोग से जुड़ा गंभीर मामला बनता जा रहा है। जल्द ही इस मामले की सुनवाई हाईकोर्ट में होने वाली है। अब पशु प्रेमियों और नागरिक संगठनों की मांग है कि प्रशासन को इस पूरे नेटवर्क की गहराई से जांच कर स्पष्ट जवाब देना चाहिए कि इतने कीमती और बीमार घोड़ों को बिना लाइसेंस और जानकारी के जबलपुर लाने की अनुमति कैसे दी गई।
यह खबर भी पढ़ें…
हैदराबाद से जबलपुर आए एक और घोड़े की मौत
5 मई को हैदराबाद से जबलपुर लाए गए घोड़े की मौत हो गई।
करीब एक महीने पहले हैदराबाद से जबलपुर लाए गए 57 घोड़ों में से एक और घोड़े की मौत हो गई है। इसे मिलाकर अब मृत घोड़ों की संख्या बढ़कर 9 पहुंच गई है। बाकी बचे घोड़ों से कुछ अभी भी बीमार हैं। हालांकि, पशु चिकित्सा विभाग का कहना है कि लगातार देखभाल और इलाज के चलते वे जल्द स्वस्थ हो जाएंगे। पूरी खबर पढ़ें…