हरियाणा: पीड़ितों का दर्द भुलाने का प्रयास… एम्स में कैंसर मरीजों को दी जा रही संगीत थेरेपी h3>
पूरे भारत में जहां-जहां एम्स है वहीं पर विश्राम सदन में संगीत थेरेपी के माध्यम से कैंसर मरीजों व उनके साथ आने वालों को शकून से जीवन जीने का प्रयास किया जाता है। जिसमें काफी हद तक सफलता भी उनकी संस्था को हासिल हुई है।
झज्जर: हरियाणा के झज्जर जिले के गांव बाढ़सा में एम्स-टू के अंदर इन दिनों कैंसर मरीजों को संगीत थेरेपी दी जा रही है। भाऊराव ट्रस्ट द्वारा संचालित बाढ़सा एम्स टू के विश्राम सदन में मरीजों का यह संगीत थेरेपी दी जा रही है। संस्था के मैनेजर और म्यूजिक टीचर राम बहादुर को संगीत थेरेपी के कुशल संचालन की जिम्मेवारी मिली है जिसे वह बखूबी निभा रहे है। राम बहादुर का कहना है कि संगीत थेरेपी के जरिए एक तरह से कैंसर के मरीजों को उनका दर्द भुलाने का प्रयास है। जिसमें उन्हें काफी हद तक सफलता भी हासिल हुई है। उनका कहना है कि डॉक्टर के परामर्श,कीमो और रेडियोथेरेपी के बाद थके हुए मरीज जब विश्राम सदन में लौटते है तो उनके चेहरों पर खुशी लाने और उन्हें मानसिक रूप से सकून देने की कोशिश की जाती है। जिससे उन्हें काफी हद तक सफलता भी हासिल हुई है।रामबहादुर का यह भी कहना है कि कैंसर से जूझ रहे किसी शख्स और उसके परिजन के लिए एक से दूसरी ओपीडी में लंबी लाइन में लगकर डॉक्टर से जद्दोजहद करना तकलीफ देह होता है। ऐसी हताशा में कोई यदि उन्हें पसंदीदा गायक का गाना सुना दे तो मरीज को सुखद अनुभूति होती है। प्रत्योक कमरे में जाकर मरीज से उसके पसंदीदा गायक कलाकार का नाम और गीत पूछा जाता है, जिसे मरीज के बताने पर उसे गिटार पर बजाया जाता है। जिसे सुनकर मरीज को काफी शकुन मिलता है।
पीड़ा को दूर करने का माध्यम संगीत
उन्होंने दावा किया कि किसी भी पीड़ा को दूर करने का माध्यम केवल और केवल संगीत है। कई बार ऐसा सुना गया है कि बहुत बड़े संगीतज्ञ थे जिनका सर्जरी होना था,लेकिन बगैर बेहोश किए ही उनका सर्जरी हो गया। कारण कि उनका फेवरेट संगीत उनके सामने बज रहा था। जिसमें वह तल्लीन हो जाते थे।
10000 कैंसर मरीजों को वह संगीत थेरेपी दी
दिनभर की पीड़ा, तनाव मरीज की इस संगीत थेरेपी से दूर हो जाती है। करीब दस हजार कैंसर मरीजों को वह संगीत थेरेपी दे चुके है और इन सभी मरीजों ने इस संगीत थेरेपी के माध्यम से ही अपने जीवन को आनन्द से जिया है। प्रसिद्ध योगाचार्य को बुलाकर मरीजों को योगा के गुर सिखाएं जाते है। जिससे वह काफी शकून महसूस करते है। उन्होंने कहा कि उनकी संस्था भाऊराव विभिन्न योजनाओं के तहत काम करती है।
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पीड़ा को दूर करने का माध्यम संगीत
उन्होंने दावा किया कि किसी भी पीड़ा को दूर करने का माध्यम केवल और केवल संगीत है। कई बार ऐसा सुना गया है कि बहुत बड़े संगीतज्ञ थे जिनका सर्जरी होना था,लेकिन बगैर बेहोश किए ही उनका सर्जरी हो गया। कारण कि उनका फेवरेट संगीत उनके सामने बज रहा था। जिसमें वह तल्लीन हो जाते थे।
10000 कैंसर मरीजों को वह संगीत थेरेपी दी
दिनभर की पीड़ा, तनाव मरीज की इस संगीत थेरेपी से दूर हो जाती है। करीब दस हजार कैंसर मरीजों को वह संगीत थेरेपी दे चुके है और इन सभी मरीजों ने इस संगीत थेरेपी के माध्यम से ही अपने जीवन को आनन्द से जिया है। प्रसिद्ध योगाचार्य को बुलाकर मरीजों को योगा के गुर सिखाएं जाते है। जिससे वह काफी शकून महसूस करते है। उन्होंने कहा कि उनकी संस्था भाऊराव विभिन्न योजनाओं के तहत काम करती है।
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