हरिपुर गांव की जमीन पर भूमाफियाओं की नजर: विधायक बोले- नगर निगम पर आपत्ति; सरपंच ने कहा- सबसे निचले तबके का, इसलिए परेशान कर रहे – Guna News h3>
गुना विधायक पन्नालाल शाक्य ने बुधवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर नगर निगम बनाने पर आपत्ति दर्ज कराई थी।
हरिपुर गांव को गुना नगर निगम में शामिल किए जाने की विधायक की मांग के बाद अब ग्रामीण इसके विरोध में आए हैं। ग्रामीणों का कहना है कि उन्हें पंचायत में सारी सुविधाएं मिल रही हैं। नगर निगम में शामिल होने पर उन्हें परेशानियों का सामना करना पड़ेगा। इसलिए ह
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बता दें कि बुधवार को गुना विधायक पन्नालाल शाक्य ने प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित कर हरिपुर पंचायत का मामला उठाया था। उन्होंने कहा था कि पहले प्रशासन के साथ बैठक में हरिपुर को नगर निगम में शामिल करने की बात हुई थी, लेकिन अब इसे शामिल नहीं किया जा रहा है। अगर हरिपुर पंचायत को नगर निगम में शामिल नहीं किया जाता है, तो वे गुना को नगर निगम बनाने का ही विरोध करेंगे। विधायक ने यहां तक कह दिया था कि वे रिजर्व सीट से विधायक हैं, इसलिए उनकी अनदेखी की जा रही है। उनकी बातों को नहीं सुना जा रहा।
मैं सबसे निचले तबके का, इसलिए परेशान कर रहे मामले में हरिपुर पंचायत के सरपंच शेडूराम सहरिया ने कहा कि वह सबसे निचले तबके सहरिया समाज से आते हैं। सबसे गरीब वर्ग से आते हैं। गांव के लोग नहीं चाहते कि हरिपुर पंचायत नगर निगम में शामिल हो। गांव वालों ने मुझे चुना है। मैं गांव वालों के साथ खड़ा हूं। जो गांव के लोग कहेंगे, वही मैं करूंगा। गांव वाले नगर निगम में शामिल करने के लिए असहमत हैं।
पंचायत के पूर्व सरपंच ने बताया कि हमारी पंचायत बहुत सुंदर पंचायत है। उसमें हमें सारी सुविधाएं उपलब्ध हैं। अगर नगर निगम में शामिल किया जाता है तो हमारी परेशानियां बढ़ जाएंगी। नगर निगम में हम कहां अधिकारियों को ढूंढेंगे और उनके चक्कर लगाएंगे। अभी पंचायत में सचिव, अन्य अधिकारी हमें पंचायत में ही उपलब्ध हो जाते हैं। रोज पंचायत कार्यालय में बैठते हैं।
हमारे गांव के 95% लोग बिल्कुल नहीं चाहते कि गांव को नगर निगम में शामिल किया जाए। कलेक्टर ने जिला स्तरीय अधिकारियों की एक टीम भी गांव में भेजी थी। उनके सामने भी ग्रामीणों ने साफ तौर पर कहा था कि वे नगर निगम में शामिल होने के इच्छुक नहीं हैं।
अब विधायक बोल रहे हैं, तो उनसे भी अनुरोध करेंगे कि हमारा गांव नहीं जुड़ना चाहता। क्योंकि हमें यहां सारी सुविधाएं उपलब्ध हैं। हमारी पंचायत के तीन गांव तो पहले ही नगरपालिका में जुड़ चुके हैं। उनकी स्थिति हम देख रहे हैं। न नालियों की सफाई होती है, चारों तरफ गंदगी है। वहां के लोग परेशान ही हो रहे हैं। इसलिए हमने सर्व सम्मति से ग्राम पंचायत में ठहराव प्रस्ताव भी पारित किया है कि हरिपुर को नगर निगम में शामिल न किया जाए।
हरिपुर के बिना भी तय मापदंड पूरे बता दें कि गुना को नगर निगम बनाने के लिए किसी भी नगर पालिका को नगर निगम बनाने के लिए 2 लाख की जनसंख्या होना आवश्यक है। प्रशासन ने गुना को नगर निगम बनाने के लिए 36 गांव इसमें शामिल करने का प्रस्ताव तैयार किया था। अगर हरिपुर को छोड़ भी दें, तब भी प्रस्तावित गांवों को मिलाकर जनसंख्या 2.20 लाख हो रही है। ऐसे में अगर हरिपुर को बाहर भी रखा जाता है, तो भी नगर निगम बनाने के लिए तय मापदंड पूरे हो जाएंगे।
जमीन पर भू माफियाओं की नजर दरअसल, गुना शहर की भोगौलिक स्थिति ऐसी है कि यहां तीन दिशाओं में फॉरेस्ट एरिया है। ऐसे में उस तरफ शहर नहीं बढ़ सकता। केवल सकतपुर और हरिपुर इलाका ही ऐसा है, जिस तरफ शहर को बढ़ाया जा सकता है। सकतपुर में कई कॉलोनियां कट चुकी हैं। कई भू माफियाओं ने यहां अवैध रूप से भी कॉलोनियां बना दी हैं। सूत्रों की मानें तो अब उनकी नजर हरिपुर तरफ है। पिछले कुछ वर्षों में यहां बड़े स्तर पर उन्होंने जमीनें खरीदी भी हैं। यह जमीनें औने पौने दाम पर खरीदी गई हैं।
सूत्र बताते हैं, कई कालोनाइजरों ने तो यहां कॉलोनी काटने की तैयारी भी कर ली है। यही कारण है कि वह पीछे के दरवाजे से इस बात पर जोर दे रहे हैं कि हरिपुर को नगर निगम में शामिल किया जाए, क्योंकि अगर यह इलाका नगर निगम में शामिल हो जाता है, तो उनके द्वारा खरीदी गई जमीनों के दाम एकाएक बढ़ जाएंगे और उन्हें बड़ा मुनाफा होगा।