हमीरपुर जिला मजिस्ट्रेट ने संस्कृत भाषा में सुनाया फैसला, सभी वकील हो गए हैरान | Hamirpur District Magistrate gave verdict in Sanskrit language all lawyers surprised | Patrika News
मामला कुछ तरह था हमीरपुर जिला मजिस्ट्रेट डॉ. चंद्रभूषण त्रिपाठी ने शुक्रवार को नई पहल की। संस्कृत भाषा में फैसला सुनाया। जिला मजिस्ट्रेट डॉ. चंद्रभूषण त्रिपाठी संस्कृत से पीएचडी है। पूरा मामला है कि, राठ तहसील क्षेत्र में ग्राम गिरवर के अनुसूचित जाति के किसान संतोष कुमार की कुम्हारिया गांव में 2.9250 हेक्टेयर कृषि भूमि है। संतोष ने कोर्ट से कृषि भूमि बेचने की अनुमति मांगी थी। अपनी अर्जी में संतोष का कहना था कि, उसके ऊपर सरकारी कर्जा है और साथ ही बीमारी से ग्रसित है। जिस कारण वह अपनी जमीन को दो हिस्सों में 0.4050 हेक्टेयर व 0.0930 हेक्टेयर गैर-जाति को बेचना चाहता है। जमीन बेचकर वह अपना इलाज करना चाहता है। और कर्जा चुकाना चाहता है। इस अनुमति के लिए संतोष ने कोर्ट में अर्जी दाखिल की थी।
यह भी पढ़ें – RSWS T-20 Cricket : इंडिया लीजेंड्स और दक्षिण अफ्रीका लीजेंड्स के बीच आज शाम साते बजे होगा पहला मैच पूरा ऑर्डर संस्कृत में लिखा पूरे प्रकरण की जांच राठ तहसीलदार और एसडीएम से कराने के बाद सुनवाई में आज जिला मजिस्ट्रेट डॉ चंद्रभूषण त्रिपाठी ने फैसला सुनाया। जिला मजिस्ट्रेट का फैसला किसान के हक में रहा। उसे अपनी भूमि विक्रय की अनुमति दे दी। उन्होंने पूरा ऑर्डर को संस्कृत भाषा में लिखा।
यह भी पढ़ें – मौसम विभाग का यूपी के कई जिलों में 12-16 सितम्बर तक झमाझम बारिश का अलर्ट इतिहास रचा – जिला बार एसोसिएशन अध्यक्ष जिला बार एसोसिएशन अध्यक्ष दिनेश शर्मा ने कहा कि, संस्कृत भाषा में निर्णय देकर जिला मजिस्ट्रेट ने जिले में इतिहास रचा है। जिला मजिस्ट्रेट न्यायालय में पहले कभी संस्कृत भाषा में आदेश पारित नहीं किए हैं। इससे संस्कृत भाषा के प्रयोग को प्रोत्साहन मिलेगा।
मामला कुछ तरह था हमीरपुर जिला मजिस्ट्रेट डॉ. चंद्रभूषण त्रिपाठी ने शुक्रवार को नई पहल की। संस्कृत भाषा में फैसला सुनाया। जिला मजिस्ट्रेट डॉ. चंद्रभूषण त्रिपाठी संस्कृत से पीएचडी है। पूरा मामला है कि, राठ तहसील क्षेत्र में ग्राम गिरवर के अनुसूचित जाति के किसान संतोष कुमार की कुम्हारिया गांव में 2.9250 हेक्टेयर कृषि भूमि है। संतोष ने कोर्ट से कृषि भूमि बेचने की अनुमति मांगी थी। अपनी अर्जी में संतोष का कहना था कि, उसके ऊपर सरकारी कर्जा है और साथ ही बीमारी से ग्रसित है। जिस कारण वह अपनी जमीन को दो हिस्सों में 0.4050 हेक्टेयर व 0.0930 हेक्टेयर गैर-जाति को बेचना चाहता है। जमीन बेचकर वह अपना इलाज करना चाहता है। और कर्जा चुकाना चाहता है। इस अनुमति के लिए संतोष ने कोर्ट में अर्जी दाखिल की थी।