हक की बात: घर में बच्ची को बनाया मेड तो पछताएंगे आप, उम्र-सजा से लेकर हर बात जान लीजिए

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हक की बात: घर में बच्ची को बनाया मेड तो पछताएंगे आप, उम्र-सजा से लेकर हर बात जान लीजिए

हक की बात: घर में बच्ची को बनाया मेड तो पछताएंगे आप, उम्र-सजा से लेकर हर बात जान लीजिए

दिल्ली के पॉश इलाके द्वारका में घर में काम करने वाली 10 साल की मासूम बच्ची को प्रेस से जलाने बुरी तरह पीटने का मामला सामने आया है। बच्ची प्राइवेट एयरलाइन में काम करने वाली पायलट पूर्णिमा बागची और उनके पति कौशिक बागची के घर पर हाउस हेल्प का काम करती थी। बता दें कि दंपती ने डेढ़-दो महीने पहले ही पीड़ित बच्ची को काम पर रखा था। आरोपी महिला पायलट है और उनके पति भी एयरलाइंस में ग्राउंड स्टाफ के रूप में काम करते हैं। आरोपी दंपती कुछ समय पहले ही यहां किराए पर शिफ्ट हुआ है। इनके घर के पास पीड़ित बच्ची के परिवार को जानने वाली एक महिला काम करती है और उसी ने बच्ची को काम पर रखवाया था लेकिन बुधवार को बच्ची से मारपीट का मामला आने के बाद लोगों ने किसी तरह बच्ची को दंपती के घर से छुड़वाया और आरोपी पति-पत्नी की बुरी तरह पिटाई भी कर दी। घटना की सूचना को दी गई और पुलिस ने दंपती के खिलाफ किशोर न्याय व बाल श्रम अधिनियम सहित अन्य धाराओं में FIR दर्ज की और उन्हें गिरफ्तार कर लिया। पुलिस ने दंपती के खिलाफ आईपीसी की धारा 323, 324, 342 और चाइल्ड लेबर एक्ट 75 जेजे एक्ट के तहत केस दर्ज किया है। फिलहाल दोनों को न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है। बच्ची के ऐसा बुरा बर्ताव किया गया है कि बच्ची अभी भी सदमे में है और ठीक से सो भी नहीं पा रही है।

बच्चों को क्यों नहीं रखा जा सकता काम पर

हमारे कानून में बच्चों के अधिकारों की सुरक्षा की व्यवस्था है। पढ़ने, खेलने की उम्र यानी 14 साल तक किसी बच्चे से काम नहीं कराया जा सकता है, फिर चाहे वह घरेलू नौकर का ही काम क्यों न हो। लेकिन शहरों में कई लोग छोटी उम्र के बच्चों को घरेलू नौकर के तौर पर रख लेते हैं, ये चाइल्ड लेबर एक्ट का उल्लंघन है। क्या है यह एक्ट और इसमें क्या है सजा का प्रावधान, आइए जानते हैं…

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बच्चों और किशोरों की सुरक्षा

भारतीय संविधान में बच्चों और किशोरों को चाइल्ड लेबर लॉ के तहत सुरक्षा दी गई है। भारतीय कानून में बच्चों से श्रम करवाना अपराध है। इसके लिए आर्थिक दंड से लेकर जेल की सजा तक का प्रावधान है, हालांकि हकीकत यही है कि बालश्रम को लेकर बने कठोर कानून के बावजूद देश में इस के मामले में कोई उल्लेखनीय कमी नहीं आई है। इसकी वजह यह है कि लोग कानून के जाल में उलझने के बजाय कानून से बचने का रास्ता निकाल लेते हैं। फिर दूसरी बात यह भी है कि देश में गरीबी की समस्या बड़ी है और इस वजह से ना चाहते हुए भी मां-बाप अपने बच्चों से श्रम करवाने को मजबूर हैं।

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सजा और जुर्माने का प्रावधान

भारतीय संविधान के अनुसार किसी उद्योग, कल-कारखाने या किसी कंपनी में मानसिक या शारीरिक श्रम करने वाले 5 से 14 वर्ष उम्र के बच्चों को बाल श्रमिक कहा जाता है। देश में किसी भी प्रकार का बाल श्रम अमान्य है। बच्चों से काम कराना अपराध है। बाल श्रम प्रतिबंध एवं नियमन संशोधन अधिनियम 2016 का उल्लंघन करने यानी 14 वर्ष से कम आयु वालों को रोजगार देने वालों को 6 माह से लेकर दो वर्ष कैद और 20 हजार से 50 हजार रुपये तक जुर्माने या दोनों सजा का प्रावधान है। दूसरी बार अपराध करने पर एक साल से तीन साल तक के कारावास का प्रावधान है।

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माता-पिता को भी दंड का प्रावधान

श्रम क़ानून इस मामले में खास बात यह है कि 14 साल से कम आयु वाले बच्चों को काम पर रखने वालों के साथ- साथ बच्चे के माता-पिता को भी दंडित किया जा सकता है। उन्हें भी इसके लिए बराबर का दोषी माना जाता है। हालाँकि कानून में यह छूट दी गई है कि 14 साल से कम उम्र के बच्चे पारिवारिक व्यवसाय में काम कर सकते हैं। हालांकि यहां भी नियम यह है कि पारिवारिक व्यवसाय खतरनाक कारोबार की कैटिगरी में ना आता हो। इसके अलावा, बच्चे से पारिवारिक व्यवसाय में काम भी स्कूल समय के बाद या छुट्टी के दौरान ही कराया जा सकता है।

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सूचना कौन दे सकता है

कोई भी व्यक्ति, सिविल सोसायटी का सदस्य, संस्था या संगठन बाल श्रमिकों या खतरनाक रोजगार में लगे किशोर श्रमिकों से संबंधित घटना की रिपोर्ट श्रम और रोजगार मंत्रालय के पेंसिल पोर्टल पर, टेलीफोन पर, पत्र भेजकर, लिखित शिकायत करके, ईमेल से, हेल्पलाइन पर, व्यक्तिगत रूप से या किसी अन्य माध्यम से दे सकता है। शिकायत मिलने के 24 घंटे के अंदर संबंधित एजेंसियां इसी जांच करेंगी और शिकायत सही पाए जाने पर पुलिस में इसकी शिकायत करेंगी। इसके बाद उचित कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

हेल्पलाइन नंबर

  • चाइल्ड लाइन: 1098
  • इमरजेंसी हेल्पलाइन: 112 (होम मिनिस्ट्री)
  • बचपन बचाओ आंदोलन: 1800-102-7222
  • डीसीपीसीआर हेल्पलाइन: 9311551393

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