स्वस्थ रहने के लिए मौसम के अनुसार खानपान जरूरी: आयुर्वेद विशेषज्ञ ने बताया- चैत्र में चना और नीम, वैशाख में बेल का सेवन फायदेमंद – jhalawar News

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स्वस्थ रहने के लिए मौसम के अनुसार खानपान जरूरी:  आयुर्वेद विशेषज्ञ ने बताया- चैत्र में चना और नीम, वैशाख में बेल का सेवन फायदेमंद – jhalawar News

स्वस्थ रहने के लिए मौसम के अनुसार खानपान जरूरी: आयुर्वेद विशेषज्ञ ने बताया- चैत्र में चना और नीम, वैशाख में बेल का सेवन फायदेमंद – jhalawar News

वरिष्ठ आयुर्वेदिक अधिकारी डॉ. रिंकेश यादवेंद्र ने स्वस्थ रहने के लिए मौसम के अनुसार खानपान की महत्वपूर्ण जानकारी दी।

झालावाड़ के राजकीय आयुर्वेद औषधालय में वरिष्ठ आयुर्वेदिक अधिकारी डॉ. रिंकेश यादवेंद्र ने स्वस्थ रहने के लिए मौसम के अनुसार खानपान की महत्वपूर्ण जानकारी दी है। उन्होंने बताया कि चैत्र मास (मार्च-अप्रैल) में चने का सेवन करना चाहिए। चना रक्त संचार को बे

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वैशाख (अप्रैल-मई) में गर्मी की शुरुआत हो जाती है। इस दौरान बेल का सेवन स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होता है। डॉक्टर की सलाह है कि वैशाख में तेल का उपयोग बिल्कुल नहीं करना चाहिए, क्योंकि यह सेहत के लिए हानिकारक हो सकता है। यह जानकारी अस्पताल में आने वाले मरीजों को भी दी जा रही है, ताकि वे स्वस्थ और निरोगी रह सकें।

ज्येष्ठ (मई-जून) – भारत में इस महीने में सबसे अधिक गर्मी होती है। ज्येष्ठ के महीने में दोपहर में सोना स्वास्थ्य वर्द्धक होता है। ठंडी छाछ, लस्सी, ज्यूस और अधिक से अधिक पानी का सेवन करें, बासी खाना, गरिष्ठ भोजन और गर्म चीजों का सेवन न करें। इनके प्रयोग से आपका शरीर रोग ग्रस्त हो सकता है।

अषाढ़ (जून-जुलाई) के महीने में आम, पुराने गेहूं, सत्तु , जौ, भात, खीर, ठण्डे पदार्थ , ककड़ी, पलवल, करेला आदि का उपयोग करे व आषाढ़ के महीने में भी गर्म प्रकृति की चीजों का प्रयोग करना आपके स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है। श्रावण (जुलाई-अगस्त) – श्रावण के महीने में हरड़ का इस्तेमाल करना चाहिए। श्रावण में हरी सब्जियों का त्याग करे एव दूध का इस्तेमाल भी कम करे, भोजन की मात्रा भी कम ले – पुराने चावल, पुराने गेहूं, खिचड़ी, दही एवं हलके सुपाच्य भोजन को अपनाएं, भाद्रपद (अगस्त-सितम्बर) – इस महीने में हल्के सुपाच्य भोजन का इस्तेमाल कर वर्षा का मौसम होने के कारण आपकी जठराग्नि भी मंद होती है। इसलिए भोजन सुपाच्य ग्रहण करे।

आश्विन (सितम्बर-अक्टूबर) – इस महीने में दूध, घी, गुड़, नारियल, मुन्नका, गोभी आदि का सेवन कर सकते है। ये गरिष्ठ भोजन है, लेकिन फिर भी इस महीने में पच जाते हैं क्योंकि इस महीने में हमारी जठराग्नि तेज होती है। कार्तिक (अक्टूबर-नवम्बर) – कार्तिक महीने में गरम दूध, गुड, घी, शक्कर, मूली आदि का उपयोग करे। ठंडे पेय पदार्थों का प्रयोग छोड़ दें। छाछ, लस्सी, ठंडा दही, ठंडा फ्रूट ज्यूस आदि का सेवन न करें। इनसे आपके स्वास्थ्य को हानि हो सकती है।

गहन (नवम्बर-दिसम्बर) – इस महीने में ठंडी और अधिक गरम वस्तुओं का प्रयोग न करें। पौष (दिसम्बर-जनवरी) – इस ऋतु में दूध, खोया एवं खोये से बने पदार्थ, गौंद के लडडू, गुड़, तिल, घी, आलू, आंवला आदि का प्रयोग करें। ये पदार्थ आपके शरीर को स्वास्थ्य देंगे। ठण्डे पदार्थ, पुराना अन्न, मोठ, कटु और रुक्ष भोजन का उपयोग न करें। माघ (जनवरी-फरवरी) – इस महीने में भी आप गरम और गरिष्ठ भोजन का इस्तेमाल कर सकते हैं। घी, नए अन्न, गौंद के लड्डू आदि का प्रयोग कर सकते हैं।

फाल्गुन (फरवरी-मार्च) – इस महीने में गुड का उपयोग करें, सुबह के समय योग एवं स्नान का नियम बना लें। चने का उपयोग न करें। अस्पताल में इस अवसर पर वरिष्ठ आयुर्वेदिक डॉ. रामकेश मीणा ,आयुर्वेद कंपाउंडर चंद्रेश नामा, परिचारक प्रेम कंवर, सरकारी उपभोक्ता संचालक नीरज शर्मा, मनन व्यास, प्रदीप मैरोठा एवं अन्य गण मान्य लोग उपस्थित रहे।

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