स्टार्टअप की जगह ब्याज से कमाई के खेल में उतरा आरजीपीवी, लगातार खुल रहीं घोटाले की परत और एफआईआर हो सकती हैं | Instead of a startup, RGPV has entered into the game of earning from i | News 4 Social h3>
सीएम तक पहुंचा मामला, तब एफआईआर, अब एक और कमेटी करेगी जांच
रविवार सुबह उच्च शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार आरजीपीवी पहुंचे। धरना दे रहे एबीवीपी कार्यकर्ताओं से कहा कि यदि कुलपति दोषी हैं तो उन पर भी कार्रवाई होगी। लेकिन एबीवीपी कार्यकर्ता एफआईआर की कॉपी की मांग पर अड़े रहे। मंत्री परमार शाम को मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव से मुलाकात करने पहुंचे। मुलाकात के बाद कुलपति के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई। तब कहीं जाकर धरना समाप्त हुआ। सीएम डॉ. मोहन यादव ने वित्त शाखा के अफसरों को हटाते हुए उच्चस्तरीय जांच के निर्देश दिए हैं। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा कि मेरे संज्ञान में आरजीपीवी में चल रही आर्थिक अनियमितताओं का प्रकरण सामने आया है। दोषियों पर राज्य सरकार सख्त कार्रवाई करेगी।
20 नहीं 200 करोड़ का घोटाला हुआ : एबीवीपी
शासन की तरफ से गठित की गई नई जांच समिति विश्वविद्यालय के आर्थिक मामलों की जांच करेगी। पिछले पांच साल के लेखा-जोखा और सॉफ्टवेयर सहित अन्य खरीददारी की भी जांच होगी। एबीवीपी के प्रांत मीडिया संयोजक शिवम जाट एवं संदीप वैश्नव ने बताया कि अभी तो मात्र 19.48 करोड़ का मामला उजागर हुआ है, विवि में 200 करोड़ रुपए का घोटाला हुआ है। विवि के लगभग 30 से भी ज्यादा बैंक अकाउंट निजी बैंक में हैं।
-पिपरिया की एक्सिस बैंक में 100 करोड़ की एफडी
चार सदस्यी कमेटी ने आरजीपीवी में एफडी घोटाले की एक और कड़ी पकड़ी है। इसमें आरजीपीवी की 100 करोड़ रुपए की एफडी भोपाल से 150 किमी दूर पिपरिया के एक्सिस बैंक में रखी मिली है। 25-25 करोड़ की चार एफडी हैं। आरजीपीवी ने भोपाल छोड़कर नर्मदापुरम जिले के छोटे से ब्लाॅक पिपरिया के एक्सिस बैंक में 100 करोड़ रुपए रखे हैं। इससे विवि में हडकंप की स्थिति है।
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इन पर हुई एफआईआर, ये आरोप लगे हैं
– कुलपति प्रोफेसर सुनील कुमार-
– तत्कालीन कुलसचिव प्रोफेसर आरएस राजपूत,
– वित्त नियंत्रक ऋषिकेश वर्मा,
– लाभार्थी मयंक कुमार
– लाभार्थी, दलित संघ
आरोप लगे हैं:
– अपराधिक षणयंत्र कर विवि की राशि 19.48 करोड़ निजी खातों में अंतरिम की
– लेखा शाखा के रिकॉर्ड में कूटरचित तरीके से तैयार की गई 25-25 करोड़ की एफडी
– विवि के रिकॉर्ड में आरबीएल बैंक का फर्जी बैंक स्टेटमेंट, अन्य फर्जी दस्तोज का उपयोग किया गया
इन धाराओं में हुई एफआईआर- धारा 420, 467, 468, 120-बी, 7, 13 (1)(ए), 13 (२) के तहत मामला दर्ज किया गया है।
वर्जन
इस मामले में अभी जांच जारी रहेगी, चेक और फर्जी दस्तावेजों पर जिन-जिन के साइन हैं, उनकी भूमिका की जांच भी कराई जा रही है। हस्ताक्षरों का मिलान कराया जा रहा है। इसके बाद एफआईआर में और नाम शामिल हो सकते हैं।
इंदर सिंह परमार, उच्च शिक्षा मंत्री
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यह है पूरा मामला
आरजीपीवी में छात्रों की फीस के करोड़ों रुपए के चेक एफडी कराने के नाम पर कूटरचित दस्तावेज तैयार कर निजी व्यक्ति मयंक कुमार के खाते में डाल दिए गए। यह चेक संस्थान के रजिस्ट्रार और कंट्रोलर फाइनेंस के हस्ताक्षर से जारी किए गए। फर्जीवाड़ा पकड़ में न आए इसलिए संस्थान के दस्तावेजों में चेक में खाता नंबर तो वही दिखाया, जिसमें पैसा गया, लेकिन इस खाते को आरजीपीवी का बताया गया। पैसा जिस मयंक कुमार के खाते में गया है, वह आरबीएल में रीजनल मैनेजर था।
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सीएम तक पहुंचा मामला, तब एफआईआर, अब एक और कमेटी करेगी जांच
रविवार सुबह उच्च शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार आरजीपीवी पहुंचे। धरना दे रहे एबीवीपी कार्यकर्ताओं से कहा कि यदि कुलपति दोषी हैं तो उन पर भी कार्रवाई होगी। लेकिन एबीवीपी कार्यकर्ता एफआईआर की कॉपी की मांग पर अड़े रहे। मंत्री परमार शाम को मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव से मुलाकात करने पहुंचे। मुलाकात के बाद कुलपति के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई। तब कहीं जाकर धरना समाप्त हुआ। सीएम डॉ. मोहन यादव ने वित्त शाखा के अफसरों को हटाते हुए उच्चस्तरीय जांच के निर्देश दिए हैं। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा कि मेरे संज्ञान में आरजीपीवी में चल रही आर्थिक अनियमितताओं का प्रकरण सामने आया है। दोषियों पर राज्य सरकार सख्त कार्रवाई करेगी।
20 नहीं 200 करोड़ का घोटाला हुआ : एबीवीपी
शासन की तरफ से गठित की गई नई जांच समिति विश्वविद्यालय के आर्थिक मामलों की जांच करेगी। पिछले पांच साल के लेखा-जोखा और सॉफ्टवेयर सहित अन्य खरीददारी की भी जांच होगी। एबीवीपी के प्रांत मीडिया संयोजक शिवम जाट एवं संदीप वैश्नव ने बताया कि अभी तो मात्र 19.48 करोड़ का मामला उजागर हुआ है, विवि में 200 करोड़ रुपए का घोटाला हुआ है। विवि के लगभग 30 से भी ज्यादा बैंक अकाउंट निजी बैंक में हैं।
-पिपरिया की एक्सिस बैंक में 100 करोड़ की एफडी
चार सदस्यी कमेटी ने आरजीपीवी में एफडी घोटाले की एक और कड़ी पकड़ी है। इसमें आरजीपीवी की 100 करोड़ रुपए की एफडी भोपाल से 150 किमी दूर पिपरिया के एक्सिस बैंक में रखी मिली है। 25-25 करोड़ की चार एफडी हैं। आरजीपीवी ने भोपाल छोड़कर नर्मदापुरम जिले के छोटे से ब्लाॅक पिपरिया के एक्सिस बैंक में 100 करोड़ रुपए रखे हैं। इससे विवि में हडकंप की स्थिति है।
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इन पर हुई एफआईआर, ये आरोप लगे हैं
– कुलपति प्रोफेसर सुनील कुमार-
– तत्कालीन कुलसचिव प्रोफेसर आरएस राजपूत,
– वित्त नियंत्रक ऋषिकेश वर्मा,
– लाभार्थी मयंक कुमार
– लाभार्थी, दलित संघ
आरोप लगे हैं:
– अपराधिक षणयंत्र कर विवि की राशि 19.48 करोड़ निजी खातों में अंतरिम की
– लेखा शाखा के रिकॉर्ड में कूटरचित तरीके से तैयार की गई 25-25 करोड़ की एफडी
– विवि के रिकॉर्ड में आरबीएल बैंक का फर्जी बैंक स्टेटमेंट, अन्य फर्जी दस्तोज का उपयोग किया गया
इन धाराओं में हुई एफआईआर- धारा 420, 467, 468, 120-बी, 7, 13 (1)(ए), 13 (२) के तहत मामला दर्ज किया गया है।
वर्जन
इस मामले में अभी जांच जारी रहेगी, चेक और फर्जी दस्तावेजों पर जिन-जिन के साइन हैं, उनकी भूमिका की जांच भी कराई जा रही है। हस्ताक्षरों का मिलान कराया जा रहा है। इसके बाद एफआईआर में और नाम शामिल हो सकते हैं।
इंदर सिंह परमार, उच्च शिक्षा मंत्री
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यह है पूरा मामला
आरजीपीवी में छात्रों की फीस के करोड़ों रुपए के चेक एफडी कराने के नाम पर कूटरचित दस्तावेज तैयार कर निजी व्यक्ति मयंक कुमार के खाते में डाल दिए गए। यह चेक संस्थान के रजिस्ट्रार और कंट्रोलर फाइनेंस के हस्ताक्षर से जारी किए गए। फर्जीवाड़ा पकड़ में न आए इसलिए संस्थान के दस्तावेजों में चेक में खाता नंबर तो वही दिखाया, जिसमें पैसा गया, लेकिन इस खाते को आरजीपीवी का बताया गया। पैसा जिस मयंक कुमार के खाते में गया है, वह आरबीएल में रीजनल मैनेजर था।