सौरभ के हत्यारों को जल्द से जल्द फांसी हो…: मेरठ में पुरुष आयोग की अध्यक्ष बोंली- लाखों पुरुष मर रहे, लेकिन लड़कियों को सौ-खून माफ – Meerut News h3>
मेरठ में हुए सौरभ हत्याकांड में इंसाफ की आवाज बुलंद करने के लिए पुरुष आयोग सामने आया है। आज सौरभ के माता-पिता के घर पर दिल्ली से पुरुष को इंसाफ दिलाने वाला एक एनजीओ पुरुष आयोग आ पहुंचा है।
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पुरुष आयोग की अध्यक्ष बरखा त्रेहन सौरभ के माता-पिता से मिली। उन्होंने कहा- उसके माता-पिता का दुख बहुत बड़ा है। मेरी संवेदनाएं परिवार के साथ हैं। उस मां से पूछिए जिसके बेटे को टुकड़े-टुकड़े में बांट दिया हो।
उन हत्यारों को फांसी की सजा होनी चाहिए। उस हत्यारन को जो पिछले छह महीने से इस मर्डर का प्लान कर रही थी। पति की इस हत्यारन को जल्द से जल्द फांसी की सजा मिलनी चाहिए। उनका बच्चा तो अब वापस नहीं आ सकता। लेकिन हम एकजुट होकर बेटा सौरभ के हत्यारों को फांसी दिलाकर रहेंगे। उन्होंने देश की जनता से पुरुषों के लिए सामने आने के अपील की है।
बरखा त्रेहन बोलीं- सौरभ के हत्यारों को फांसी हो।
पुरुष थक हार कर दम तोड़ देते हैं… बरखा त्रेहन ने कहा- लाखों पुरुष इस देश में मर रहे हैं। और ये कोई पहला मामला नहीं है। इस तरह मामले कई सालों से सामने आ रहे हैं। लेकिन कहीं पर भी पुरुषों की कोई सुनवाई नहीं होती है। और कोई पटल नहीं है जहां पर वो अपनी बात रख सकें।
हमारे नेता इतनी बड़ी-बड़ी बातें करते हैं। लेकिन कोई पुरुषों के लिए कोई हेल्प लाइन नंबर नहीं है, कोई सहायता केंद्र नहीं है। कहीं पर उनकी काउंसलिंग नहीं होती है। बेचारे पुरुष थक हार के दम तोड़ देते हैं, मर रहे हैं। वो आखिर जाएं तो जाएं कहां…
चाहे आप कितने मामले देख लें। अतुल सुभाष के बाद पुनीत खुराना और भी कई। सिर्फ अतुल सुभाष के बाद से ही हजारों पुरुष मर चुके हैं। लाखों और मर जाएंगे। इसी तरीके से किसी का मर्डर हो जाएगा। किसी को आप मजबूर कर देंगे। वह भी मेरे लिए मर्डर ही है।
मैं जहां भी जाती हूं, वहां यही बात बोलूंगी कि पत्नी ने इतना प्रताड़ित कर दिया कि उसे मरना पड़ा। उसे मजबूर कर दिया आपने मरने के लिए।
लेकिन यह सिलसिला थम नहीं रहा है। क्योंकि जो कानून बनाने वाले मंत्री वह सब घोर निद्रा में हैं। सिर्फ कानून मंत्री नहीं। हमारी ज्यूडिशरी में भी सिर्फ बातें आती हैं।
बरखा त्रेहन बोलीं- लड़कों के साथ हो रहे अत्याचार के खिलाफ आवाज उठाएं
लीगल टेररिज्म की सिर्फ बातें होती हैं सेक्शन 498 को लेकर वह चिंता जताते हैं। मैरिटल रेप को लेकर वह चिंता जताते हैं। रेप को लेकर चिंता जताते हैं। सिर्फ चिंता जताते हैं। जबकि खुद सुप्रीम कोर्ट कहता है कि लीगल टेररिज्म है ये 498।
इसके बाद भी कोई बदलाव कहीं पर भी नहीं आया और जब तक हम आदमियों की बात नहीं करेंगे। तब तक कुछ बदलाव नहीं होगा। मैं आदमियों की बात करती हूं, मैं चाहती हूं पूरा देश आदमियों के लिए सोचे, बात करें।
जब लड़कियों के साथ कुछ गलत होता है तो सभी लड़के और सभी लड़कियां मिलकर उस बात को उठाते हैं। लेकिन आज जब नाइंसाफी लड़कों के साथ हो रही हैं तो हम लड़कियों को जो इक्वलिटी की बातें करते हैं। उन्हें आगे आकर इस बात को बल देना चाहिए।
लड़कियों को सौ खून माफ हैं जहां पर भी पत्नी कसूरवार है और उसने हत्या को अंजाम देने में या सुसाइड करने में फोर्स किया है। उस लड़की की गिरफ्तारी हो, और उसे कड़ी से कड़ी सजा भी दी जाए। फांसी की सजा भी होनी चाहिए। लेकिन उसकी सजा का प्रावधान हमारे कानून में नहीं है।
हमारे पॉलीटिशियंस कहते हैं कि लड़कियों को सौ खून माफ हैं… यह बात गलत है। क्राइम हस नो जेंडर। मैन ऑर ह्यूमन टू। मर्द को भी दर्द होता है।
एक लाख से ज्यादा पुरुष हर साल आत्महत्या कर रहे हैं। जितने रोड एक्सीडेंट में मरते हैं, उससे ज्यादा मार रहे हैं। लेकिन आज भी हम मूक दर्शक बनकर बैठे हैं। आज भी हम सो रहे हैं।
हत्यारन को फांसी मिले, पतियों के लिए कानून बने
सौरभ की हत्या में शामिल साहिल और पत्नी मुस्कान को ले जाती पुलिस
सौरभ के हत्यारों को फांसी की सजा होनी चाहिए। इस हत्यारन को अगर बिल्कुल भी बेल मिली, तो हम चुप नहीं बैठेंगे। हम यहां दोबारा धरना-प्रदर्शन करने आएंगे। तो बेल का विरोध में अभी से कर रही हूं। इस हत्यारन को जब तक फांसी नहीं होगी, तब तक मैं चुप नहीं बैठूंगी। इस मां के साथ खड़ी हूं। सरकार पुरुष आयोग गठन करें। सरकार पतियों के लिए भी कानून बने।
इस कड़ी में हमने पतियों के अधिकार की बात वकील महेश कुमार तिवारी से भी की। इस पर उन्होंने बताया कि डेवलेप कन्ट्रीज जैसे UK, US, कनाडा में घरेलू हिंसा का कानून जेंडर न्यूट्रल है, जबकि इंडिया में ये स्पेसिफिक है। यानी सिर्फ महिलाओं के लिए है।
नेशनल ह्यूमन राइट कमीशन के पास भी कोई स्पेसिफिक लॉ नहीं है जो इस इश्यू को डील कर सके। मैं महिलाओं के खिलाफ नहीं हूं, बस चाहता हूं पुरुषों को भी समान अधिकार मिले।
सवाल: क्या पति के पास पत्नी के समान कानूनी अधिकार हैं? जवाब: पति के पास पत्नी के समान अधिकार नहीं हैं, लेकिन कुछ कानूनी अधिकार उनके पास अपनी सुरक्षा और मान-सम्मान के लिए मौजूद हैं।
ऊपर लगे क्रिएटिव के पाॅइंट को अब एक-एक कर डिटेल में समझते हैं-
1.पति घरेलू हिंसा के मामले में पुलिस से मदद ले सकता है। अगर पति के साथ पत्नी मार-पिटाई कर रही है। उस पर गलत काम करने के लिए कोई जोर-दबाव बना रही है तब वह 100 नंबर पर या फिर महिला हेल्पलाइन नंबर 1091 पर ही कॉल करके पुलिस से मदद ले सकता है।
2.खुद से बनाई गई प्रॉपर्टी यानी स्व-अर्जित प्रॉपर्टी पर सिर्फ और सिर्फ पति का ही अधिकार होता है। पत्नी या बच्चों का उस पर कोई अधिकार नहीं होता। वह जिसे चाहे उसे दे सकता है या किसी को भी न देकर ट्रस्ट को हैंडओवर कर सकता है।
3.पति को मानसिक रूप से प्रताड़ित करने वाली पत्नी के खिलाफ पुलिस और कोर्ट दोनों की मदद ले सकता है। जैसे-
- उसके परिवार से न मिलने देना
- दोस्तों-रिश्तेदारों से न मिलने देना
- बार-बार नामर्द बोलना
- घर से बाहर निकाल देना
- हर काम में हद से ज्यादा टोका-टाकी
- शारीरिक हिंसा, दर्द देना या नुकसान पहुंचाना
- सबके सामने या फिर अकेले में भी अपशब्द बोलना या गाली देना
- बार-बार आत्महत्या की धमकी देना
- भावनात्मक हिंसा करना
4. पत्नियों की तरह ही पति को भी यह अधिकार है कि वे तलाक के लिए याचिका दायर कर सकता है। इस अधिकार का इस्तेमाल करने के लिए पति को अपनी पत्नी की सहमति की कोई जरूरत नहीं होती। वो अपने ऊपर अत्याचार, जान का डर या मेंटल स्टेबिलिटी का जिक्र देते हुए याचिका दायर कर सकता है।
5.पत्नी की तरह ही पति को भी हिंदू मैरिज एक्ट में मेंटेनेंस यानी भरणपोषण और रखरखाव का अधिकार दिया गया है। मामले में होने वाली सुनवाई के बाद उसे मिलने वाली मेंटेनेंस की रकम को कोर्ट डिसाइड करती है।
6.पति का भी बच्चे की कस्टडी पर बराबरी का अधिकार माना जाता है।
एकतरफा तलाक या आपसी सहमति के बिना तलाक के केस में पति को ये अधिकार मिलता है। बच्चे के भविष्य को देखते हुए कोर्ट आर्थिक रूप से सक्षम अभिभावक को ही बच्चे की कस्टडी अधिकतर मामलों में सौंपती है।
अगर बच्चा बहुत छोटा है तब कोर्ट उसकी देखभाल का जिम्मा मां को सौंपता है। अगर मां किसी कारण से सक्षम नहीं है तो कोर्ट अपने फैसले में बदलाव कर सकता है।
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पढ़ें सौरभ हत्याकांड पर दैनिक NEWS4SOCIALकी ग्राउंड रिपोर्ट
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मेरठ में मर्चेंट नेवी अफसर सौरभ को 4 टुकड़ों में काट देने वाले साहिल की तंत्र-मंत्र में दिलचस्पी थी। वह CA (चार्टर्ड अकाउंटेंट) की पढ़ाई कर रहा था, लेकिन कमरे में एक तांत्रिक की तरह रहता था। छोटे-छोटे अनुष्ठान और मंत्रों को सिद्ध करने की कोशिश में लगा रहता था।
पिछले 2 साल में उसने बाल भी बढ़ा लिए थे, लड़कियों की तरह जूड़ा बनाता। उसने पेंटिंग भी सीखी थी। लोगों से मिलना-जुलना कम कर दिया था। वह क्या करता था, ये सिर्फ मुस्कान ही जानती थी। अपने कमरे में उसने ऐसे चित्र बनाए थे, जिन्हें देखकर कोई भी सहम जाए। पढ़ें पूरी खबर…